Sunday, April 22, 2012

प्रतिभा के बगीचे में भ्रष्‍टाचार के रंग-बिरंगे फूल खिलते रहे!

http://mohallalive.com/2012/04/23/pratibha-devisingh-patil-is-most-corrupt-president-in-india/

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प्रतिभा के बगीचे में भ्रष्‍टाचार के रंग-बिरंगे फूल खिलते रहे!

23 APRIL 2012 ONE COMMENT

♦ पलाश विश्‍वास

हाराष्ट्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील की बेटी की अगुवाई वाले एक ट्रस्ट को महंगी जमीन आवंटित करने के मामले पर विवाद शुरू हो गया है। पुणे जिले के के मुलशी तालुका स्थित जांभे गांव में दो व्यावसायिक रूप से अहम प्लॉट इस शैक्षिक ट्रस्ट को दिये गये हैं। ट्रस्ट में राष्ट्रपति पाटील की बेटी ज्योति राठौर के साथ-साथ महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री जयंत पाटील भी दखल रखते हैं। अखबारों में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक ये दोनों प्लॉट मुंबई-पुणे हाईवे और हिंजेवाड़ी आईटी पार्क से 5 किलोमीटर के अंदर और प्रमुख औद्योगिक टाउनशिप पिंपरी और चिंचवड़ से 10 किलोमीटर के अंदर हैं। गांव वालों और ग्राम पंचायत के कुछ सदस्यों ने बताया कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे और आईटी पार्क से करीब होने की वजह से इस इलाके में जमीन की कीमत एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ हो गयी है। राठौर के महाराष्ट्र महिला उद्यम ट्रस्ट को 6.72 लाख रुपये में 7.93 हेक्टेयर का प्लॉट आवंटित किया गया है। इसमें मैदान के लिए 30 वर्षों तक दिया जाने वाला एक रुपये सालाना किराया भी शामिल है। योजना के मुताबिक 27,300 वर्गमीटर जमीन का रेजिडेंशल स्कूल के लिए, 20,000 वर्ग मीटर कॉलेज के लिए और 32,000 वर्ग मीटर खेल के मैदान के लिए इस्तेमाल होना है।

अब फिर राष्ट्रपति पद का चुनाव सामने है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल जुलाई महीने में खत्म हो रहा है। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले आवास को लेकर नये विवाद के घेरे में आ गयी हैं। पुणे के पूर्व सैन्य अधिकारियों के एक संगठन का आरोप है कि श्रीमती पाटिल के लिए इस घर को बनाने के लिए पांच एकड़ भूमि एलाट की गयी है। श्रीमती पाटिल इस वर्ष जुलाई में सेवानिवृत्त होंगी। सेवानिवृत्त लेफ्टीनेंट कर्नल सुरेश पाटिल का आरोप है कि पुणे में श्रीमती पाटिल का आवास बनवाने के लिए सरकार ने खड़की स्थित छावनी की 2.6 लाख वर्ग फुट जमीन एलाट की है। सुरेश पाटिल पुणे स्थित एक गैर सरकारी संगठन ग्रीन थंब के घटक जस्टिस फार जवान से जुड़े हैं। उनका कहना है कि इस जमीन पर करीब 4500 वर्ग फुट के हिस्से पर उनका घर बनवाने के लिए ब्रिटिश काल के दो बंगले गिरवा दिये गये। उन्होंने सवाल उठाया कि श्रीमती पाटिल के लिए यह घर बनवाने के लिए इतनी जमीन और एलाट करने की क्या जरूरत थी। उल्लेखनीय है हाल ही में एक आरटीआइ याचिका से प्रतिभा पाटिल की विदेश यात्राओं पर 205 करोड़ खर्च होने की बात सामने आयी थी। सेवानिवृत्त कर्नल ने कहा कि उन्होंने इस मामले में सेना की दक्षिणी कमान के से सूचना के अधिकार के तहत कई बार जानकारी मांगी लेकिन कोई जबाव नहीं मिला।

