Thursday, May 10, 2012

दिल्ली को लूट रही है मेट्रोमैन की मेट्रो

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दिल्ली को लूट रही है मेट्रोमैन की मेट्रो

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दिल्ली को लूट रही है मेट्रोमैन की मेट्रो
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राजधानी दिल्ली में शानदार मेट्रो को संचालित कर दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाले मेट्रोमैन के नाम से चर्चित श्रीधरन को मालूम भी नही होगा कि डीएमआरसी के कुछ भ्रष्ट लोग मेट्रो के ठेकेदारों से मिलकर उनके नाम को मटियामेट कर रहे हैं। हालाकि यह सिक्के का एक पहलू है। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि डीएमआरसी ठेकेदार बेदी एंड बेदी जिस तरह से अपने गुंडों के बल पर मेट्रो टिकट आपरेटरों की नियुक्ति, वेतन भुगतान से लेकर महिला कर्मियों के साथ असामाजिक खेल कर रहा है और इसकी जानकारी ईमानदार मेट्रोमैन को नहीं है तो इसे किसी बिडंबना से कम नहीं माना जा सकता।

डीएमआरसी के भीतर ठेकेदारों को काम देने के पीछे किस तरह के भ्रष्टाचार चल रहे हैं यह अलग से जांच का विषय हो सकता है, यहां हम आपको बेदी एंड बेदी कंपनी की ओर से दिल्ली के विभिन्न मेट्रो स्टेशनों पर तैनात किए गए कुछ टिकट आपरेटरों की दास्तान बताऐंगे जो शारीरिक, आर्थिक और मानसिक शोषण के शिकार होकर बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं। आपको बता दें कि डीएमआरसी ने टिकट आपरेटर और सफाई कर्मचारी का ठेका बेदी एंड बेदी और ट्गि कंपनी को दे रखा है।

आगे बढे इससे पहले कुछ टाम आपरेटरों के नामों की चर्चा कर ली जाए। ये हैं चंदन कुमार आई डी 12615, जितेंद्र कुमार 12313, रजनी सक्सेना 11608, राजन कुमार गुप्ता13006, रविता तोमर 11598, पायल तोमर 11599, अमित कुमार 12616,विनोद कुमार गुप्ता 12428,संजीव वर्मा 12015,निरज कुमार 12396,राजीव रंजन 12613, रवि दत्त 12790, जितेंद्र सिंह 12788, अमरदीप कौर 13285, सविता गर्ग 12539, अमित राजपूत 12024, मधुरेंद्र कुमार 11777,आशीष कुमार 13143,आफताब आलम 13102,संजीव कुमार 12388,विवेकानंद दास 13155, पवन कुमार यादव 11566,निरज कुमार 11066,शशीकांत 13154, और नीता रानी 11593। ये सभी लोग दिल्ली मेट्ो के विभिन्न स्टेशनों पर टाम आपरेटर के रूप में अपनी सेवाएं देते हैं और मेट्रो सेवा को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा करते है। लेकिन इनकी माली हालत क्या है इसे आप नहीं जानते। टिकट विंडों के भीतर पैंट शर्ट और टाई पहने और एसी में बैठे इन टाम आपरेटरों को देख कर एक बार हर किसी को लगता है कि वाह क्या शानदार नौकरी है। आज की युवा पीढी तो इस नौकरी को देखकर आंहे भी भरती है। लेकिन जो चीजे बाहर से देखने में ठीक लगे, जरूरी नहीं है कि वह अंदर से भी ठीक ही हो। इन टाम आपरेटरों की नोकरी ऐसी ही है। आपको बता दे कि ये टाम आपरेटर काम आठ से 12 घंटे तक करते हैं लेकिन इनकी नौकरी स्थायी नहीं होती। फिर इन्हे जो बेतन दिए जाते हैं, उससे ज्यादा दिल्ली का मजदूर भी कमा लेता है। 12 से सनातक और एम ए की उिग्री वाले इन टाम आपरेटरों की नौकरी ठेके की है। नौकरी देते समय डीएमआरसी की ठेकेदार कंपनी बेदी एंड बेदी इन आपरेटरों को 9030 रूपए देने की बात करती है । यानि हर रोज 301 रूपए। लेकिन हर रोज दिए जाते हैं 194 रूपए से भी कम। मामला यहीं तक नहीं है।

