---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/4/6
Subject: साम्राज्यवाद के निशाने पर ईरान
सुभाष गाताड़े का यह आलेख ईरान पर बढ़ते मौजूदा साम्राज्यवादी हमले का एक लेखा-जोखा पेश करता है. हालांकि हाशिया का यह मानना है कि साम्राज्यवादी हमले के शिकार देशों के शासकों और उसकी जनता के बीच के विरोधों को अलग से रेखांकित करना और शासकों की आलोचना करना अंतत: साम्राज्यवाद को ही फायदा पहुंचाता है और औपनिवेशीकरण के क्लासिक दौर से लेकर आज तक साम्राज्यवादी बुद्धिजीवी साम्राज्यवाद के हमलों और औपनिवेशिक अभियानों को जायज ठहराने के लिए इस नीति का सहारा लेते आए हैं. इसलिए इस दौर में जरूरत ईरान के शासकों और जनता के साथ अटूट रूप से खड़े होने की है, न कि उनके बीच के कथित अंतर को बढ़ाने की.
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/4/6
Subject: साम्राज्यवाद के निशाने पर ईरान
सुभाष गाताड़े का यह आलेख ईरान पर बढ़ते मौजूदा साम्राज्यवादी हमले का एक लेखा-जोखा पेश करता है. हालांकि हाशिया का यह मानना है कि साम्राज्यवादी हमले के शिकार देशों के शासकों और उसकी जनता के बीच के विरोधों को अलग से रेखांकित करना और शासकों की आलोचना करना अंतत: साम्राज्यवाद को ही फायदा पहुंचाता है और औपनिवेशीकरण के क्लासिक दौर से लेकर आज तक साम्राज्यवादी बुद्धिजीवी साम्राज्यवाद के हमलों और औपनिवेशिक अभियानों को जायज ठहराने के लिए इस नीति का सहारा लेते आए हैं. इसलिए इस दौर में जरूरत ईरान के शासकों और जनता के साथ अटूट रूप से खड़े होने की है, न कि उनके बीच के कथित अंतर को बढ़ाने की.
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