Sunday, 13 May 2012 14:35 |
मंगलेश डबराल उन्हें योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्मानित किए जाने पर हुए विरोध का जो मसविदा मेरे पास आया उस पर मैंने हस्ताक्षर भर किए थे। इसके बाद जब एक लेखक के जन्मदिन की दावत में मैंने सहज ढंग से उनसे हाथ मिलाया तो उन्होंने तुरंत मुझे अपमानित करते हुए कहा कि मैं उनके विरुद्ध षड्यंत्र करना बंद कर दूं। इससे पहले जब एक क्रांतिकारी कवि-मित्र की एक निजी समस्या को सुलझाने के उद्देश्य से कुछ मित्र लोग उदय के घर बातचीत करने गए तो वहां भी उन्होंने मौके के मुताबिक अपमानजनक वाक्य कहने से गुरेज नहीं किया और अंतत: वह समस्या अनसुलझी रही। एक पहलू यह भी है कि कुछ वर्ष पहले उदय प्रकाश की कई कहानियों और मेरी करीब पंद्रह कविताओं का अनुवाद करने वाले एक अमेरिकी विद्वान रॉबर्ट हक्स्टहेड के साथ जब वे मिले तो उनका व्यवहार खूब दोस्ताना था और उन्होंने मुझे रॉबर्ट को हवाई अड््डे छोड़ने के लिए निमंत्रित किया। मुझे लगता है कि उदय उन लेखकों में हैं, जो अपनी आलोचना का जरा भी सामना नहीं कर पाते। मुझसे उनकी नाराजगी कई वर्ष पहले शुरू हो गई थी जब मैंने उन्हें कहा था कि आपको कॉमरेड गोरख पांडेय जैसे मासूम, वामपंथी सांस्कृतिक आंदोलन में अद्भुत योगदान करने वाले, लेकिन प्राय: सभी सुविधाओं से वंचित और संतापित कवि के जीवन पर 'रामसजीवन की प्रेमकथा' नामक कहानी नहीं लिखनी चाहिए थी। बहुत से लोग जानते हैं कि गोरख पांडेय को इस कहानी ने कितना विचलित किया था और अंतत: उन्होंने एक कारुणिक ढंग से संसार से विदा ली। |
Sunday, May 13, 2012
वह एक चूक थी
वह एक चूक थी
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