डीएमआरसी के मुताबिक इन कर्मियों का इएसआई और पीएफ काटना आवश्यक है। बेदी एंड बेदी कंपनी इनका पीएफ और इएसआई तो काटती है लेकिन किसी कर्मियों के पास इसका कोई रिकार्ड नही है। अगर किसी ने इन कागजातों की खोज कर दी तो उसकी शामत आ जाती है। फिर महिला टाम आपरेटरों का शोषण अलग से चलता है। हम कई ऐसी महिलाओं से आपको मिलवाऐंगे जो बार बार बेदी एंड बेदी कंपनी के गुंडो का शिकार होती रही है। इन तमाम तरह के शोषण के खिलाफ अब ये आपरेटर अब लेबर कोर्ट की राह पर तो चल पड़े हैं लेकिन इनके राह कांटों से भी भरे हैं। बेदी एंड बेदी कंपनी के डीएमआरसी प्रोजेक्ट मैनेजर आर के गुप्ता हालांकि आपरेटरों के आरोप को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि 'अपनी गलती को छुपाने के लिए आपरेटर ऐसी हरकत कर रहे हैं। उन्हें किसी से कोई शिकायत है तो कंपनी के अधिकारियों से बात करनी चाहिए। हम किसी को कम बेतन नहीं देते जो तय है वही देते हैं।' गुप्ता की बातों में कितनी सच्चाई है इसका खुलासा टाम आरेटर राजीव रंजन, आई डी12613 की लिखित शिकायत से मिलती हैं।

रंजन अक्षरधाम मंदिर स्टेशन पर पिछले 10 महीने से काम कर रह थे और बिना कुछ बताए 5 अगस्त को उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। रंजन कहते हैं कि 'उनसे इस नौकरी के लिए 70 हजार रूपए लिए गए थे और कहा गया था कि कोई गलती होने पर स्टेशन ट्ंसफर किया जाएगा लेकिन नौकरी नही जाएगी। नौकरी मिल गई लेकिन आज तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया। और यह हमें ही नहीं किसी को भी नहीं मिला है। चार महिने से वेतन नहीं मिला तो हमने इसकी शिकायत की ।तब जाकर चार महीने की सैलरी 4830 रूपए दिए गए। नौकरी जाने की शिकायत लेबर कोर्ट में की तो उ्यूटी करने की अनुमति तो कंपनी ने दे दी लेकिन इसके बाद उत्पीड़न शुरू हो गया। कंपनी के सुपरवाइजर कादि खान और रमन ने हमें धमकाना शुरू किया और फिर 25 हजार रूपए की मांग की। इन लोगों ने हमें जान से मारने की धमकी भी थी जिस बावत हमें थानें में रिपोर्ट भी करनी पड़ी। हमें 301 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से वेतन मिलना तय है। लेकिन सभी लोगों को जून 2011 तक 194 रूपए के हिसाब से भुगतान किए गए। जुलाई और अगस्त की सैलरी भी 264रूप्ए के हिसाब से दिए गए और सबसे बड़ी बात यह है कि हम काम करते हैं 30 दिन और वेतन मिलता है 26 दिनों का। यह कहां का न्याय है।'

