Monday, January 9, 2012

उसने संसद पर कार्टून बनाया, उसे बैन कर दिया गया! 9 JANUARY 2012 8 COMMENTS [X] ♦ अरविंद गौड़

उसने संसद पर कार्टून बनाया, उसे बैन कर दिया गया!

9 JANUARY 2012 8 COMMENTS
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♦ अरविंद गौड़

http://mohallalive.com/2012/01/09/protest-against-ban-on-a-cartoonist-website/

उसने संसद पर कार्टून बनाया, उसे बैन कर दिया गया!

9 JANUARY 2012 8 COMMENTS
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♦ अरविंद गौड़

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक स्थानीय वकील की शिकायत पर कानपुर के युवा कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की वेबसाइट 'कार्टून अगेंस्ट करप्शन डॉट कॉम' पर प्रतिबंध लगा दिया है। असीम पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्टूनों के जरिये देश की भावनाओं को ठेस पहुंचायी है। मैंने असीम त्रिवेदी के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम वाले कार्टून देखे हैं, वे भ्रष्टाचार पर तीखी और सीधी चोट करते हैं। उनमें किसी का मजाक नहीं बल्कि आम आदमी की भावनाओं की, गुस्से की वास्तविक अभिव्यक्ति है। मेरी निगाह में यह सिर्फ कार्टूनिस्ट पर प्रतिबंध लगाना नहीं बल्कि मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सुनियोजित तरीके से नियंत्रण की शुरुआत है।

आखिर कोई किस आधार पर किसी वेबसाइट, लेख, नाटक, पेंटिंग या किताब पर प्रतिबंध लगा सकता है? सच कहना क्या कोई अपराध है? हमारे नेता या सरकार इतने कमजोर या डरपोक क्‍यों है? वे असलियत से क्‍यों डरते है? हमारे बोलने की, लिखने की, कहने की आजादी पर रोक क्‍यों लगाना चाहते है? ये केवल अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल नहीं है, ये केवल लोकतांत्रिक हकों का हनन भर भी नहीं है, बल्कि ये एक चुनोती है, असल में ये हमारे संवैधानिक अधिकारो पर सीधा हमला है।

असीम का आरोप है कि वेबसाइट को बैन करने की भी मुंबई पुलिस ने कोई जानकारी उन्हे नहीं दी। वेबसाइट की प्रोवाइडर कंपनी बिगरॉक्स डॉट कॉम ने एक मेल द्वारा असीम को साइट बंद करने की सूचना दी। जब बिगरॉक्स कंपनी से बात हुई, तो उन्‍होंने असीम को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से संपर्क करने को कहा। क्राइम ब्रांच में कोई बताने वाला नहीं कि वेबसाइट को बैन क्‍यों किया गया? या साइबर एक्ट की किन धाराओं में केस दर्ज किया गया है? अब पता चला है कि महाराष्ट्र के बीड़ जिला अदालत ने स्थानीय पुलिस को असीम पर राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज करने का आदेश भी दे दिया है। ये और भी शर्मनाक हरकत है।

आरोप है कि उनके कार्टूनो में संविधान और संसद का मजाक उड़ाया गया है। पर सवाल ये भी है कि जब सांसद संसद में हंगामा करते हैं, खुलेआम नोट लहराते हैं, लोकपाल बिल फाड़ते हैं, चुटकुलेबाजी करते हैं, तब क्या वे संसद का मजाक नहीं उड़ाते? देश की जनता का अपमान नहीं करते?

मैं असीम त्रिवेदी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि वह अकेले नहीं हैं। सरकार की इस गैरलोकतांत्रिक कारवाई के खिलाफ, हम सब उनके साथ खड़े हैं।

(अरविंद गौड़। प्रतिरोध के रंगकर्मी। 1993 से अस्मिता थिएटर ग्रुप के एक अहम सदस्‍य। हानूश, कोर्टमार्शल और द लास्‍ट सैल्‍यूट जैसे कई महत्‍वपूर्ण नाटकों का निर्देशन। भ्रष्‍टाचार के खिलाफ चल रहे राष्‍ट्रव्‍यापी आंदोलन में सक्रिय। उनसे arvindgaur@hotmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)


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[5 Jan 2012 | No Comment | ]

