Sunday, November 8, 2009

Nainital Samachar, My Original Space back Home

नया अंक : 01 नवंबर से 14 नवंबर 2009

यह तो लगभग सब ही जानते हैं कि हमारे देश में अधिंकांश नेताओं और गुंडों के बढ़े मधुर सम्बन्ध रहे हैं। कुछ लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि बिना ग़ुंडा हुए या बिना गुंडों से संबंध रखे नेता बनना खासा मुश्किल है। हाल ही में पूरे उत्तराखंड में चर्चित रहा कालाढूंगी कांड इन [ आगे पढ़ें.....]

यह किस अंधेरी गुफा में जा रही है उत्तराखंड की राजनीति ?

कालाढूंगी कांड ने उत्तराखडं पर एक बहुत बड़ा उपकार तो कर ही दिया है। इसने पार्टीगत राजनीति का चेहरा पूरी तरह उघाड़ कर रख दिया है। अपने आँख-कान खुले रखने वाले जागरूक लोग तो पहले भी यह जानते ही थे कि आखिर क्यों ऐसे लोग लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर ग्राम-प्रधान से लेकर सांसद तक [ आगे पढ़ें.....]

जनता की सहभागिता से चले पर्यटन

पर्यटन उत्तराखंड की पहचान है। चारों धामों में धार्मिक पर्यटन कई सालों से चल रहा है। नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, अल्मोड़ा, देहरादून सहित अनेक ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो स्वतः ही लोगों को आकर्षित करते हैं। हाल के वर्षों में साहसिक पर्यटन और इको टूरिज्म की अवधारणा ने पर्यटन की संभावनाओं में नए आयाम जोड़े [ आगे पढ़ें.....]

उन्होंने कहा उन्हें ऐसा विकास नहीं चाहिये, उन्हें मिली जेल

कहा जाता है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है। अक्टूबर 13 को चमोली ज़िले के देवसारी में गांव वालों के प्रस्तावित पिंडर नदी पर बांध तथा जल-विद्युत परियोजना का विरोध करने पर 11 के खिलाफ मुकदमे दायर कर दिए गए तथा अन्य 60, जिनके नाम नहीं दिए गए, के विरुद्ध भी कार्रवाही [ आगे पढ़ें.....]

चिठ्ठी पत्री: बाकी ईश्वर मालिक है इस देश का

'नैनीताल समाचार' का 15-30 सितम्बर एवं उससे पूर्व का अंक मिला। आप व नैनीताल समाचार की टीम को कड़ी मेहनत करने के साथ प्रखर पत्रकारिता के कार्य के लिए पुनः साधुवाद कि आपने इस भौतिकवादी दौड़ में समाचार पत्र का वह मूल्य जिन्दा रखा है, जो सभी समाचार पत्रों को रखना चाहिए था। नैनीताल समाचार [ आगे पढ़ें.....]

'सरकारी उपेक्षा के बावजूद पनप रही है लोक संस्कृति'

Chandra Singh Rahi

गढ़वाली लोक संस्कृति का लोहा मनवाने वाले चन्द्र सिंह राही आज भी आज भी अपने काम में जुटे हैं। प्रस्तुत हैं देहरादून में गढ़वाल सभा में इस संस्कृतिकर्मी से लक्ष्मण सिंह नेगी की छवीं बथ के अंश -

प्रश्न:- अपने निजी जीवन के बारे में कुछ बतायें।

उत्तर:- मेरा जन्म 1947 को गिवाली [ आगे पढ़ें.....]

एक औरत

उसने अपनी जिन्दगी में सिर्फ तीन पहाड़ देखे
सामने का पहाड़ जिसमें पसरी है जिन्दगी
बायें तरफ का पहाड़, जो ढँका है चीड़ों से
और वह पहाड़ जिसमें आबाद है उसका गाँव
उसने सिर्फ दो ही पट्टियाँ देखीं,
मायके और ससुराल की.
गाँव के नीचे बहती नदी से उसे खासा लगाव है
क्योंकि वह बहकर आ रही है उसके मायके से
आज भी [ आगे पढ़ें.....]

सीमान्त क्षेत्र में एक संवेदनशील फौजी मददगार

स्थानीय व्यक्ति का अपने क्षेत्र में अधिकारी बन कर आना क्या वहाँ के लोगों के लिए हितकर होता है या नुकसानदेह ? इस पर अलग-अलग धारणाएँ हो सकती हैं। यहाँ पर मैं इसी तरह की एक नियुक्ति के बारे में कुछ लिखना चाहता हूँ। इस जोशीमठ सीमांत क्षेत्र में भारत-चीन के 1962 युद्ध के [ आगे पढ़ें.....]

चम्पावत और अल्मोड़ा में 'पहाड़'

प्रस्तुति : राजेन्द्र गहतोड़ी

'पहाड़' के रजत जयन्ती समारोह कार्यक्रमों के क्रम में 26 व 27 अक्टूबर को चम्पावत में पहाड़ की माटी के अनेक रत्न जुटे। 26 अक्टूबर की शाम जवाहर नवोदय विद्यालय में वरिष्ठ पत्रकार गोविन्द पंत 'राजू' ने अंटार्कटिका के स्लाइड दिखाये। वे पृथ्वी के इस हिस्से में जाने वाले देश के [ आगे पढ़ें.....]

बच्चे कितना कुछ जानते हैं

प्रस्तुति : सतीश जोशी

'नैनीताल समाचार' की इस वर्ष की निबंध प्रतियोगिता में कनिष्ठ वर्ग (कक्षा 4, 5 व 6) के लिये विषय था, 'कैसा हो स्कूल हमारा'। यह विषय 11 वर्ष पूर्व 1998 में भी दिया गया था और तब गिर्दा ने विषय से प्रभावित होकर इसी शीर्षक से अपनी सुप्रसिद्ध कविता लिखी थी, [ आगे पढ़ें.....]

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