Friday, April 20, 2012

भविष्य निधि, जीवन बीमा के बाद आम आदमी के बचत में भी कैंची!

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[LARGE][LINK=/index.php/yeduniya/1187-2012-04-19-11-13-06]भविष्य निधि, जीवन बीमा के बाद आम आदमी के बचत में भी कैंची! [/LINK] [/LARGE]
Written by एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास Category: [LINK=/index.php/yeduniya]सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार[/LINK] Published on 19 April 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=caa1e916d923633872a9d63328310836c2ab6443][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/yeduniya/1187-2012-04-19-11-13-06?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
आरबीआई ने बाजार की उम्मीद से ज्यादा रेपो रेट में कटौती की है। रेपो रेट 0.5 फीसदी घटकर 8 फीसदी हो गया है। आगे भी आरबीआई की ओर से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। मौद्रिक नीति के तहत कारपोरेट जगत और बैंकों को राहत देकर रिजर्व बैंक ने आम आदमी की जेब काटने का पूरा बंदोबस्त किया है। ब्याज​ ​दरों में कटौती होने पर बचत घटेगी। हालांकि फिलहाल इसे टाला गया है। पहले ही शेयर बाजार के खेल में भारतीय जीवन बीमा निगम के ​​29 करोड़ ग्रोहकों को चूना लग गया है। अब प्रीमियम राशि की वापसी की गारंटी भी नहीं है। अब बैंकों के बचत खाते में कैंची चलने पर आम आदमी की क्या दुर्गति होनी है, इस पर सरकारी अर्थशास्त्री खामोश हैं। सरकारी कर्मचारियों की भविष्यनिधि के ब्याज में तो लगातार कटौती की जाती ​​रही है। जब संगठित क्षेत्र के कामकाजी लोग ही बेबस हों तो आम आदमी की क्या औकात कि बाजार के हितों के मुकाबले अपने आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए लड़ने की सोचने तक की जुर्रत करें। अग्नि पांच के परीक्षण से भारतीय सेना की मारक क्षमता की जद में आधी दुनिया होगी। मौसम के हिसाब से परीक्षण डिले जरूर हुआ है, पर रक्षा खर्चों में लगातार इजाफा तय है। ईंधन संकट भी फिलहाल सुधरने के आसार नहीं है। सरकार की एकमात्र चिंता बाजार को चंगा बनाये रखने के लिए है और इसके लिए प्रणव दादा कुछ भी करेंगे। आम आदमी की शामत आयी हुई है। उपभोक्ता बाजार पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। दिल्ली में नगर निगम चुनावों में कांग्रेस की हार का मतलब यह कतई न समझें कि  आम आदमी की मुश्किलें आसान हो जायेंगी।

मार्च में महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी के साथ-साथ सरकार को कोई खास राहत नहीं मिली है।मार्च में रिटेल महंगाई बढ़कर 9.47 फीसदी रही है। जबकि फरवरी में रिटेल महंगाई 8.83 फीसदी रही थी।हालांकि, मार्च के थोक महंगाई में हल्की गिरावट दिखी है। फरवरी के 6.95 फीसदी के मुकाबले मार्च में थोक महंगाई 6.89 फीसदी रही है। वहीं मार्च में प्राइमरी आर्टिकल्स और खाद्य महंगाई में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन मार्च में मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट और ईंधन की महंगाई दरों में गिरावट दर्ज की गई है।रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2012-13 के लिए ऋण एवं मौद्रिक नीति की घोषणा के तहत अर्थव्यवस्था की शिथिलता दूर करने के लिए रेपो और रिवर्स रेपो दरों में पिछले 3 वर्षो में पहली बार 0.50 प्रतिशत की कटौती का ऐलान किया। हालाँकि साथ ही उसने महँगाई के मौजूदा स्तर को असहज बताते हुए आगे रेट कटौती की गुंजाइश सीमित रहने की बात भी कही।

