Saturday, April 21, 2012

सेंसरशिप के खिलाफ कल जंतर मंतर पर 'फ्रीडम इन द केज'

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Details Category: [LINK=/print.html]प्रिंट, टीवी, वेब, ब्लाग, सिनेमा, साहित्य...[/LINK] Published Date Written by B4M
: [B]सेव योर वॉयस की पहल[/B] : इंटरनेट पर सेंसरशिप लगाने की सरकार की कोशिश के फैसले के खिलाफ लम्‍बे समय से अभियान चला रहा 'सेव योर वॉयस' ने विरोध की एक अनोखी पहल की है. सेव योर वॉयस की टीम 22 अप्रैल को जंतर-मंतर पर सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक क्रिएटिव प्रोटेस्‍ट करने की तैयारी की है. इस प्रोटेस्‍ट के माध्‍यम से सरकार को जगाने का प्रयास किया जाएगा. सेव योर वॉयस की टीम इसके पहले भी सरकार तथा कपिल सिब्‍बल के इंटरनेट पर सेंसर लगाने का विरोध कर चुकी है.

[B]क्या है फ्रीडम इन द केज़[/B] : केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इन्टरनेट को सेंसर करने की कोशिशों के विरोध में सेव योर वॉयस अभियान की ओर से 22 अप्रैल, रविवार को जंतर मंतर पर एक क्रिएटिव प्रोटेस्ट किया जा रहा है, जिसका नाम दिया गया है 'फ्रीडम इन द केज़'. इस प्रोटेस्ट में जंतर मंतर परिसर में कई आदमकद पिंजरे लगे होंगे और उनके अंदर विभिन्न कलाकार, संगीतकार और ब्लोगर्स कैद होंगे. इस विजुअल प्रोटेस्ट के माध्यम से हम ये सन्देश देंगे कि इंटरनेट सेंसरशिप के ज़रिये सरकार ने हमारी अभिव्यक्ति की आज़ादी को हाशिए पर ला दिया है. इस कार्यक्रम में उपस्थित बाकी लोग भी मुह पर पट्टी बाँध कर सांकेतिक विरोध दर्ज कराएँगे. इस प्रोटेस्ट के माध्यम से आई टी रूल्स 2011 के खिलाफ राज्य सभा में आ रहे एनलमेंट मोशन का समर्थन करेंगे और उच्च सदन से अपील करेंगे कि इस प्रस्ताव को पास कर इसे लोकसभा को भेजें.

[B]आई टी रूल्स-2011 और राज्यसभा में एनलमेंट मोशन[/B] : सरकार ने इंटरनेट की आज़ादी पर अंकुश लगाने के लिए 11 अप्रैल, 2011 को आई टी एक्ट में इंटरमीडिएरी लायबिलिटी रूल्स ऐड को ऐड कर दिया. इस नियम के बाद से गूगल, याहू समेत सभी सर्च इंजन्स, फेसबुक, ट्विटर और ब्लोगर्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, सभी डोमेन प्रोवाइडर्स, वेबसाइट होस्टिंग कम्पनियाँ और सभी आईएसपीज़ किसी भी उचित या अनुचित कंप्लेन पर कंटेंट को बैन करने के लिए बाध्य हैं, वह भी बिना किसी पूर्व सूचना के. यह कानून 'प्रिशम्प्सन ऑफ इनोसेंस' के खिलाफ है और 'न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत' की अनदेखी करता है. सीपीएम सांसद पी राजीव आई टी रूल्स 2011 के खिलाफ राज्यसभा में एक एनलमेंट मोशन ला रहे है, जो कि 23 अप्रैल के बाद कभी भी राज्यसभा में पेश हो सकता है. फ्रीडम इन द केज़ के माध्यम से हम उच्च सदन से अपील करेंगे कि इस एनलमेंट मोशन को पास कर हमारी अभिव्यक्ति की आज़ादी को बहाल करें.

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