Friday, April 20, 2012

मुद्राकोष के दबाव और मौद्रिक कवायद बेअसर हो जाने से कारपोरेट इंडिया की लाइफ लाइन बेहाल!

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[LARGE][LINK=/index.php/yeduniya/1191-2012-04-20-06-41-30]मुद्राकोष के दबाव और मौद्रिक कवायद बेअसर हो जाने से कारपोरेट इंडिया की लाइफ लाइन बेहाल! [/LINK] [/LARGE]
Written by एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास Category: [LINK=/index.php/yeduniya]सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार[/LINK] Published on 20 April 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=a6503a42be103e5917f40c1d5f885c1228401c0d][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/yeduniya/1191-2012-04-20-06-41-30?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों की रफ्तार थमने से मुंबई बेहाल है। लेकिन लगता है सरकार को लोगों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है। यही वजह है कि दो दिन बाद इस मुद्दे पर सियासी हलकों में हलचल शुरू हुई है। महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी दल एनसीपी ने शिकायत की है कि जापान में सुनामी आने के बाद वहां रेल सेवा 12 घंटे में बहाल हो जाती है लेकिन यहां सिग्नल पैनल को ठीक करने के लिए 36 घंटे से भी ज्यादा का समय क्यों लग रहा है। वहीं, विपक्ष ने भी सरकार को घेरा है। यही हाल आर्थिक सुधारों को लेकर उद्योग जगत को सरकारी लाइफ लाइन के बारे में लग रहा है। वोडाफोन मामले में वैश्विक व्यापारिक संगठनों का दबाव तो है ही, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने सरकार पर यह कहकर दबाव और बढ़ा दिया है कि अगले आम चुनाव से पहले भारत में बड़े ​ आर्थिक सुधार न करें तो बेहतर। मौद्रिक नीतियों की कवायद के जरिये रिजर्व बैंक ने बाजर को जो क्रोमिन दिया, उससे तो बाजार को खड़ा ही नहीं होना था, बल्कि दौड़ पड़ना था, लेकिन शेयर बाजार में ऐसा कुछ नहीं हुआ।

वोडाफोन मामला अब गार से जुड़कर निवेशकों की आस्था के मामले में सबसे अबूझ पहेली में तब्दील है।हालांकि हालात के विपरीत सरकार ने आज वोडाफोन मामले में वैश्विक व्यापारिक संगठनों द्वारा डाले जा रहे दबाव पर अपना रुख कड़ा करते हुए कहा है कि ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी इस मामले में भारत-नीदरलैंड निवेश संधि का हवाला नहीं दे सकती, क्योंकि 11.2 अरब डालर का यह सौदा केमन आइलैंड में हुआ था। कई वैश्विक संगठनों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य मंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार का आयकर कानून में पिछली तारीख से संशोधन के प्रस्ताव से देश में विदेशी निवेश बुरी तरह प्रभावित होगा। सरकार का मकसद इस कानून में संशोधन के जरिये वोडाफोन जैसे सौदों को कर के दायरे में लाने का है।

विवाद की जड़ में सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है, जिसके तहत टूजी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस रद्द कर दिये गये। सरकार पिचले दरवाजे से इस मसले को सुलझाने की कोशिश कर रही है। जिसके तहत राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर व्याख्या मांगी है। लेकिन विदेशी निवेशकों की आस्था लौट नहीं रही। गार के मामले में असमंजस को इसका जिम्मेवार बताया जा रहा है। बहरहाल वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी आज अपने समकक्ष अमेरिकी मंत्री टिमोथी गेटनर से मुलाकात करेंगे। उम्मीद है कि इस मुलाकात के दौरान गेटनर भारत के साथ कारोबार कर रही अमेरिकी कंपनियों की चिंता के मसले पर बातचीत करेंगे।यह बैठक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठक से अलग होगी। कुछ ही दिनों पहले अमेरिकी उद्योग संगठनों ने भारत द्वारा आयकर अधिनियम में पश्चगामी प्रभाव से संशोधन करने के विवादास्पद पहल को भारत के सामने उठाने के लिए अमेरिकी वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने मुखर्जी द्वारा पेश बजट में उस प्रस्ताव के प्रभाव पर चिंता जाहिर की है जिसमें आयकर अधिनियम में पश्चगामी प्रभाव से संशोधन किया गया है ताकि वोडाफोन जैसे विलय और अधिग्रहण के सौदों को कर के दायरे में लाया जा सके जिसमें भारत की परिसंपत्तियां शामिल हैं। ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन ने 2007 में हांगकांग की कंपनी हचिसन का दूरसंचार कारोबार खरीदा था जिसमें 11 अरब डालर की भारतीय परिसंपत्ति भी शामिल है और इस पर आयकर विभाग ने 11,000 करोड़ रुपए के कर की मांग की थी। इधर, मुखर्जी द्वारा भी कई द्विपक्षीय मामलों को उठाने की उम्मीद है। बुधवार अपराह्न न्यूयॉर्क से यहां आने के बाद मुखर्जी ने इस बैठक के संबंध में अपने अधिकारियों और वाशिंगटन में भारतीय राजनयिकों से कई बैठकें कीं। मुखर्जी दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री के साथ आधिकारिक तौर पर द्विपक्षीय वार्ता करेंगे जिसके बाद वह अमेरिकी वित्त मंत्रालय का रुख करेंगे जहां वह गेटनर से मुलाकात करेंगे। वह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के वित्त मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लेंगे।

