Thursday, March 22, 2012

महाघोटाला से झटका, पर कैग ने पलटी मारी!डगमगाती सरकार से बाजार को क्या उम्मीद?


महाघोटाला से झटका, पर कैग ने पलटी मारी!डगमगाती सरकार से बाजार को क्या उम्मीद?

मुंबई से  एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

एक डगमगाती सरकार से बाजार को क्या उम्मीद हो सकती है? पॉलिसी पैरालाइसिस के आरोप झेल रही केंद्र की यूपीए सरकार कोयला महाघोटाला मामले को रफा दफा करने में लग गयी है। जैसे ओएनजीसी मामले में सेबी ने फारवर्ड खेलकर, नियम तोड़ते​ ​ हुए सरकार की नाक बचायी थी, एकदम उसी तर्ज पर कैग सरकार के बचाव में लामबंद है। पर महाघोटाले के पर्दाफाश के साथ साथ घटक​ ​ दलों के आगे मजबूर सरकार की लाचारी रेल किराये में वृद्धि वापसे होने और श्रीलंका के खिलाफ मानवाधिकार हनन प्रस्ताव पर भारत के समर्थन से कनफर्म हो गयी।बंबई शेयर बाजार [बीएसई] का सेंसेक्स 405.24 यानी 2.30 फीसद को गोता लगाकर 17196.47 पर बंद हुआ। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 136.50 अंक यानी 2.54 प्रतिशत लुढ़ककर 5228.45 पर आ गया।दिन भर की उतार चढ़ाव के बाद बाजारों में भारी गिरावट आई। कारोबार के आखिरी घंटे में भारी बिकवाली का दबाव देखने को मिला। बाजार में करीब 2.5 फीसदी की भारी भरकम गिरावट के साथ बंद हुआ। कोयला आवंटन में महाघोटाले की खबर से निवेशकों में हताशा घर कर गई। ऊपर से रेल किराए के रोलबैक ने सुधारों को लेकर उनकी रही-सही उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। इसके चलते गुरुवार को हुई भारी बिकवाली से दलाल स्ट्रीट की दो सत्रों की बढ़त छूमंतर हो गई।नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] की कोयला आवंटन पर प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना नीलामी के कोयला ब्लॉकों के आवंटन से सरकारी खजाने को 10.67 लाख करोड़ रुपये का तगड़ा चूना लगा है। इस पर संसद में भारी बवाल को देखते हुए निवेशकों ने भारी बिकवाली कर डाली। रेल बजट में बढ़ाए गए किरायों को वापस लेने के एलान ने उनकी निराशा और बढ़ा दी। रुपये में गिरावट और विदेशी बाजारों की कमजोरी ने भी मंदड़ियों को दलाल स्ट्रीट खुलकर खेलने का मौका दे दिया। रुपये की कमजोरी से यह आशंका पनपी कि इससे सरकार का आयात बिल बढ़ेगा। खासकर तेल के मोर्चे पर स्थिति ऐसी बनेगी। इससे राजकोषीय घाटे की हालत और खराब होगी।

