Tuesday, May 1, 2012

Fwd: एक अभिजातीय सनक में तबदील हो रहा है लाल



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/5/1
Subject: एक अभिजातीय सनक में तबदील हो रहा है लाल
To: abhinav.upadhyaya@gmail.com


तैमूर रहमान द्वारा लिखा गया नोट और कल शाम जेएनयू में उनकी बातचीत वास्तव में शहराम अजहर के इस आरोप की पुष्टि ही करते हैं कि लाल एक 'अभिजातीय सनक में तबदील' हो रहा है. राजनीतिक शब्दावलियों और लफ्फाजियों के बावजूद वास्तविक राजनीतिक सवालों से कतराना, सोवियत संघ और चीनी सांस्कृतिक क्रांति को लेकर मध्यवर्गीय नैतिकता से ओत-प्रोत फैसले सुनाना इसे जाहिर करने के लिए काफी थे कि लाल मुश्किल से सीपीएम-सीपीआई की शैली वाली 'क्रांतिकारिता' के करीब ही पहुंच सका है. इसकी इस थोथी अभिजात राजनीतिक समझ में ही गिरावट और भटकाव के बीच छिपे हुए हैं. यही राजनीतिक समझ एक तरफ मे-डे कैफे के नाम से क्रांति की दुकान चला रही है तो दूसरी तरफ मशहूरियत और कामयाबियों के लिए राजनीतिक सरोकारों और मकसद को बेच रही है. इसीलिए हैरानी की बात नहीं है कि भारत में लाल के बड़े तरफदारों में वही लोग शामिल हैं जिन्होंने यहां क्रांति को धोखा दिया है और जनता के हितों के खिलाफ खड़े हैं:सीपीएम-सीपीआई तथा सीपीआई(एमएल) लिबरेशन/आइसा. शहराम अजहर का बयान.

एक अभिजातीय सनक में तबदील हो रहा है लाल



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