गौरतलब है कि वोडाफोन ने मई 2007 में भारतीय मोबाइल सेवा कंपनी हचिसन एस्सार में हचिसन की हिस्सेदारी खरीदकर कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था। आयकर विभाग ने इस सौदे के लिए उस पर 11,000 करोड़ रुपए का कैपिटल गेन्स टैक्स लगाया। लेकिन वोडाफोन ने सौदे को इस तरह अंजाम दिया था कि वह कानूनी नुक्तों का फायदा उठाकर टैक्स देने से बच जाती। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट तक ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। लेकिन इस साल के बजट में ऐसा कानूनी संशोधन किया जा रहा है कि वह अब टैक्स देने से बच नहीं सकती। वित्त विधेयक में आयकर अधिनियम की धारा 9 में पुरानी तारीख से प्रभावी संशोधन का प्रस्ताव है जिसके दायरे में भारतीय परिसंपत्तियों से संबंधित विदेशी लेन देन भी आ जाएंगे। मंगलवार को वोडाफोन की डच सहायक कंपनी वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बीवी ने कर विवाद मामले में भारत सरकार को नोटिस जारी करते हुए प्रस्तावित वित्त विधेयक 2012 में पिछली तारीख वाले प्रावधान को संशोधित करने अथवा इसे समाप्त करने की बात कही थी अन्यथा मध्यस्थता प्रक्रिया का सामना करने की चेतावनी दी थी।विदेशों में हुए सौदों को कर के दायरे में लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भारतीय आयकर कानून 1961 में पूर्ववर्ती प्रभाव से संशोधन किए जाने के प्रस्ताव के विरोध में दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाली ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन के नोटिस का वित्त मंत्रालय जबाव देने की तैयारी कर रहा है।

मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि संसद में इस विधेयक के पारित होने के बाद वोडाफोन को जवाब दिया जाएगा क्योंकि यह मामला इससे जुड़ा हुआ है। सरकार इस संबंध में कंपनी से बातचीत कर सकती है। वोडाफोन को दिए जाने वाले जवाव में चीन और ब्रिटेन में इस तरह के हुए संशोधनों का भी उल्लेख भी किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि वोडाफोन के भारत को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में घसीटने की बात को गंभीरता से लिया गया है और सरकार इसके लिए तैयार है, लेकिन सरकार भारतीय आयकर कानून 1961 में पूर्ववर्ती प्रभाव से संशोधन को वापस नहीं लेगी। इस बीच वित्त सचिव आरएस गुजराल ने यहाँ एक कार्यक्रम में कहा कि पूर्ववर्ती प्रभाव से आयकर कानून में संशोधन और जनरल एंटी एवाइडेंस रूल्स (गार) लागू करने के प्रस्ताव का उद्देश्य किसी कंपनियों को हतोत्साहित करना नहीं है। बजट में किए गए इन प्रस्तावों से विदेशी निवेश प्रभावित होने की कंपनियों की चिंताओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा किसी को हतोत्साहित करने या नुकसान पहुँचाने की नहीं है और उद्योग जगत की चिंताएँ दूर की जाएगी।