बाजार की तय दिशा नजर नहीं आ रही है और भारी उतार-चढ़ाव भरा कारोबार हो रहा है।  सीएजी की रिपोर्ट लीक होने के बाद विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मजे की बात तो यह है कि महाघोटाला की खबर और नया वेतनमान लागू होने की खबरों के बीच कोल इंडिया के शेयरों में तेजी रही। जाहिर है कि बाजार में घबड़ाहट कोयला उद्योग को लेकर नहीं बल्कि केंद्र सरकार और आर्थिक सुधारों के भविष्य को लेकर है।विशेषज्ञों के अनुसार 2012-13 के बजट में आर्थिक सुधार की प्रमुख पहलों के लिए समयसीमा तय नहीं की गई और न ही बढ़ती सब्सिडी की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं।राजकोषीय घाटे के 5.1 फीसदी लक्ष्य से जुड़े दो महत्वपूर्ण जोखिम नजर आते हैं। ऐसा लगता है कि इसका आकलन करते वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 115 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन क्रूड के मौजूदा भाव इससे काफी ज्यादा हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसके और बढऩे का ही अंदेशा है।दूसरी समस्या है खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने की जो अभी संसद के विचाराधीन है। वित्त मंत्री के भाषण से लगता है कि बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। कोल इंडिया के 3.5 फीसदी चढ़े हैं। ओएनजीसी, आईटीसी, सन फार्मा, एचडीएफसी बैंक, हीरो मोटोकॉर्प, एचयूएल, टाटा मोटर्स, एचडीएफसी, टीसीएस 1.25-0.5 फीसदी तेज हैं। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक कोयले की खदानों को सस्ते दामों में बांटने से सरकारी खजाने को को 10.7 करोड़ लाख रुपये का चूना लगा है। वहीं जानकारी के मुताबिक इस बंदरबाट के पीछे करीब 100 निजी और सरकारी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है।प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी चिट्ठी में सीएजी ने कहा है कि रिपोर्ट में जो तथ्य छपे हैं वो उसके नहीं हैं। सरकार ने सीएजी की ओर से आई सफाई जारी करते हुए कहा है कि कोल ब्लॉक्स के आवंटन से सरकार को जो 10.7 लाख करोड़ रुपये के घाटे की बात कही गई है वो गुमराह करने वाली है। क्योंकि सीएजी के मुताबिक कोल ब्लॉक्स के आवंटन से सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है।इस बीत खबर है कि कोयला कर्मियों को नया वेतनमान अप्रैल 2012 से मिलने लगेगा।कोल इंडिया प्रबंधन ने वेतन समझौता के भुगतान का आदेश जारी कर दिया है। इससे करीब पौने चार लाख कोयला कर्मियों को लाभ मिलेगा।मालूम हो कि कोयला कर्मियों का वेतन समझौता नौ 31 जनवरी 2012 को फाइनल हुआ था। इसके आधार पर समझौता मे कुल 29 फीसदी की वेतन वृद्धि हुई। जिसमें से 25 फीसदी बेसिक में बढ़ोतरी की गयी है और 4 फीसदी कोल इंडस्ट्री एलायंस के रूप में दी गयी है। सूत्रों ने बताया कि 88 फीसदी भत्तों में बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।

उद्योग जगत को रेल बजट से सुधारों की गति तेज होने की जो उम्मीद बंधी थी , पूरी तरह टूट गयी। ममता बनर्जी के दबाव में चुनाव मैदान से कांग्रेस के हटने के बाद रेल मंत्री मुकुल राय सहित तृणमूल कांग्रेस के सभी चार प्रत्याशी पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए। माकपा के एकमात्र प्रत्याशी को भी निर्वाचित घोषित किया गया। तृणमूल कांग्रेस के दबाव के समक्ष झुकते हुए सरकार ने रेल बजट में की गई यात्री किरायों में वृद्धि के कई प्रस्तावों को आज वापस ले लिया। रेल मंत्री मुकुल रॉय ने सामान्य श्रेणी से एसी 3 व एसी चेयरकार तक की श्रेणियों में की गई बढ़ोतरी को आज वापस लेने का संसद में ऐलान किया।पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने सभी क्लास के यात्री किराए बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के विरोध के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।इस पर तुर्रा यह कि कोलकाता में बंगाल  के उद्योग व वाणिज्य मंत्री पार्थ चंट्टोपाध्याय ने व्यापक पैमाने पर हुए कोयला खनन और बिक्री घोटाले के उजागर होने को गंभीर मामला बताया। उन्होंने कहा कि हम समस्त प्रकरण पर नजर रखे हुए हैं और इसका विश्लेषण कर रहे है।गौरतलब है कि इस महा घोटाला पर ममता का रुख अभी साफ नही है पर वे इस मौके पर सौदेबाजी और राजनीतिक फायदे छोड़ देंगी, ऐसा कम से कम उद्योग जगत नहीं मानता।पार्थ चट्टोपाध्याय ने कहा कि इस बारे में फिलहाल पूरी जानकारी एकत्र नहीं की है, लेकिन पार्टी इस पर नजर रखे हुए है। कोयला भले ही केंद्र का विषय है, लेकिन इससे राज्यों का भी ही हित जुड़ा हुआ है। उन्होंने कोयले की नीलामी प्रक्रिया में राज्यों को भी भागीदार बनाए जाने की जरूरत बताई। सीआईआई के सामाजिक और औद्योगिक पार्टनरशिप सम्मेलन में मौजूद मंत्री ने एक सवाल के जवाब में यह खुलासा किया।