रेपो रेट घटने से उद्योग का मूड सुधरेगा। साथ ही, कर्ज सस्ता होने की उम्मीद भी बढ़ गई है। आरबीआई ने 3 साल के बाद रेपो रेट घटाया है। जानकारों के मुताबिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने फैसला लिया है। लेकिन, अब सरकार को भी कदम उठाने चाहिए। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन, सी रंगराजन का कहना है कि आरबीआई का कदम काफी अच्छा है। विकास में आए धीमेपन को देखते हुए आरबीआई ने रेपो रेट घटाया है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष, मोंटेक सिंह अहलूवालिया का मानना है कि क्रेडिट पॉलिसी उम्मीद के मुताबिक ही रही है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाना से अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है। बजट में जीएएआर के प्रस्ताव के विदेशी निवेशक देश में निवेश करने से कतरा रहे हैं। रियल्टी सेक्टर के लिए अच्छी खबर है। दरों में और कटौती होने से निवेशकों में देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा लौटेगा। आरबीआई के कदम से होम लोन सस्ता होगा और कंपनियों के कर्ज का बोझ भी कम होगा। अफोर्डेबल हाउसिंग को भी बढ़ावा मिल सकता है। कर्ज सस्ता होने पर ऑटो सेक्टर में नई जान आ सकती है।  

बहरहाल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में की गई कटौती का लाभ शहरवासियों को कुछ दिन बाद ही मिलेगा। केंद्रीय बोर्ड से शहरों की बैंकों को दिशा निर्देश नहीं मिलने से फिलहाल ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में की गई 0.50 प्रतिशत कटौती से ब्याज दरों में गिरावट होना तय है। बुधवार सुबह बैंक पहुंचे लोगों ने ब्याज दरों में कटौती के बारे में अधिकारियों से बात की तो कहा गया कि अभी उनको केंद्रीय बोर्ड से इस संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। अधिकारियों का कहना है कि आदेश को अमलीजामा पहनाने में कुछ समय लगेगा। रिजर्व बैंक के प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करते ही बैंकों ने इसका फायदा ग्राहकों को पहुंचाना शुरू कर दिया है। रेपो रेट घटने के बाद ब्याज दरों में कटौती करने वाला पहला बैंक है आईडीबीआई बैंक जिसने कर्ज 0.25 फीसदी सस्ता कर दिया है। कटौती के बाद आईडीबीआई बैंक का बेस रेट 10.5 फीसदी और बीपीएलआर 15 फीसदी हो गया है। दरों में कटौती 20 अप्रैल से लागू होगी। उम्मीद है कि जल्द ही दूसरे बैंक भी दरों में कटौती करेंगे। सीआईआई, एसोचैम और फिक्की जैसे शीर्ष औद्योगिक संगठनों ने एक सुर में रिजर्व बैंक के नरम रुख की सराहना करते हुए मौद्रिक नीति को देश की आर्थिक विकास दर में तेजी लाने वाला बताया है। आरबीआई के इस कदम से जहां औद्योगिक उत्पादन में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं इससे निवेश को बढ़ावा मिलने की भी पूरी-पूरी आशा है। भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य मंडल (एसोचैम) का कहना है कि मूल दरों के में कटौती से कर्ज सस्ता होगा, जिससे कि निवेश का वातावरण बनेगा।भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (फिक्की) आरबीआई के कदम को सराहनीय बताते हुए उम्मीद जताई है कि रिजर्व बैंक के बाद अब सरकार भी बड़ा कदम उठाते हुए राजकोषीय घाटा कम करने की दिशा में प्रयास करेगी। इसके लिए पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती सब्सिडी को कम करने की दिशा में मजबूत कदम उठाया जा सकता है। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार को अब वित्तीय सुधारों पर दृढ़ता से जोर देना चाहिए।

