Sunday, May 13, 2012

उत्तरखंड के 'मनमोहन सिंह'

उत्तरखंड के 'मनमोहन सिंह'


पहले निशंक और फिर खंडूड़ी के हाथों मिले लॉलीपाप से थक चुकी जनता ने उम्मीद जताई थी कि बहुगुणा अपने पिता हेमवती नंदन बहुगुणा की परंपरा को आगे ले जाएंगे और लगातार कर्ज में डूब रहे प्रदेश  को विकास की पटरी पर लाने को कुछ तत्परता दिखाएंगे...

मनु मनस्वी

भाजपा की उत्तराखंड से विदाई के बाद कुछ बेहतरी की उम्मीद कर रहे राज्यवासियों को कांग्रेसी सपूत के रूप में एक और मनमोहन मिल गया है, जिसका रिमोट दिल्ली के दस जनपथ में बैठी कांग्रेस अध्यक्ष  सोनिया गाँधी के  हाथ में है.गत दिनों अपना हक लेने के लिए उत्तर प्रदेश  गए बहुगुणा जब प्रदेश  को भिखारी के रूप में पेश  कर खुद की पीठ थपथपा रहे थे, तभी महसूस हो गया था कि इन जनाब के बूते कुछ नहीं है.

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पहले निशंक और फिर खंडूड़ी के हाथों मिले लॉलीपाप से थक चुकी जनता ने उम्मीद जताई थी कि बहुगुणा अपने पिता हेमवती नंदन बहुगुणा की परंपरा को आगे ले जाएंगे और लगातार कर्ज में डूब रहे प्रदेश  को विकास की पटरी पर लाने को कुछ तत्परता दिखाएंगे.बहुगुणा ने तत्परता दिखाई भी, लेकिन अपने खासमखासों को एडजस्ट करने में, न कि आम जनता के दुखों को हरने के लिए.

पहले भी भाजपा सरकार की उपेक्षा के शिकार हुए वरिष्ठ  नौकरशाह अजय जोशी  को एक बार फिर दरकिनार कर उस आलोक जैन को मुख्य सचिव बना दिया गया, जिनके बारे में प्रसिद्ध है कि वे स्नान के लिए भी मिनरल वाटर का इस्तेमाल करते हैं.भाजपाई निशंक  सरकार में 1977 बैच में टॉपर्स   में दूसरे स्थान पर रहे अजय जोशी को दरकिनार कर उनसे कहीं जूनियर और विवादित नौकरशाह सुभाष  कुमार को मुख्य सचिव बना दिया गया था.

पिछले  दिनों जब उनके तिब्बती मूल के होने की चर्चाएं जोर मारने लगीं तो जनाब को आनन-फानन में पद से धकिया दिया.अब रिमोट से संचालित विजय बहुगुणा सरकार ने भी काबिल अजय जोशी को उपेक्षित कर 1979 के आईएएस आलोक जैन पर नेमत बरसा दी है. ये वही आलोक जैन हैं, जो प्रमुख सचिव वित्त के पद पर रहते हुए काफी 'नाम' कमा चुके हैं.उस समय टेक्निकल आडिट सेल में जमकर बंदरबांट की गई थी.

खैर, अपने आका को खुश  रखने में माहिर जैन में 'कुछ' तो जरूर है, जो उन्हें वरिष्टता ची में कहीं पीछे होते हुए भी अंधे की रेवड़ी बांट दी गई.बहुगुणा इसके पीछे जो वजह बता रहे हैं वो भी काफी हास्यास्पद है.वे अजय जोशी  के उत्तराखंड मूल का न होने को इसके पीछे की मुख्य वजह बताते हैं लेकिन खुद ये कहते नहीं अघाते कि वे 'बाहरी' हैं.अब ऐसे में जैन-बहुगुणा का गठजोड़ आगे क्या-क्या गुल खिलाएगा, ये देखने वाली बात होगी लेकिन इतना तो तय मानिये कि इससे प्रदेश को कुछ मिलने वाला नहीं है.

(मनु मनस्वी उत्तराखंड में पत्रकार  हैं.)

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