चिंता में डूबी ब्रिटिश सरकार ने भारत की टैक्स नीतियों में ज्यादा स्पष्टता की मांग की है। वह अपने प्रमुख कॉर्पोरेट स्तंभों में से एक वोडाफोन के लिए जोरदार पैरवी कर रही है। टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन भारतीय टैक्स विभाग के साथ ऐसे विवाद में उलझी है, जो बीते लंबे वक्त से जारी है। टैक्स से जुड़े इस मामले में कंपनी का काफी कुछ दांव पर लगा है। ब्रिटेन के चांसलर ऑफ एक्सचेकर (या फाइनैंस मिनिस्टर) जॉर्ज ऑसबोर्न इन दिनों भारतीय नेताओं से मुलाकात के लिए दिल्ली के दौरे पर हैं। उनका कहना है कि वोडाफोन ने भारत में समुचित तरीके से टैक्स का भुगतान और निवेश किया, लेकिन इसके बावजूद उसके साथ होने वाले व्यवहार को ज्यादती कहा जा सकता है। वोडाफोन ने वर्ष 2001 से 2003 के दौरान अतिरिक्त टू जी स्पेक्ट्रम दिए जाने में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय के सम्मन का जवाब देने के लिए और समय मांगा है। कम्पनी के प्रतिनिधियों ने नई दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से भेंट की और उसके द्वारा मांगी गई जानकारी देने के लिए और समय मांगा। वोडाफोन से वर्ष 2003 से कम्पनी की हिस्सेदारी पद्धति, इसके निदेशकों के नाम और पते तथा इस अवधि के दौरान कम्पनी में हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बारे में जानकारी मांगी गई है।

शेयर बाजार में लिस्टेड निजी कंपनियों को जून 2013 और सरकारी कंपनियों को अगस्त 2013 में अपनी इक्विटी में न्यूनतम पब्लिक हिस्सेदारी 25 फीसदी तक ले आनी है। निजी क्षेत्र की ऐसी 181 कंपनियां हैं, जिन्हें इस शर्त को पूरा करने के लिए 27,000 करोड़ रुपए के शेयर बेचने होंगे। वहीं, ऐसी 16 सरकारी कंपनियों को 12,000 करोड़ रुपए के शेयर पब्लिक को जारी करने होंगे। पूंजी बाजार नियामक, सेबी ने इस बाबत केंद्रीय कैबिनेट सचिव अजित कुमार सेठ को पत्र लिखकर कहा है कि अंतिम तिथि तक यह काम हो जाना चाहिए। मुंबई में लोकल ट्रेन से सफर करने वालों को बुधवार की सुबह काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। बीती रात लोकल के सिग्नल पैनल में आग लगने के बाद कई सिग्नल पैनल खराब हो गए हैं, जिससे कल्याण-सीएसटी के बीच सेंट्रल लाइन का गाड़ियां देरी से चल रही हैं। कुछ गाड़ियां रद्द भी कर दी गई हैं। रेलवे सूत्रों का कहना है कि लोकल सर्विस पूरी तरह से सामान्य होने में 2-3 दिन लग सकते हैं। लेकिन भारतीय अर्थ व्यवस्था कब पटरी पर होगी और खुला बाजार के हिसाब से सरपट दौड़ लगायेगी, उसके लिए कोई समय सीमा तय ही नहीं की जा सकती। राहत की बात यह है कि धुआंधार न होने के बावजूद आईपीएल मौसम में शेचर बाजार टेस्ट पिच बना हुआ है और रन भी थोड़े थोड़े बन रहे हैं।

जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल (जीएएआर) को लेकर अब भी एफआईआई में असमंजस बना हुआ है। जीएएआर किस पर और कब से लागू होगा इसको लेकर एफआईआई चिंतित हैं। आम आदमी की भविष्य निधि, बटत और बीमा को दांव पर लगा देने के बावजूद।देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को तेजी रही। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 111.32 अंकों की तेजी के साथ 17503.71 पर और निफ्टी 32.40 अंकों की तेजी के साथ 5332.40 पर बंद हुआ। बंबई स्टाक एक्सचेंज \[बीएसई] का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 40.50 अंकों की तेजी के साथ 17432.89 पर और नेशनल स्टाक एक्सचेंज \[एनएसई] का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 20.60 अंकों की तेजी के साथ 5320.60 पर खुला। बीएसई के मिडकैप और स्मालकैप सूचकांकों में भी तेजी रही। दूसरी ओर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 37 पैसे गिरकर 52.15 पर बंद हुआ। बुधवार को रुपया 51.78 के स्तर पर पहुंचा था। पूरे कारोबार में ही रुपये में भारी कमजोरी नजर आई। रुपया 51.92 पर खुला और 14 हफ्तों के निचले स्तर के करीब घूमता नजर आया।जानकारों का कहना है कि देश के विकास पर चिंता और आरबीआई के रेपो रेट में और कटौती पर असमंजस बने रहने की वजह से रुपये पर दबाव है। कारोबार खत्म होते वक्त यूरोपीय बाजारों में गिरावट आने की वजह से रुपया फिसला। स्पेन के बॉन्ड्स की निराशाजनक नीलामी का दबाव रुपये पर दिखा।