केंद्र और राज्य दोनों प्रस्तावित अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को जल्दी लागू करने के पक्ष में हैं। जीएसटी लागू करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए केंद्र और राज्यों ने लचीला रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। प्रणव मुखर्जी ने बाजार के अनुकूल डीटीसी तो आखिर लागू कर ही दिया और आयकर संशोधनों को बी बाजार के हिसाब से दुरुस्त होने की औपचारिकता बाकी है। अब बारी जीएसटी की है। ​​गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) अगले साल यानी एक अप्रैल-2013 से लागू हो सकता है। यह उम्मीद राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के चेयरमैन सुशील कुमार मोदी ने जताई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जाएगी और कुछ राज्यों की विधानसभा से भी इसकी पुष्टि होनी है। यह सब 31 मार्च 2013 तक कर लिया जाएगा।समिति की बैठक के बाद मोदी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि आने वाले दिनों में चीजें तेजी से बदलेंगी, क्योंकि वित्तीय मामलों पर गठित संसद की स्थायी समिति 24 मई को बजट सत्र समाप्त होने के बाद विधेयक पर चर्चा करेगी। रिटेल एफडीआई के साथ जीएसटी से कारोबार पर एकाधिकार घरानों का वर्टस्व ही बढ़ना है। नौकरियां अब नहीं मिलतीं, स्थाई नौकरी तो​ ​ कतई नहीं। चुनाव से पहले ममता दीदी लाखों को नौकरी देने का गाजर चूसा रही थीं। अब उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिये। नौकरी के बजाय कारोबार और लघु उद्यम पर उनका जोर है। क्या नयी आर्थिक नीतियों में बिना बड़ी पूंजी के यह संभव है?

तेल कंपनियों ने फिलहाल पेट्रोल के दाम नहीं बढ़ाने के संकेत दिए हैं। तेल कंपनियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उत्पाद शुल्क में कमी या ईंधन की बिक्री पर उन्हें 49 करोड़ रुपए रोजाना हो रहे नुकसान की भरपाई नहीं की गई तो वे पेट्रोल की कीमत में 9.6 रुपए प्रति लीटर तक की वृद्घि कर सकती हैं। इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के चेयरमैन आरएस बुटोला ने कहा- हमने काफी धैर्य रखा है। उत्पादन लागत बढ़ने के बावजूद दिसंबर से कीमत नहीं बढ़ाई गई, लेकिन कर्ज लेने तथा देश के लिए ईंधन उत्पादन करने की हमारी सीमा है। आरएस बुटोला ने कहा कि हमने सुझाव दिया है कि सरकार को अस्थायी रूप से नियंत्रण मुक्त व्यवस्था समाप्त कर देनी चाहिए और उत्पादन लागत तथा बिक्री मूल्य के बीच अंतर को पाटने के लिए सब्सिडी दी जानी चाहिए। विकल्प के रूप में सरकार एक लीटर पेट्रोल की बिक्री पर ग्राहकों से लिए जाने 14.78 रुपए उत्पाद शुल्क में कटौती करें। राज्य भी 15 से 33 प्रतिशत (10.30 रुपए प्रति लीटर से 18.74 रुपए प्रति लीटर तक) का मूल्यानुसार कर लगाते हैं। कीमत वृद्घि से बचने के लिए इसमें भी कटौती की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर सुझाव को स्वीकार नहीं किया गया तो हमारे पास पेट्रोल के दाम में 8.04 रुपए प्रति लीटर की वृद्घि के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। कर जोड़ने के बाद कीमत में वृद्घि 9.60 रुपए प्रति लीटर के लगभग होगी।

भारत आज पहली बार अपनी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि−5 का परीक्षण करने की तैयारी की थी लेकिन खराब मौसम की वजह से यह टालना पड़ा है। उड़ीसा के बालासोर में बारिश जारी है और यह शाम से शुरु हुई बारिश काफी देर तक जारी रही। यह खबर अभी आधिकारिक रूप से नहीं कही गई है। अगला परीक्षण कब होगा इसकी घोषणा नहीं की गई है।  रक्षा मंत्रलय के प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। ज्ञात हो कि 5000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम इस मिसाइल का परीक्षण बुधवार को ओडिशा के भद्रक जिले के ह्वीलर्स द्वीप से किया जाना था। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार ने बताया, 'मिसाइल का परीक्षण गुरुवार तक टाल दिया गया है।'

इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने बुधवार को कहा कि भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि की पूरी क्षमता को हासिल करने के लिए आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ानी होगी। आईएमएफ ने हालांकि भारत में महंगाई की ऊंची दर पर चिंता जताई है। भारत के साथ विचार विमर्श के बाद आईएमएफ ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को महंगाई को और बढ़ने से रोकने के लिए दरों में बढ़ोतरी के लिए तैयार रहना चाहिए। यूरोपीय बाजारों से मिल रहे कमजोर संकेतों के चलते घरेलू बाजार भी मामूली तेजी के साथ बंद हुए। कारोबार के आखिर में बिकवाली का दबाव बढ़ने से बाजारों ने तेजी गंवाई। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अल्पकालिक ब्याज दरों रेपो और रिवर्स रेपो में उम्मीद से अधिक की कटौती ने घरेलू शेयर बाजार में मंगलवार को टॉनिक का काम किया। ब्याज के प्रति संवेदनशील रीयलटी, ऑटो और बैकिंग इंडेक्स के शेयरों में जमकर लिवाली रही जिससे सेंसेक्स 206.99 अंक की तेजी दर्ज कर 17357.94 अंक पर और निफ्टी 63.50 अंक ऊपर 5289.70 अंक पर बंद हुआ। अन्य एशियाई बाजार भारी तेजी के साथ बंद हुए। जापान का निक्केई 2 फीसदी से अधिक की तेजी के साथ 9667 के स्तर पर और हैंगसेंग 1 फीसदी की तेजी के साथ 20781 के स्तर पर बंद हुआ। यूरोपीय बाजारों के लाल निशान में खुलने का घरेलू बाजारों पर दबाव दिखा। बाजार की तेजी पर ब्रेक लगता नजर आया। हालांकि, जल्द बाजार संभलते नजर आए। रिजर्व बैंक की उम्मीद से 'दोगुनी दरियादिली' ने उद्योग जगत में नया जोश भर दिया है। सालाना मौद्रिक समीक्षा से पहले माना जा रहा था कि आरबीआई रेपो दर में चौथाई फीसदी कटौती कर सकता है, पर दरें आधी फीसदी कम कर आरबीआई ने उद्योग और कारोबार जगत को उनकी उम्मीद से दोगुनी राहत दे दी है।

सरकार निजी कंपनियों के फायदे के लिए किस हद तक जा सकती है , कोयला आपूत्रि सुनिश्चित करने के लिए पीएमो की दखल और ​राष्ट्रपति की डिक्री से जगजाहिर हो गया। अब आगे आगे देखिये,कैसे कैसे गुल खिलते हैं। फिलहाल घरेलू वित्तीय संस्थानों से अपनी औकात से ज्यादा कर्ज ले चुकी बिजली कंपनियों की समस्या के समाधान के लिए सरकार ने नया फॉर्मूला निकाला है। अब ये कंपनियां विदेश से कर्ज लेकर घरेलू बैंकों के उधार की अदायगी कर सकेंगी। इससे बिजली कंपनियों को नए सिरे से घरेलू बैंकों से कर्ज मिलना भी शुरू हो जाएगा।वित्त मंत्रालय ने विशेष रियायत देते हुए बिजली कंपनियों को नए सिरे से विदेशी वाणिज्यिक कर्ज \[ईसीबी] लेने एवं इसका 40 फीसदी हिस्सा घरेलू बैंकों से लिए गए कर्ज का भुगतान करने को कहा है। यह शर्त भी है कि इस कर्ज का 60 फीसदी हिस्सा बिजली परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आम बजट 2012-13 पेश करते हुए कहा था कि बिजली परियोजना लगाने वाली कंपनियों को सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध कराने के लिए उपाय किए जाएंगे। रिजर्व बैंक भी इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी करेगा।

