Sunday, 22 April 2012 13:27 |
प्रभाकर श्रोत्रिय >पर भावात्मक एकता बाहरी संरचनाओं से उतनी प्रभावित नहीं होती। तभी देशों के विभाजन के बाद भी नागरिकों के भीतर कहीं न कहीं एकात्मता का संचार होता रहता है। भारत, बर्लिन या सोवियत संघ के राजनीतिक और भौगोलिक विभाजन के बाद भी सीमा के आरपार के लोगों के भीतर भावात्मकता का अदृश्य संचार क्या कोई रोक सका है? |
Sunday, April 22, 2012
भाषाई सेतु की दरकार
भाषाई सेतु की दरकार
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