Thursday, January 26, 2012

Fwd: [Buddhist Friends] वास्तव में जातियां भारतीय मन मस्तिष्क और खून में...



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From: UseBouddh SurnameOnly <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/1/27
Subject: [Buddhist Friends] वास्तव में जातियां भारतीय मन मस्तिष्क और खून में...
To: Buddhist Friends <buddhistfriends@groups.facebook.com>


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वास्तव में जातियां भारतीय मन मस्तिष्क और खून...
UseBouddh SurnameOnly 11:12am Jan 27
वास्तव में जातियां भारतीय मन मस्तिष्क और खून में बसी हुई है यही कारण है कि चाहे जो भी धर्म/सम्प्रदाय या पन्थ भारत में विकसित हुआ या भारत पहुंचा जातियों से मुक्त नही रह सका है.उदहारण के लिए इस्लाम,सिक्ख,जैन,बौद्ध,या कबीर पन्थ को देख सकते है.जिन धर्म या सम्प्रदायों की नीव ही जातिवाद और असमानता के खिलाफ राखी गई उन्ही धर्मो में आज जातिवाद फल फूल रहा है.यह अकारण या स्वमेव नही हो सकता.डा.अम्बेडकर धर्म परिवर्तन के बाद मात्र ५३ दिन जीवित रहे यही कारण है कि वे भी बाद के परिणामो का अध्यन नही कर सके. और उनके फोलोअर्स अपनी जातियों को बौद्धधर्म में ले गए.अभी तो vaiwahik विज्ञापनों में केवल बौद्ध (महार) या बौद्ध (जाटव) ही दिखाई देता है ,वो समय दूर नहीं जब हम देखेंगे कि बौद्ध (ब्राह्मण) भी मैदान में होंगे

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Palash Biswas
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