झारखंड मुक्ति मोर्चा में बगावत
- SUNDAY, 22 APRIL 2012 11:41
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अब झामुमो की अंदरूनी कलह खुल कर सतह पर आ गई है. झामुमो के कुछ विधायक नाराज चल रहे हैं, जैसे सुधीर महतो, चंपई सोरेन, रामदास सोरेन, पौलुस सुरीन, विद्युत वरण महतो, दीपक बिरूआ. वहीं कुछ पार्टी के भीतर ही बगावत पर अमादा हैं.
राजीव
कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का पर्याय माने जाने वाले शिबू सोरेन की अब पार्टी से पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है. खासकर राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी चुनाव के बाद लोगों के मन में यह सवाल पैदा हो रहा है कि क्या झामुमो की कमान हेंमत सोरेन के हाथ में आने के बाद शिबू सोरेन की पार्टी से पकड़ कमजोर हुई है? जहाँ पहले झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की मर्जी के बिना पार्टी में एक पत्ता भी नहीं हिलता था, वहीं आज उनकी ओर से नामित राज्यसभा प्रत्याशी अधिवक्ता संजीव कुमार के खिलाफ झामुमो विधायकों ने बगावत कर दी है.
संजीव कुमार की उम्मीदवारी से बिफरे झामुमो के केंद्रीय महासचिव और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुधीर महतो ने उन्हें संगठन से बाहर का व्यक्ति बताते हुए शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधा है. सुधीर महतो ने कहा है कि इससे पहले भी झामुमो बाहरी व्यक्तियों, अधिवक्ता आरके आंनद और केडी सिंह को राज्यसभा भेज चुकी है. अधिवक्ता आरके आनंद कांग्रेस से जा मिले और केडी सिंह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. सुधीर महतो का दावा है कि झामुमो में तेजी से राजतंत्र पनप रहा है. इसमें सभी फैसले एकतरफा लिए जाते हैं. अगर इस प्रवृति को नहीं रोका गया तो बात और आगे बढ़ेगी जिसे वे कभी बर्दाश्त नहीं करेगें, क्योंकि उनके भाई शहीद निर्मल महतो ने झामुमो को सींचा है. उनका दावा है कि कई विधायक उनके संपर्क में हैं. उन्होंने 18 अप्रैल को जमशेदपुर में सोनारी स्थित शहीद निर्मल महतो के समाधिस्थल पर धरना शुरू कर दिया. हालांकि कोई विधायक उन्हें समर्थन देने नहीं पहुंचा. सुधीर महतो अपने को राज्यसभा के लिए योग्य प्रत्याशी बताते हुए पार्टी से मांग की कि वह उन्हें अपना प्रत्याशी बनाए. उन्होंने बताया क उन्होंने नामांकन पत्र खरीद लिया है.
पूर्व उप मुख्यमंत्री सुधीर महतो ने कहा कि पूर्व की गलतियों से सीख लेने के बजाय फिर वहीं गलती दुहराई जा रही है इसलिए जिस उम्मीदवार के नाम की घोषणा की गई है, उसे वापस लिया जाए. उन्होंने कहा कि झामुमो के नेता केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बन सकते हैं तो वह राज्य सभा के सदस्य क्यों नहीं बन सकते.
जानकारी के मुताबिक हेमंत सोरेन ने भी अनमने ढ़ग से ही संजीव कुमार को समर्थन दिया है. पार्टी का अंदरूनी कलह अब सतह पर आ गया है. इस स्थिति को संभालना झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के लिए मुश्किल होता जा रहा है. झामुमो के कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत सोरेन का कहना है कि गुरूजी को राज्यसभा का प्रत्याशी तय करने का दायित्व सौपा गया था. ऐसे में सुधीर महतो के धरना के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते. गुरूजी ही इसपर कोई टिप्पणी कर सकते हैं. हालांकि झामुमो ने अपने विधायकों को पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार का प्रस्तावक न बनने का निर्देश दे चुकी है. झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि पार्टी प्रमुख गुरूजी ने विधायाकों से पार्टी के फैसले पर कड़ाई से अमल करने का निर्देश दिया है.
झारखंड़ में राज्यसभा के दो सीटों के चुनाव को लेकर एक बार फिर सरगर्मी है. तीन मई को होने वाले चुनाव के लिए राजनीतिक विसात पर मोहरे बिछने लगे हैं. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियां भी अंदरूनी कलह से परेशान हैं. वहीं अब झामुमो की अंदरूनी कलह खुल कर सतह पर आ गई है. झामुमो के कुछ विधायक नाराज चल रहे हैं, जैसे सुधीर महतो, चंपई सोरेन, रामदास सोरेन, पौलुस सुरीन, विद्युत वरण महतो, दीपक बिरूआ. वहीं कुछ पार्टी के भीतर ही बगावत पर अमादा हैं. झामुमो नेता सुधीर महतो बाहर और भीतर का सवाल उठाते हुए पार्टी का टिकट न मिलने के बाद में चुनाव में उतरने का मन बना चुके हैं. दरअसल झामुमो में जहां एक तरफ हेमंत सोरेन कमान संभल रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर असंतुष्ट विधायकों ने गुरु जी के बेटे गुर्गा सोरेन की विधवा और हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन से दूसरा मोर्चा खुलवा दिया है. 30 मार्च को हुए राज्यसभा चुनाव में सीता सोरेन अपने साथ नौ विधायकों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल का प्रस्तावक बन गई थीं. संजीव कुमार पिछले राज्यसभा चुनाव में भी झामुमो के अधिकृत प्रत्याशी थे. लेकिन सीता सोरेन और कई अन्य विधायकों ने उनका प्रस्तावक बनने से इंकार कर दिया था. इस बार भी सुधीर महतो के साथ-साथ चंपई सोरेन, रामदास सोरेन, पौलुस सुरीन, विद्युत वरण महतो, दीपक विरूआ आदि हैं. वे 19 अप्रैल तक दिल्ली में ही थे. वे सीता सोरेन के संपर्क में थे. झामूमो के 18 विधायकों में से 10 सीता सोरेन के साथ हैं. इससे परेशान झामुमो ने अपने विधायकों को चेतावनी दी है कि पार्ची के अधिकृत प्रत्याशी के अलावा किसी और के प्रस्तावक न बनें. पार्टी ने सुधीर महतो प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि किसी को भी नाराजगी हो तो उसे पार्टी फोरम में मसला उठाना चाहिए, सार्वजिनक रूप से नहीं. बहरहाल झामुमो में सुधीर प्रकरण से आई दरार को अब गुरु जी कैसे पाटते हैं, यह तो समय ही बताएगा.
(लेखक गिरिडीह अदालत में वकालत करते हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते हैं.)
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