ओ री चिड़ैया, नन्हीं सी चिड़िया… अंगना में फिर आ जा रे!
♦ अविनाश
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डीडी नेशनल यानी दूरदर्शन पर सत्यमेव जयते देख कर मोहल्ला लाइव की एक पुरानी पोस्ट याद आ गयी, "चाह कर भी वे मेरी बेटियों को मार नहीं पाएंगे"। एक खूबसूरत पहल है, जिसकी अनदेखी सिर्फ इस वजह से नहीं की जानी चाहिए कि इसे एक स्टार ने पेश किया है। बीबीसी के संवाददाता सुशील झा ने जब यह एफबी स्टैटस लिखा,
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मुझे यह थोड़ा अजीब लगा। लगा कि एक ऐसे वक्त में, जब डब्ल्यू डब्ल्यू एफ, बिग बॉस जैसे रियलिटी शो के लोग दीवाने हुए जा रहे हों, आमिर के सत्यमेव जयते पर इस तरह से रिएक्ट नहीं करना चाहिए था। मैंने टिप्पणी की…
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मेरे समझने में गलती यह हुई थी कि मैं सुशील झा के स्टैटस को इस शो के खिलाफ समझ रहा था, जबकि वह उन लोगों पर टिप्पणी थी, जिनकी अंतरात्मा को जगाने के लिए एक स्टार की जरूरत पड़ती है। सुशील झा ने अपनी प्रति-टिप्पणी में इसे स्पष्ट भी किया…
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इस पर मेरा भी कुछ कहना लाजिमी था, सो मैंने कहा…
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कुल मिलाकर एक अच्छा काम हुआ है। इस अच्छे काम के लिए अगर सत्यजीत भटकल का शुक्रिया अदा न किया जाए, तो ये बेईमानी होगी। कॉनसेप्ट उन्हीं का है और अवधारणा भी उन्हीं की है। सत्यजीत मराठी के एक जाने-माने प्रकाशक परिवार से आते हैं और आमिर खान के बचपन के दोस्त हैं। वे वकील थी और आमिर ने उनकी वकालत छुड़वा कर उन्हें लगान की प्रोडक्शन टीम में शामिल किया था। उन्होंने बच्चों के जोकोमोन जैसी फिल्म बनायी थी, जिसे बच्चों ने काफी पसंद किया था।
आइए आखिर में हम स्वानंद किरकिरे की आवाज में 'ओ री चिड़ैया' फिर से सुनें, जिसे सुनते हुए सत्यमेव जयते की पहली कड़ी के आखिरी चंद दृश्यों में देखने-सुनने वाले रो पड़े थे…
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(अविनाश। मोहल्ला लाइव के मॉडरेटर। प्रभात खबर, एनडीटीवी और दैनिक भास्कर से जुड़े रहे हैं। राजेंद्र सिंह की संस्था तरुण भारत संघ में भी रहे। उनसे avinash@mohallalive.com पर संपर्क किया जा सकता है।)
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