पुणे के पास खड़की सैन्य छावनी में प्रतिभा पाटिल के लिए एक बंगला बन रहा है। 2.61 लाख वर्गफुट में बननेवाले इस बंगले में रिटायरमेंट के बाद प्रतिभा देवीसिंह पाटिल निवास करेंगी। उन्होंने इच्छा व्यक्त की है कि वे दिल्ली में रहने की बजाय पुणे में रहेंगी। लेकिन सेना की इस जमीन पर प्रतिभा ताई के लिए बननेवाला बंगला अवैध है। यह न सिर्फ सेना की जमीन पर गैरकानूनी से निर्मित किया जा रहा है बल्कि इसके लिए सेना ही अपने फंड से पैसे भी दे रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया द्वारा यह सवाल उठाये जाने पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के लिए बन रहे भव्य आवास पर राष्ट्रपति भवन ने लंबी-चौड़ी सफाई दी है। उसका कहना है कि, "पुणे में लिया जाने वाला यह वर्तमान आवास एक घर है, जिसमें पहले लेफ्टिनेंट कर्नल स्‍तर का अधिकारी रहता था। यह घर पुराना था। इसलिए इसे रहने के उपयुक्‍त बनाने के लिए इसकी मरम्‍मत आवश्‍यक था। इसमें कुछ फेरबदल किये गये, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद इसे राष्‍ट्रपति के निवास की आवश्‍यकता के अनुसार बनाया जा सके। राष्ट्रपति भवन ने यह भी कहा है कि, "राष्‍ट्रपति टैरिटोरियल सेना कैडिटों को उपलब्‍ध कराये जाने वाले निवास की राह में नहीं आ रही हैं। इसलिए यह कहना तर्कसंगत नहीं है कि राष्‍ट्रपति के निवास के लिए प्रयुक्‍त किया जाना वाला भूखंड केवल सैनिकों के आवास के लिए ही प्रयोग किया जाना चाहिए। चूंकि राष्‍ट्रपति ने कैंटोनमेंट एरिया में रहने की इच्‍छा जाहिर की है इसलिए उसे सैनिकों के कल्‍याण के प्रति उदासीनता और लापरवाही के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।"

लेकिन इस खबर को सबसे पहले उजागर करनेवाली पत्रिका मनीलाइफ की ताजा रिपोर्ट राष्ट्रपति भवन के इन दावों का खंडन करती है। उसमें तीन बातें खास तौर पर उठायी गयी हैं। एक, रिटायरमेंट के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के लिए बनाये जा रहे दो बंगले रक्षा भूमि की ए वन भूमि की श्रेणी में आते हैं। इसका कानूनी अभिप्राय यह हुआ कि इस भूमि का इस्तेमाल केवल सैनिक उद्देश्य के लिए हो सकता है। इसे किसी भी सूरत में सिविलियन इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता। सवाल उठता है कि क्या सेवानिवृत्त होने के बाद भी प्रतिभा देवी सिंह पाटिल सेना की सर्वोच्च कमांडर बनी रहेंगी? नहीं तो वे किस हैसियत से केवल सैनिक मकसद के लिए नियत भूमि पर घर बनाकर रह सकती हैं?

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सात समुंदर पार की खूब यात्राएं कीं। इन दौरों पर देश के सरकारी खजाने से तकरीबन 205 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह अपने आप में एक रेकॉर्ड है। उन्होंने इस मामले में देश के पूर्व राष्ट्रपतियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। यह खुलासा सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत दी गयी अर्जियों से हुआ है। ये अर्जियां तीन साल पहले डाली गयी थीं, अधिकारियों ने इनका जवाब देने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी थी।

आरटीआई के मुताबिक, राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में 12 विदेश यात्राएं कीं। इस दौरान वह 79 दिन तक विदेशों में रहीं। राष्ट्रपति ने ब्राजील, मेक्सिको, चिली, भूटान, वियतनाम, इंडोनेशिया, स्पेन, पोलैंड, रूस, ताजिकिस्तान, ब्रिटेन, साइप्रस, चीन, लाओस, कंबोडिया, संयुक्त अरब अमीरात, सीरिया, मॉरिशस, साउथ कोरिया, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे 22 देशों का दौरा किया।

राष्ट्रपति की विदेश यात्रा पर जो कुल 205 करोड़ रुपये खर्च किये गये, उनमें एयर इंडिया को 169 करोड़ चुकाये गये। अब भी एयर इंडिया के 16 करोड़ रुपये का बिल बाकी है। इस दौरान विदेश मंत्रालय ने ठहरने के इंतजाम, डेली अलाउंस और अन्य चीजों पर 36 करोड़ रुपये खर्च किये।

अब एक नजर पूर्व प्रेजिडेंट्स की विदेश यात्राओं पर…

एपीजे अब्दुल कलाम : कलाम ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान 7 विदेश यात्राएं कीं। वह 47 दिन तक 17 देशों के विदेशी दौरे पर रहे।

केआर नारायणन : पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन ने 6 देशों का दौरा किया और वह 46 दिनों तक की विदेश यात्रा थी। इस दौरान उन्होंने 10 देशों का दौरा किया।

शंकर दयाल शर्मा : पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अपनी 5 साल की अवधि में 4 विदेश यात्राएं कीं। उन्होंने 16 देशों का दौरा किया।

(पलाश विश्वास। पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, आंदोलनकर्मी। आजीवन संघर्षरत रहना और सबसे दुर्बल की आवाज बनना ही पलाश विश्वास का परिचय है। हिंदी में पत्रकारिता करते हैं, अंग्रेजी के पॉपुलर ब्लॉगर हैं। अमेरिका से सावधान उपन्यास के लेखक। अमर उजाला समेत कई अखबारों से होते हुए अब जनसत्ता कोलकाता में ठौर। उनसे palashbiswaskl@gmail.com पर संपर्क करें।)


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