एसआइटी के बाद अब अदालती फैसले का इंतजार
- WEDNESDAY, 11 APRIL 2012 16:32
- अभी एसआइटी का फैंसला आया है अदालती फैंसला आना बाकी है.न्यायमूर्ति राजू रामचन्द्रम की अहम रिपोर्ट पर भी ध्यान देना होगा. एसआइटी की रिर्पोट को ही इस मामलें में सम्पूर्ण फैंसला नहीं माना जा सकता है...
विशाल शर्मा
गुजरात के गुलबर्ग सोसायटी दंगे मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित 3 न्यायधीशों वाली एसआइटी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कोई सबूत न होने के कारण उन्हें दोषमुक्त करार दिया है. एसआइटी ने इस मामले में 62 अन्य लोगों को भी संलिप्त नहीं पाया है.
जाहिर है नरेन्द्र मोदी के लिए यह एक खुशखबरी होगी और कानूनी लडाई से लेकर राजनीति के गलियारों मे ये आने वाले समय मे एक अहम मुद्दा भी बनेगा.अब सवाल यह है कि क्या एसआइटी की रिर्पोट द्वारा मिली राहत मोदी की छवि और उनके ऊपर लगे दागों से बचाने मे सहायक है या अभी कुछ और आना भी बाकी है.
गुजरात दंगो 2002 में मारे गए कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की बीवी जाकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसआइटी गठित किया था. जाकिया जाफरी ने सर्वोच्च अदालत को बताया था कि वर्ष 2002 में गुलबर्ग सोसाइटी में उनके पति सहित जो 68 लोगों के मारे जाने में राज्य सरकार का हाथ था. उन्होंने उस मामले में नरेन्द्र मोदी समेत 62 लोगों को नामजद किया था.उनका कहना था कि सरकार ओर प्रशासनिक अफसर इस मामले मे तमाशबीन बने रहे, जिससे इतने लोगों की जानें चली गयी .
इन्हीं पहलुओं को ध्यान मे रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जाँच के लिए एसआइटी को गठित किया था, जिसने पिछले साल फरवरी में अपनी रिर्पोट न्यायालय को सौंप दी थी.सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसका फैसला सुनाने को जिम्मा निचली अदालत को सौंपा गया था. अदालत ने फैंसला सुनाते हुए यह भी कहा कि 30 दिन के अंदर जाकिया जाफरी को इस केस से जुड़े दस्तावेज और फैंसले की कॉपी सौंप दी जाये.
जाफरी का कहना है कि वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगी .वहीं इस मामले से जुडी समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड का कहना है कि 'अभी एसआइटी का फैंसला ही आया है अदालती फैंसला आना बाकी है.न्यायमूर्ति राजू रामचन्द्रम की अहम रिपोर्ट पर भी ध्यान देना होगा.अभी राजू रामचन्द्रन की रिर्पोट आनी बाकी है.एसआइटी की रिर्पोट को ही इस मामलें में सम्पूर्ण फैंसला नहीं माना जा सकता है.'
गौरतलब है कि अभी अदालती कार्यवाही प्रक्रिया में है और उसका फैंसला आना भी बाकी है.इस मामले में राजू रामचन्द्रन ने कहा है कि यह एक कानूनी लडाई है और इसमें किसी को निराश होने की जरूरत नहीं है.कांग्रेस ने एसआइटी फैसले मामले में अभी कुछ नही कहा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ये सच की जीत है और अब विरोधियों को उनके खिलाफ दुष्प्रचार बंद कर देना चाहिए. हाँलाकि खुद नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की तरफ से इस मामले में अभी तक कोई बयान नहीं आया है.
इस साल के अंत मे गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं .चुनावी साल में नरेन्द्र मोदी के लिए यह फैसला एक अच्छी खबर है, लेकिन सवाल है कि क्या इससे उनकी कट्टर हिन्दुत्ववादी छवि पर कोई असर पड़ेगा या नहीं. सवाल यह भी है कि गुजरात मामले में विरोधी दलों द्वारा उनकी भूमिका पर जो सवाल उठाये जाते रहे हैं उन सब पर इसका क्या असर पडेगा.एक कुशल प्रशासक होने के बावजूद कट्टर छवि के कारण नरेन्द्र मोदी लगातार राज्य स्तर के नेता की छवि से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता संस्थान में अध्ययन.
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