आयकर अधिनियम में पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधन किए जाने के मसले को लेकर वोडाफोन के सरकार को नोटिस दिए जाने के बाद आज वित्त मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कंपनी की इस कार्रवाई को 'जल्दबाजी में उठाया गया' और अटकलों पर आधारित कदम बताया। एक तरफ ब्रिटिश कंपनी, वोडाफोन पांच साल पहले भारत में किए गए अधिग्रहण पर 11,000 करोड़ रुपए का टैक्स देने से बचने के लिए दुनिया भर में लॉबीइंग करवा रही है, वैश्विक व्यापार व उद्योग संगठनों से बयान दिलवा रही है, दूसरी तरफ भारत सरकार उस पर टैक्स लगाने के अपने इरादे पर डटी है। इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने आयकर कानून में पिछली तारीख से लागू होनेवाला ऐसा संशोधन किया है जिससे भारत की आस्ति को दुनिया में कहीं भी, किसी रूप में बेचने पर टैक्स लगाया जाएगा। इसके ऊपर से अब वित्त मंत्रालय ने जोर देकर कहा है कि ऐसे सौदों पर टैक्स लगाना कहीं से भी अनुचित नहीं है, बल्कि ऐसे सौदों पर तो ब्रिटेन से लेकर अमेरिका और तमाम यूरोपीय देशों तक में टैक्स लगाया जाता है। वित्त सचिव आर एस गुजरात ने समाचार एजेंसी पीटीआई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) के साथ बातचीत में कहा, "घरेलू आस्तियों के विदेश में होनेवाले विलय व अधिग्रहण सौदों पर अमेरिका, ब्रिटेन, अन्य ओईसीडी देशों और चीन तक में टैक्स लगता है। वित्त सचिव ने ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन की इस हरकत पर भी सवाल उठाया कि वह कैसे यह कहकर भारत-नीदरलैंड निवेश संधि का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है कि उसका 11.2 अरब डॉलर का अधिग्रहण सौदा केमैन आइलैंड में हुआ है।

राजस्व सचिव आर एस गुजराल का कहना है कि सरकार जीएएआर के जरिए टैक्स चोरी पर शिकंजा कसना चाहती है। अगर एफआईआई का मकसद सिर्फ टैक्स बचाना हो, तभी जीएएआर लागू किया जाएगा।आर एस गुजराल के मुताबिक जीएएआर को पुरानी तारीख से लागू नहीं किया जाएगा। जीएएआर 1 अप्रैल 2012 के बाद की एफआईआई की कमाई पर लगाया जाएगा। अगर एफआईआई टैक्स चुकाते हैं, तो जीएएआर लागू नहीं होगा। आर एस गुजराल ने भरोसा दिलाया है कि जीएएआर को एफआईआई को परेशान करने के लिए नहीं किया जाएगा। जीएएआर किसी खास देश से आने वाले विदेशी निवेश के लिए नहीं बनाया गया है।साथ ही, पी-नोट्स धारकों पर जीएएआर लागू नहीं होगा। अगर पी-नोट्स पर टैक्स की देनदारी बनती है, तो एफआईआई से टैक्स वसूल किया जाएगा। जीएएआर के अलावा सरकार के सामने डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सरकार को 1 अप्रैल 2013 से डीटीसी लागू करने का भरोसा है।आर एस गुजराल का कहना है कि डीटीसी के ज्यादातर प्रस्तावों पर आम सहमति बन चुकी है। डीटीसी को लेकर 6-7 मुद्दों पर बातचीत जारी है।इसके अलावा सरकार को गुड्स और सर्विस टैक्स (जीएसटी) पर राज्यों के बीच सहमति बनने का इंतजार है। सरकार अप्रैल 2013 से जीएसटी लागू करना चाहती है।

