Friday, May 4, 2012

“गैंग्‍स ऑफ वासेपुर” के ‘पोस्‍टर’ और ‘प्रोमो’ से पर्दा हटा

http://mohallalive.com/2012/05/04/gangs-of-wasseypur-poster-and-promo-launched/

 आमुखसिनेमा

"गैंग्‍स ऑफ वासेपुर" के 'पोस्‍टर' और 'प्रोमो' से पर्दा हटा

4 MAY 2012 5 COMMENTS

थोड़े और बड़े साइज में देखने के लिए पोस्‍टर पर चटका लगाएं।

♦ अविनाश

गले महीने की 22 तारीख को रीलीज होने वाली अनुराग कश्‍यप की फिल्‍मगैंग्‍स ऑफ वासेपुर का पोस्‍टर और ट्रेलर लोकार्पित कर दिया गया है। दो भागों में बनी इस फिल्‍म का शुरुआती बड़ा वर्जन मैंने तब देखा था, जब ढेर सारे तकनीकी और रचनात्‍मक करेक्‍शन बाकी थे। यह लगभग छह-सात महीने पुरानी बात हो चली है। अदहन से निकाल कर चावल का एक दाना देख कर उसके सीझने का अंदाजा लगाने की तरह मुझे लग गया था कि पुराने जालिम कस्‍बों से निकाल कर अनुराग ने एक अच्‍छी कहानी पेश की है।

हिंसा और प्रेम हमारे हिंदी सिनेमा का सबसे सामान्‍य विषय है। दुनिया भर की कहानियां भी इन्‍हीं दो गलियों में तरह-तरह से घूमती रहती हैं। आदमी के भीतर भी यही दो चीज सबसे ज्‍यादा उमड़ती-घुमड़ती है। और यही दो चीज है, जिसकी कहानी कभी खत्‍म नहीं हो सकती। अनुराग की खास बात ये है कि वह हिंसा को एक आम व्‍यवहार की तरह अपनी फिल्‍मों में स्‍केच करते हैं और एक हद तक प्रेम को भी। जैसा कि मेरा इंप्रेशन बना, 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' उनकी इसी विशेषता के बड़े उदाहरण के रूप में सामने आएगी।

अपनी फिल्‍म से जुड़े हर पहलू को लेकर अनुराग एक नया माहौल बनाने की कोशिश करते हैं। गैंग्‍स ऑफ वासेपुर के पोस्‍टर में कॉमिक्‍स टच है। कहानी में किरदार, रहस्‍य, लड़ाइयों के तरीके किसी कॉमिक्‍स कथा की तरह नयी नयी परतों के साथ मौजूद हैं। लिहाजा इसके पोस्‍टर से कुछ वैसी ही ध्‍वनि आनी जरूरी थी और यह अनुराग भी जानते हैं कि दर्शकों को सिनेमा हॉल तक ले जाने वाला प्रोमो-प्‍वाइंट क्‍या हो सकता है।

गैंग्‍स ऑफ वासेपुर का प्रोमो भी धीमी आंच पर पकने वाले गोश्‍त की तरह मादक (सेंसुअस) है। खुशबू में कैद होने के बाद अगर आप इसके स्‍वाद से महरूम हो जाते हैं, तो आपको अपना ही जीवन अफसोसनाक लगने लगेगा। पुराने जमाने में जब पड़ोस जिंदा था, तो लोग इस बात की परवाह नहीं करते थे कि रसोई किसकी है। सिर्फ रोटी अपनी होती थी और जाहिर है गोश्‍त भी। तो आप गैंग्‍स ऑफ वासेपुर का प्रोमो देखें और इस वैधानिक चेतावनी के साथ देखें कि इसके बाद आप फिल्‍म देखने की अंत:प्रेरणा में फंस जाएंगे।

एक और सिनेमाई किला फतह करने की तरफ पहला कदम शानदार तरीके से बढ़ाने के लिए अनुराग कश्‍यप और उनकी जांबाज और दिलेर युवा टीम को बहुत बहुत बधाई।

(अविनाश। मोहल्‍ला लाइव के मॉडरेटर। प्रभात खबर, एनडीटीवी और दैनिक भास्‍कर से जुड़े रहे हैं। राजेंद्र सिंह की संस्‍था तरुण भारत संघ में भी रहे। उनसे avinash@mohallalive.com पर संपर्क किया जा सकता है।)




No comments: