Sunday, 06 May 2012 13:29 |
विनीत कुमार पिछले एक साल के घटनाक्रम पर गौर करें तो सरकार ने जिस तरह मीडिया से जुड़े प्रावधानों का प्रयोग किया है, उससे मीडिया के भीतर असुरक्षा का भाव पैदा हुआ है। ऐसा माहौल बनाने में न्यायमूर्ति काटजू के कुछ बयानों की भी भूमिका रही है। मगर पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम पर उन्होंने जिस तरह चुप्पी साध रखी थी और मीडिया अपने तरीके से लगातार मनमानी करता रहा, तो क्या उनके बयान मीडिया सुधार से कहीं ज्यादा किसी खास रणनीति का हिस्सा हैं! यह सवाल इसलिए भी उठता है, क्योंकि जिस तत्परता से सरकार की ओर से अपलिंकिंग-डाउनलिंकिंग गाइडलाइन 2005 का संशोधित रूप लाया गया, मीडिया मॉनिटरिंग सेल की रिपोर्ट पेश की गई, जस्टिस काटजू ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की गड़बड़ियों को क्रमबद्ध तरीके से पेश किया, साल भर बाद मीडिया पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि जिस अण्णा आंदोलन को सरकार ने मीडिया का उतावलापन और टीवी की पैदाइश बताया था, उस संबंध में जब एक दर्शक ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मीडिया मॉनिटरिंग सेल से फुटेज की मांग की तो उसके पास दिखाने-बताने के लिए कुछ भी नहीं था। (जनसत्ता, 18 दिसंबर, 2011) मंत्रालय और मीडिया पर नजर रखने वाला उसका प्रकोष्ठ इस संबंध में कितना गंभीर है, खुल कर सामने आ गया। लाइसेंस किसी और चैनल के लिए, और चला रहा कोई और मीडिया संस्थान। विडंबना यह कि स्वयं मंत्रालय को इन सबकी कोई जानकारी नहीं है। पेड-न्यूज को नियंत्रित करने के लिए मंत्री-समूह का गठन किया गया, लेकिन इसी साल जनवरी में पंजाब विधानसभा चुनाव में पेड-न्यूज के मामले खुल कर सामने आए और कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिन पर गौर करें तो लगेगा सरकार की सारी कोशिशें अपनी असुरक्षा की स्थिति में मीडिया को हड़काने से ज्यादा की नहीं हैं। इससे सुधार होने के बजाय उलटे मुख्यधारा मीडिया अपने पक्ष में माहौल बनाने और सहानुभूति बटोरने में लग जाता है, यह कहते हुए कि सरकार मीडिया की जुबान बंद करना चाहती है। मीनाक्षी नटराजन के प्रस्तावित विधेयक का आगे क्या होगा, पता नहीं, लेकिन इसके विरोध में कॉरपोरेट मीडिया का सर्कस शुरू हो गया है। ऐसे में सवाल है कि जिस मीडिया का संबंध अब संपादकीय विवेक के बजाय बाजार की रणनीति पर आकर टिक गया है, उस पर ऐसी कार्रवाई करने की बात करके उन्हें जब-तब अपने को सरोकारी साबित करने के वेवजह मौके क्यों दिए जाते हैं? |
Sunday, May 6, 2012
लक्ष्मणरेखा कौन तय करे
लक्ष्मणरेखा कौन तय करे
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