Tuesday, March 20, 2012

अखिलेश की सरकार पर मुलायम का चाबुक

अखिलेश की सरकार पर मुलायम का चाबुक


Tuesday, 20 March 2012 10:42

अंबरीश कुमार 
लखनऊ, 20 मार्च। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार पर अंतत: पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को चाबुक फटकारना ही पड़ा। सोमवार को यहां मुलायम सिंह को खुद कहना पड़ा कि इस सरकार के मंत्री अराजकता से बाज आए वरना उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं पर समूचा मंत्रिमंडल मुलायम सिंह का है, जो सभी को साथ लेने के चक्कर में विवादों में भी घिरा है। 
पहला मुद्दा समाजवादी पार्टी की पुरानी संस्कृति का है, जो कई बार लोकतंत्र को भी लूट लेती रही है। इसी वजह से पार्टी की छवि खराब हुई थी। बहुमत आने के बाद से जो घटनाएं हुई, उससे यह छवि दरके, इससे पहले ही कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। आज फिर दिखाया गया। साथ ही मंत्रियों को चेतावनी भी दी गई कि अब परंपरा बदल गई है। नहीं माने, तो दंडित भी किए जाएंगे। 
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को कहा- मंत्रिमंडल के सभी सदस्य अपने स्वागत समारोहों में आतिशबाजी और फायरिंग से बचें। उन्होंने कहा स्वागत समारोहों में मालाएं पहनाई जा सकती हैं लेकिन ऐसा कोई काम नहीं होना चाहिए, जिससे जनता को असुविधा हो। मुलायम सिंह यादव ने यह भी साफ किया कि केंद्र सरकार में समाजवादी पार्टी शामिल नहीं हो रही है। हम केंद्र सरकार को सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता में आने से रोकने के लिए ही समर्थन दे रहे हैं। हमारी भूमिका विपक्ष की है। 
इससे पहले पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने कहा-समाजवादी पार्टी की जीत और सरकार बनने का जश्न बहुत मना लिया। अब वे अपने-अपने इलाकों में लौट जाएं और 2014 में लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी सीटें जीतने के लक्ष्य के लिए काम करने में जुट जाएं। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं से पार्टी बनती है और वह मंत्री बनाती है। मैं जनता के साथ रहूंगा। हम आपस में मिल कर काम करेंगे। सरकार पर अंकुश लगाएंगे। 

दरअसल, सारा मामला छवि का है। मुलायम की छवि ध्वस्त कर मायावती सत्ता में लौटी थीं पर उन्होंने और उनके मंत्रियों ने जो किया, उसके चलते बसपा की नई छवि बनी। वह बसपा जिसका मजबूत दलित जनाधार कांशीराम ने तैयार किया था और एक नया राजनीतिक एजंडा मायावती को थमाया था, उसे मायावती ने खुद, उनके दो चार अफसरों और दर्जनों मंत्रियों ने ध्वस्त कर दिया। इस बार तो उनका सर्वजन गया और गैर जाटव वोट बैंक भी दरक गया। यह खतरे का संकेत है। उससे ज्यादा जोखिम भरा रास्ता समाजवादी पार्टी का है।
मुलायम सिंह के साथ जब यह संवाददाता आजमगढ़ की बड़ी रैली से लौट रहा था, तो रास्ते में बलराम यादव ने मुलायम से कहा था-नेताजी, यह भीड़ इस कुशासन के खिलाफ आई है। अगर हम भी इस रास्ते पर चले, तो अगली बार यह जनता हमें भी सत्ता से बेदखल कर देगी। यह बात मुलायम अच्छी तरह जानते हैं। जब से यह चर्चा तेज हुई कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री जरूर है पर समूची कैबिनेट मुलायम सिंह की है, तब से मुलायम की भी जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। 
जब अमरोहा के मंत्री महबूब अली के स्वागत में राइफल और कट्टे निकले, तो फिर खुद मुलायम सिंह को यह तेवर दिखाना पड़ा। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक संस्कृति में हथियारों का काफी महत्त्व है। इस पर अगर अंकुश लगाने का प्रयास अखिलेश यादव के राज में न हुआ, तो उनका रास्ता भी आसान नहीं होगा।


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