ब्रैंडेड गहनों पर एक्साइज लगाने और सोने-चांदी के आया पर कस्टम ड्यूटी बढ़ने का ज्वैलर्स जमकर विरोध कर रहे हैं। आर एस गुजराल के मुताबिक वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ज्वैलर्स की परेशानियों का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक कोल इंडिया की ओर से पावर कंपनियों के साथ फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट (एफएसए) करने के लिए और वक्त लग सकता है।माना जा रहा है कि कोल इंडिया की 16 अप्रैल को बोर्ड बैठक होने वाली है। इस बोर्ड बैठक में कोल इंडिया की ओर से एफएसए पर दोबारा विचार किए जाने की संभावना है। कोल इंडिया को 20 अप्रैल तक पावर कंपनियों के साथ एफएसए पर साइन करना है। वहीं राष्ट्रपति के निर्देशों के मुताबिक कोल इंडिया को 15 दिनों के अंदर एफएसए करना है।सूत्रों का कहना है कि कोल इंडिया की ओर से साल 2012-15 के बीच वाले पावर प्रोजेक्ट को कोल सप्लाई करने के मुद्दे पर सफाई चाहिए। इसके अलावा अगले 3 साल में शुरू होने वाले प्रोजेक्ट पर भी कोल इंडिया सफाई मांग सकता है। इस बीच 6 महीने के इंतजार के बाद केर्न इंडिया को मंगला ब्लॉक का उत्पादन बढ़ाने की इजाजत मिल गई है। अब कंपनी ब्लॉक से 1.5 लाख बैरल प्रतिदिन का उत्पादन कर सकेगी। शायद इसे उद्योग जगत को सकारात्मक संकेत देने का प्रयास मान भी लिया जाये।लगातार ज्यादा उत्पादन जारी रखने और यातायात की पर्याप्त की व्यवस्था का सबूत देने के बाद ही सरकार ने केर्न इंडिया को उत्पादन बढ़ाने की मंजूरी दी है। सरकार ने कंपनी की क्षमता की जांच दूसरी एजेंसी से भी करवाई थी।केर्न इंडिया राजस्थान के भाग्यम ब्लॉक क्षेत्र से भी 25000 बैरल प्रति दिन तेल निकालती है। मंगला ब्लॉक का उत्पादन बढ़ने के बाद कंपनी का रोजाना उत्पादन 1.75 लाख बैरल होगा।

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सवाल उठाते हुए कहा, ''व्यापारिक संगठन सरकार पर इस बात के लिए दबाव नहीं डाल सकते कि किस पर कर लगना चाहिए और किस पर नहीं। इसी तरह का पिछली तारीख से संशोधन ब्रिटेन में पिछले महीने हुआ था और वहां वोडाफोन को कर चुकाना पड़ा था। ऐसे में वोडाफोन को भारत में क्यों इस तरह की समस्या आ रही है।'' इन संगठनों ने अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गेथनर से आग्रह किया है कि वह इस विवादास्पद मुद्दे को अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की वाशिंगटन में होने वाली बैठक में उठाएं। वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने वोडाफोन द्वारा कर मामले में नीदरलैंड के साथ निवेश संधि को लागू करने की धमकी के बारे में कहा द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि :बीपा: में पंचाट की धारा वोडाफोन-हचिसन सौदे के संबंध में लागू नहीं होती है, क्योंकि इस पर दस्तखत केमन आइलैंड में किए गए थे। अधिकारी ने कहा कि यह सौदा केमन आइलैंड में हुआ और वे इस मामले में भारत-नीदरलैंड संधि को लागू करना चाहते हैं। अधिकारी ने कहा, ''उच्चतम न्यायालय में वोडाफोन कहती है कि यह सौदा भारत से बाहर बीपा के तहत हुआ है, वहीं साथ ही वह यह भी कह रही है कि उसने भारत में उल्लेखनीय निवेश किया हुआ है।''

इसी सप्ताह वोडाफोन की नीदरलैंड इकाई ने सरकार को 'विवाद नोटिस' जारी करते हुए द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत मामले को अंतरराष्ट्रीय पंचाट में ले जाने की धमकी दी थी।  वित्त विधेयक, 2012 का प्रस्तावित संशोधन यदि लागू हो जाता है, तो इससे वोडाफोन द्वारा हचिसन की खरीद का सौदा कर दायरे में आ जाएगा। ऐसे में ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी को 2007 में हचिसन एस्सार में एचिसन की हिस्सेदारी की खरीद के सौदे में 11,000 करोड़ रुपये का कर चुकाना होगा।

[B]मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास की रिपोर्ट.[/B]

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