Tuesday, May 15, 2012

Fwd: Suraj Prakash shared a link "साहित्य शिल्पी": "कल हमने www.sahityashilpi.com का मंटो अंक लोड कर दिया...



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Date: 2012/5/15
Subject: Suraj Prakash shared a link "साहित्य शिल्पी": "कल हमने www.sahityashilpi.com का मंटो अंक लोड कर दिया...
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


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Suraj Prakash
Suraj Prakash shared a link "साहित्य शिल्पी": "कल हमने www.sahityashilpi.com का मंटो अंक लोड कर दिया। यह अंक मंटो की स्मृति को समर्पित है। विरासत में उनकी कहानी, साक्षात्कार में उनकी बेटी नकहत द्वारा बीबीसी को दिया गया साक्षात्कार, खुद मंटो की कलम से कि मैं क्यों लिखता हूं और मैं अफसाना क्योंकर लिखता हूं, उनकी कुछ लघुकथाएं और चर्चित कहानियां तो हैं ही सही इस अंक में, उनके अभिन्न मित्र कृशनचंदर ने उनके जनम दिन पर दो रोचक किस्से लिखे थे, वे भी पाठक इस अंक में पढ़ेंगे। संयोग से कृशनचंदर ने ही उनकी मृत्यु पर बेहद मार्मिक लेख लिखा था। पाठकों के लिए हमने वह भी जुटाया है। हमारे प्रिय कवि मित्र प्रेम चंद गांधी अपनी दो पाकिस्तान यात्राओं के दौरान किस तरह से मंटो की कब्र पर जाने के लिए छटपटाते रहे और आखिर मंटो के घर जा पाये, इसको बेहद पठनीय लेख में उन्होंने विशेष तौर पर हमारे लिए लिखा है। पाठकों को पसंद आयेगा। मैंने पढ़ी किताब में भी गुनहगार मंटो ही हैं। ई बुक उपहार में इस बार मंटो की ही रचनाएं पाठकों को भेंट स्वरूप दी जा रही हैं। आखिर में, मंटो से जुड़ा हमारा खुद का अनुभव। पत्रिका के संपादक राजीव जी देहरादून के जिस टाइपिंग सेंटर से सामग्री टाइप कराते हैं, जब वहां पर वे मंटों की कहानियां टाइप कराने गये तो सेंटर के मालिक ने हाथ खड़े कर दिये – साब, हमारे यहां टाइपिंग का काम लड़कियां करती हैं। हम उनसे ये कहानियां टाइप नहीं करवा सकते। सुन रहे हैं मंटो जी आप, हम नहीं सुधरेंगे। बेशक आज आप सौ बरस के होते, हम अभी भी अपने वक्त से बहुत पीछे चल रहे हैं।"
साहित्य शिल्पी
www.sahityashilpi.com
/ Labels: पाब्लो नेरूदा, प्रेरक प्रसंग, रोचक प्रसंग
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