नैनीताल को बचाना होगा
लेखक : भुवन बिष्ट :: अंक: 09 || 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2010:: वर्ष :: 34 :January 24, 2011 पर प्रकाशित
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नैनीताल को बचाना होगा
लेखक : भुवन बिष्ट :: अंक: 09 || 15 दिसंबर से 31 दिसंबर 2010:: वर्ष :: 34 :January 24, 2011 पर प्रकाशित
"ये ताल में पकौड़ी-जलेबी जैसा क्या तला जा रहा है ?"
"ये पकौड़ी-जलेबी नहीं है। यह तो पानी शुद्ध किया जा रहा है। तालाब की सफाई हो रही है।"
"कब तक होगी ये सफाई……?"
"सफाई करने की मशीनें किराये की हैं। जब किराया देने को नहीं होगा, उसी दिन से सफाई बन्द हो जायेगी और कह दिया जायेगा कि पानी शुद्ध हो गया है, एकदम पीने लायक।"
"मेरा मतलब है ताल में गन्दगी जाना कब बन्द होगा ?"'
"जब तक गटर उफनते रहेंगे ? फव्वारे-झरने बरसते रहेंगे।"
"ये गटर कब तक उफनते रहेंगे ?"
"जब तक मकान बनने बंद नहीं होंगे और नालियों में मलवा आना बन्द नहीं होगा।"
"तो मकान बनाने बन्द करवा दो।"
"हमने कोशिश तो की थी। मगर फिर "अवैध' मकान बनने लगे। "अवैध' बंद किये तो "वैध" बनने लगे।"
"तो फिर वैध मकान क्यों बनने दिये।"
"कमाल करते हो, हमें सर छुपाने का ठिकाना चाहिए। मकान बनना कभी बंद नहीं होगा। सर छुपाने का ठिकाना वैध,अवैध से बड़ा होता है। उसमें पुश्तें रह सकती हैं। चाहो तो होटल भी बना सकते हो।"
"तो फिर क्या किया जाये ?"
"मशीनों को अपना काम करने दो और भविष्य के नैनीताल के बारे में सोचो।"
"तो क्या होगा भविष्य में……?"
"क्यों, नैनीताल का "बर्थ-डे" बड़़ी धूमधाम से मनाया जायेगा। केक और कम्बल के साथ-साथ कॉफी और टोपी भी दी जायेगी। विकास कार्यों की समीक्षा की जायेगी। कभी-कभी जाँच-वाँच भी की जायेगी।"
"तो इससे नैनीताल बच जायेगा क्या ? जहाँ बर्थ डे मनाया गया वहाँ एक नाला फूटा था।"
"आपको शायद मालूम नहीं नाले ताल में गिरते हैं। बाहर की चीज ताल से न जोड़ी जाय। उसी नाले के किनारे लगे
"केकों" को देखकर तो तुम उचक-उचक कर मांग रहे थे।"
……."जो लोअर मालरोड बैठ रही है…..उसका क्या होगा ?"
"उसका सीधा सा हल है कि वहाँ भी महंगी वाली "रेलिंग" लगा दी जाये। गड्ढों की जगह रेलिंग दिखाई देगी, तो लोग खुश रहेंगे।"
"ये सब क्या संभव होगा ?"
"यही सब तो नहीं हो पा रहा है। मैं तो पूरी जी-जान से जुटा हूँ। इन लोगों को विकास के लिये आया पैसा निकालना ही नहीं आता। बजट बनाने का तमीज ही नहीं है। अब विकास के लिए आया पैसा लौटाना शर्म की बात है या नहीं ?"
"हाँ, यार बात तो शर्म की है।"
"अब आये ना लाइन पर…. मेरे पीछे खड़े हो जाओ और अपनी पिछड़ी सोच को बदलो।"
"कैसे बदलूँ ?"
"चुप रह कर। खामोशी से अपनी बारी का इंतजार करो।…..फिलहाल मेरे पीछे लगे रहो। मेरी हाँ में हाँ मिलाओ।
चलो मैं नारा देता हूँ। जरा जोर से बोलना-
"नैनीताल को बचाना होगा , सबको संग आना होगा।"
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