Monday, April 9, 2012

Fwd: बिहार में गरीबी उर्फ सौ साल का सफरनामा



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/4/9
Subject: बिहार में गरीबी उर्फ सौ साल का सफरनामा
To: srikant ht <srikant_ht@yahoo.co.in>



जाने-माने पत्रकार श्रीकांत का यह लेख दिखता है कि बदलते बिहार की चकाचौंध के नीचे की हकीकत क्या है. बिहार में बदलाव का यह शोर दरअसल जमीनी बदलाव की जरूरत और उसके लिए चल रहे संघर्षों को छुपाने-ढंकने की कोशिशों का एक हिस्सा हैं. इनकी ओट में उन सारे सवालों को दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है, जिनको हल किया जाना बिहार में किसी भी बदलाव के लिए सबसे पहली और जरूरी शर्त हैं. इनमें सबसे अहम सवाल जमीन का बंटवारा यानी भूमि सुधार है, जिसके बिना जातीय उत्पीड़न और ब्राह्मणवाद का खात्मा अंतिम तौर पर मुमकिन नहीं है. इसी के साथ श्रीकांत यह भी दिखाते हैं कि बिहार में बड़ी आबादी की जीवन स्थितियां दिन ब दिन दयनीय होती जा रही हैं. इसके लिए वे औपनिवेशिक दौर तथा उसके पहले की स्थितियों से आज के हालात की तुलना करते हैं. एक जरूरी रिपोर्ट.

बिहार में गरीबी उर्फ सौ साल का सफरनामा



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