डेस्‍क ♦ मुंबई, हुबली-धारवाड़, बैंगलोर, मदुरै, कांचीपुरम, विशाखापट्टनम, बहरामपुर, पटना और देवरिया होते हुए जागृति यात्रा आज दिल्‍ली पहुंची है। देश में उद्यम से जुड़े आदर्शों के साथ रूबरू होते हुए यात्री नये भारत के भविष्‍य का खाका भी खींच रहे हैं। इस वीडियो में कुछ यात्रियों की स्टिल तस्‍वीरें हैं।

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[5 Jan 2012 | No Comment | ]

डेस्‍क ♦ इनफोसिस में पहला लेक्‍चर नंदिनी वैद्यनाथन का था। वह एक दबंग और भड़काऊ महिला थी। आपके अंदर उद्यम का कीड़ा है, तो उसे वह अपने अंदाज में बाहर निकालती है। छोटे-मोटे उत्‍साह पर पानी फेरती है और जिनमें जिद होती है, उसे एक दिशा देने की कोशिश करती है।

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[5 Jan 2012 | No Comment | ]

डेस्‍क ♦ 24 दिसंबर 2011 … पूरे दिन आईआईटी, पवई (मुंबई) में इंडक्‍शन प्रोग्राम चला। यात्रा के प्रबंधन से जुड़े लोगों ने युवा यात्रियों को यात्रा से जुड़े तमाम तिलस्‍मों और रहस्‍यों को खोला। सबने अपनी अपनी तरह से बताया कि सन 97 में आजाद भारत रेल यात्रा से शुरू हुए जागृति के सपने को इक्‍कीसवीं सदी में कैसे फिर से जगाया गया।

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[5 Jan 2012 | No Comment | ]

डेस्‍क ♦ कुर्ला जंक्‍शन पर 24 की आधी रात को जागृति की रेल आयी। तिरंगा झंडा इंजन रूम के दरवाजे पर खड़े कुछ युवाओं के हाथ में लहरा रहा था। इंतजार में खड़े साढ़े चार सौ युवा यात्री और डेढ़ सौ के करीब जागृति यात्रा के वॉलेंटियर्स रेल पर चढ़े। 18 डिब्‍बों की इस रेल को देख कर नयी तरह के रोमांच की लहर थी।

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[5 Jan 2012 | No Comment | ]

डेस्‍क ♦ पूरी यात्रा में नींद के लिए बस कुछ घंटे होते हैं, लेकिन जागति के पूरे पूरे घंटों के बावजूद युवाओं में जोश रहता है। वे हमेशा उत्‍साह में नजर आते हैं। वे इस पूरी यात्रा में खुद को नये इन्‍नोवेशन के लिए झोंक देना चाहते हैं। ज्‍यादातर इस मूड में नजर आते हैं कि यात्रा से लौट कर नयी इबारत लिखनी है, अपनी जिंदगी की भी और अपने समाज की भी।

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[5 Jan 2012 | No Comment | ]

डेस्‍क ♦ यह पहले दिन की जागृति यात्रा की तस्‍वीर है। हम सब लोग कुर्ला रेलवे स्‍टेशन पर हैं। ट्रेन अभी आयी नहीं है। क्रिसमस के पहले की रात है, 24 दिसंबर। इस रात की रिपोर्ट आपने मोहल्‍ला लाइव पर पढ़ी होगी। यात्रा में हर दिन की वीडियो डायरी बन रही है। इस वीडियो डायरी में देखिए कि पहली बार जागृति रेल में बैठने से पहले इंतजार की बेकरारी कैसे संगीत में झड़ रही है…


[9 Jan 2012 | 8 Comments | ]
उसने संसद पर कार्टून बनाया, उसे बैन कर दिया गया!
पुराना स्‍वेटर स्‍टोर में क्‍यों डाल दिया?

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अंशु गुप्‍ता ♦ यदि ठंड से जान गयी है, तो उसकी वजह मात्र एक है कि इसे गर्म कपड़ा नहीं मिला। देश की तमाम नीतियों में, योजना आयोग की योजनाओं में कहीं भी कपड़ा कोई मुद्दा नहीं है।

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अरविंद गौड़ ♦ आरोप है कि उनके कार्टूनो में संविधान और संसद का मजाक उड़ाया गया है। पर सवाल ये भी है कि जब सांसद संसद में खुलेआम नोट लहराते हैं, तब क्या वे संसद का मजाक नहीं उड़ाते?
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