सरकार ने गुरुवार को 233 करोड़ रुपये के 16 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्तावों को मंजूरी दी। इनमें वीआरएल लाजिस्टिक्स का भी प्रस्ताव है।पर इससे बाजार में जोश आने के आसार नहीं है। वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि महिंद्रा एंड महिंद्रा के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में संयुक्त उद्यम के प्रस्ताव और 20 अन्य प्रस्तावों पर फैसला टाल दिया गया है।

बयान में कहा गया है कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की सिफारिशों पर सरकार ने 232.67 करोड़ रुपये के 16 एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दी। वीआरएल लाजिस्टिक्स को वस्तुओं और यात्री परिवहन के अलावा कूरियर सेवाएं शुरू करने के लिए विदेशी इक्विटी लाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। कंपनी को चार्टर विमान सेवाओं और पवन उर्जा उत्पादन क्षेत्र में एफडीआई लाने की अनुमति मिली है।

कर्नाटक की इस कंपनी ने 175 करोड़ रुपये की विदेशी शेयर पूंजी लाने का प्रस्ताव किया है। इसी तरह सीआईआईई इनिशिएटिव्स को ट्रस्ट में विदेशी निवेश का प्रतिशत बढ़ाने की अनुमति मिली है। कंपनी का प्रस्ताव 40 करोड़ रुपये के एफडीआई का है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि उसकी एक लेखापरीक्षा रपट के हवाले से कोयला खानों के आवंटन के लिए नीलामी न करने के कारण सरकारी खजाने को 10.76 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की मीडिया रपट 'बेहतद भ्रामक' है। सीएजी ने कहा है कि जिस रपट के आधार पर यह खबर बनाई गई है वह उसकी 'अंतिम रपट से पहले बनाई जाने वाली रपट का मसौदा भी नहीं है।'

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 17568.06 अंक पर कमजोर खुला। एक समय यह दिन के ऊंचे स्तर 17687.01 अंक तक चला गया। बाद में बिकवाली दबाव बढ़ने के चलते इसने कारोबार बंद होने से कुछ मिनट पहले 17136.50 अंक का निचला स्तर भी देखा। रिलायंस में 4.15 फीसद की भारी गिरावट और इंफोसिस के 1.39 प्रतिशत लुढ़कने से सेंसेक्स काफी नीचे आ गया। इन दोनों कंपनियों का इस संवेदी सूचकांक में 20 फीसद से भी ज्यादा वजन है। इस दिन बीएसई का कोई भी सूचकांक बिकवाली की मार से नहीं बच पाया। सबसे ज्यादा 4.25 फीसद की गिरावट रीयल्टी सूचकांक में आई। इसके अलावा पावर, मेटल, बैंकिंग और कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के शेयरों में भी खूब मुनाफावसूली देखी गई। सेंसेक्स की तीस कंपनियों में से 28 के शेयर नुकसान में रहे, जबकि दो में लाभ दर्ज हुआ।

इस बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि कोयला घोटाले के मामले पर सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस मामले में प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफा तक देने की मांग कर दी है। मनमोहन सिंह ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने पूरे मामले पर अपना रुख साफ कर दिया है।एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र में कैग की प्रारंभिक रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद सरकार को फजीहत का सामना करना पड़ रहा था। इससे पहले कैग ने कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले को लेकर मचे घमासान पर स्पष्ट कर चुका है कि इस बारे में जो भी समाचार छपा है वह पूरी तरह से भ्रामक है। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में कैग के पत्र का हवाला देकर कहा गया था कि कोयला खान आवंटन के संबंध में कैग की जांच एकदम शुरुआती दौर में है।कैग ने कहा कि इस तरह शुरुआती ड्राफ्ट का लीक होना बेहद शर्म की बात है। पीएमओ से जारी लैटर में रिपोर्ट के लीक होने पर बेहद अफसोस जताया गया है।

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