प्रमुख खाद्य वस्तुओं यानि प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर बढ़कर 9.62 फीसदी हो गई है, जबकि फरवरी में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर 6.28 फीसदी रही थी। मार्च महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी बढ़कर 10 फीसदी के करीब पहुंच गई है। खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 9.94 फीसदी रही है, जबकि फरवरी में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 6.07 फीसदी रही थी। मार्च महीने में मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई दर घटकर 5 फीसदी के नीचे आ गई है। मार्च में मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 4.87 फीसदी रही है, जबकि फरवरी में मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 5.75 फीसदी रही थी। फ्यूल ग्रुप की महंगाई दर भी घटकर 10.5 फीसदी के पास आ गई है। मार्च में फ्यूल ग्रुप की महंगाई दर 10.41 फीसदी पर रही है, जबकि फरवरी में फ्यूल ग्रुप की महंगाई दर 12.83 फीसदी रही थी। बढ़ते लागत मूल्य और आम बजट में हुए टैक्स बढ़ोतरी को एसी और फ्रिज कंपनियों ने सीधे तौर पर आम ग्राहकों पर डालना शुरू कर दिया है। इससे जहां एसी कीमतों में तीन से सात हजार रुपये का इजाफा हुआ है, वहीं फ्रिज की कीमतों मे दो से तीन हजार रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस बढ़ोतरी को उठाना आम आदमी के लिए काफी मुश्किल हो रहा है। यही कारण है कि बढ़ती महंगाई के बीच अब आम आदमी ने इन बढ़ी कीमतों को देखते हुए अपने बजट को कम दिया है। औद्योगिक संगठन एसोचैम के सर्वे के अनुसार एसी और फ्रिज की बिक्री अप्रैल से तेजी पकड़नी शुरू हो जाती है। मगर इस बार जो मार्केट में पहले जैसी तेजी देखने को नहीं मिल रही है। इसका प्रमुख कारण महंगाई के साथ बढ़ती कीमतों का होना है। एसोचैम का कहना है कि इसमें दो राय नहीं है कि पिछले तीन माह के दौरान इन प्रोडक्टों के लागत मूल्यों में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके साथ एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से इस पर जो बोझ बढ़ा है, उसने इन प्रोडक्ट को अनुमान से ज्यादा महंगा बना दिया है।

छुट्टियों का मौसम शुरू होने से पहले ही सभी विमानन कंपनियों ने पिछले कुछ दिनों में कई व्यस्त मार्गो पर अपने विमान किराए 10-25 फीसदी तक बढ़ा दिए है। बजट सेवाएं मुहैया कराने वाली विमानन कंपनियों समेत अन्य कंपनियों द्वारा किराया बढ़ाने की एक प्रमुख वजह यह है कि वे तंगहाल किंगफिशर एयरलाइन्स की सेवाओं में कटौती का फायदा उठा रही हैं। हालांकि, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) का एक स्पेशल सेल किराए पर हमेशा नजर रखता है। अधिकारियों का कहना है कि किराए में जो बढ़ोतरी की गई है वह पहले से प्रस्तावित किराए से ज्यादा नहीं है। अगर किराया इससे ऊपर जाता है तो सरकार कार्रवाई कर सकती है। जिन रूटों पर किराया बढ़ाया गया है उसमें दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-बेंगलुरु, दिल्ली-कोलकाता आदि हैं। दिल्ली-मुंबई रूट पर किराया जहां पहले 9 से 10 हजार के बीच था वह अब बढ़कर 11 से 22 हजार के बीच हो गया है। इसी तरह दिल्ली-बेंगलुरु रूट पर किराया 12 से 15 हजार के बीच था जो अब बढ़कर 17 से 23 हजार के बीच हो गया है। दिल्ली-कोलकाता रूट पर किराया पहले के 10 से 12 हजार के बीच से बढ़कर 15 से 18 हजार के बीच हो गया है।  

उद्योग जगत को सबसे बड़ी राहत यह मिली है कि दरें घटने से उसे अब सस्ता कर्ज मिल सकेगा, जिससे कि उसके सामने अर्से से खड़ा पूंजी का संकट हल हो सकेगा। औद्योगिक विकास दर (आईआईपी) के एक के बाद एक निराशाजनक आंकड़ों से हताश उद्योग कई बार पूंजी की तंगी का रोना रो चुके हैं। बीते हफ्ते जारी आंकड़ों में फरवरी में औद्योगिक उत्पादन की विकास दर महज 4.1 फीसदी पर दर्ज की गई, जबकि जनवरी का संशोधित आंकड़ा 6.8 से सीधे 1.1 फीसदी पर आ गिरा। इस तगड़े झटके के बाद उद्योगों ने एक बार फिर कर्ज सस्ता किए जाने की गुहार लगाई थी, जिसे पूरा करते हुए रिजर्व बैंक ने रेपो दर में आधे फीसदी की कमी कर दी है। रेपो रेट के घटकर 8 फीसदी पर आने को उद्योग जगत एक बड़ी राहत के रूप में देख रहा है।

[B]मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास की रिपोर्ट. [/B]

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