जरा इन महिला टाम आपरेटरों की कहानी भी सुने। रजनी सक्सेना आई डी 11608। रजनी शादी सुधा है। कहती है कि 'शुरू में लगा था कि हम बेहतर काम पा गए है लेकिन यहां तो मक्कारों की टोली भरी पड़ी है । नौकरी के नाम पर सभी टाम आपरेटरों को लाख रूप्ए तो देने पड़ ही रहे हैं और उसके बाद शोषण अलग से। बेदी एंड बेदी के सुपरवाइजर कादिर खान और रमन शराब पीकर तमाम लडकियों के साथ बदसलूकी करता है और कभी साथ चलने को कहता है तो कभी अपने मोबाईल में पैसे डालने को कहता है। जो लड़कियां यह सब नहीं करती उसे कई तरह से प्रतारित किया जाता है । ऐसी ही कुछ लउकियां है रविता, पायल, प्रतिमा, नेहा और श्वेता। इन गुंडों की बात न मानने की वजह से इन्हें नौकरी से बाहर कर परेशान किया जा रहा है। जो लड़किया इनकी बातें मानती हैं वह मन माफिक काम कर रही है।'

ये हैं रेखा कुमारी। इनके पिता ने सूद पर लाख रूपए लेकर रेखा की नौकरी दिलवायी थी। लेकिन कुछ ही महीने में रेखा का आर्थिक शोषण शुरू हो गया। जो बेतन तय थे नहीं मिले और उपर से कादिर खान का डंडा अलग से। रेखा कहती है कि 'हम नौकरी करे या कादिर को खुश करे। बेदी एंड बेदी कंपनी ने इन गुंडों को शोषण करने के लिए छोड़ रखा है। कंपनी के लोगों ने हमें मजदूर से भी बदतर बना रखा है। न समय पर वेतन, न पे स्लीप, ने पीएफ और इएसआइ के कागज मिलते हैं और उपर से कादिर हम लोगों को मोबाईल में पैसे डालने को बोलता है। साथ चलने को कहता है। पता नही डीएमआरसी को इस कंपनी में क्या दिख रहा है?'

उधर कादिर खान से जब इस संवाददाता ने संपर्क करने की कोशिश की तो उसका फोन बंद मिला। बाद में कंपनी के अधिकारी आर के गुप्ता से बात होने के बाद कादिर ने इस संवाददाता को मो0 नंबर 8750119091 से संपर्क किया। बातचीत के दौरान कादिर ने पहले अपने को एक निजी चैनल में काम करने वाले संवाददाता के भाई होने का हवाला दिया। उसने कहा कि 'हम पर लगाए गए सारे आरोप गलत है और बदनाम करने की साजिश है।हम किसी को तंग नही करते और न ही कंपनी किसी को बेतन कम देती हैं ।' आपको बता दें कि बाद में इसी कादिर खान के समर्थन में एक अखवार के संपादक ने भी फोन किया और खबर न लिखने की बात भी कही।

बेदी एंड बेदी कंपनी औा उसके गंुउों से पीडि़त सभी टाम आपरेटरों ने एक होकर कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर ली है। डीएमआरसी के पास भी इस बावत लिखित शिकायत भेजी गई है। इस मामले में मेट्ो के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि हालाकि इस मसले पर वे बयान देने की हैसियत में नहीं है लेकिन शिकायत को लेकर डीएमआरसी एक्शन लेने की तैयारी कर रही है। वेतन से जुड़े मसले पर कोई भी गलती पायी गई तो बेदी एंड बेदी का ठेका भी रद्द किया जा सकता है। इस मेट्ो अधिकारी का कहना है कि जिन लोगों से बेदी कंपनी ने नौकरी के नाम पर पैसे लिए हैं इस बावत पहले उन्हें थाने में शिकायत करने की जरूरत है ताकि इस मसले को आगे बढाया जा सके। मेट्ोमैन श्रीधरन के नाम पर कोई कलंक नहीं लगे और टाम आपरेटरों को उनका हक मिलने के साथ ही काम कर रही लड़कियों को कादिर खान जैसे लोगों से कैसे निजात मिले यह फैसला अब डीएमआरसी को करना है। डीएमआरसी इस मामले में क्या कार्रवाई करती है यह देखने की बात होगी।

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