Saturday, 07 April 2012 10:55 |
जनसत्ता संवाददाता समिति ने 11वीं व 12वीं के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में अमिताभ घोष, अरुंधति राय, झुंपा लाहिड़ी, विक्रम सेठ, आरके नारायण और अनिता देसाई सरीखे समकालीन लेखकों के कार्यों को शामिल करने की सिफारिश की है। पश्चिम बंगाल उच्च-शिक्षा परिषद के अध्यक्ष मुक्तिनाथ चट््टोपाध्याय ने कहा कि छात्रों में साहित्य के प्रति रुचि पैदा करने और उनको भारतीय अंग्रेजी साहित्य की मौजूदा स्थिति की जानकारी देने के लिए समकालीन लेखकों के कार्यों के बारे में जानकारी देना जरूरी है। इस बीच पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने राज्य में उच्च-माध्यमिक की इतिहास के पाठ्यक्रम से रूसी क्रांति, मार्क्स और एंगेल्स से संबंधित अध्याय कथित तौर पर हटाने के लिए शुक्रवार को राज्य सरकार की खिंचाई की। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आखिर इस मसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सलाह कौन दे रहा है। चटर्जी ने पत्रकारों से कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है कि आखिर विश्व इतिहास से संबंधित अध्यायों को इतिहास की पुस्तकों से हटाने के बारे में मुख्यमंत्री को सलाह कौन दे रहा है। लेकिन यह फैसला गलत और विवादास्पद है। वामपंथी नेता ने कहा कि छात्रों के मार्क्स, एंगेल्स और रूसी क्रांति के बारे में पढ़ने का मतलब यह नहीं है कि वे वामपंथी बन जाएंगे। सोमनाथ ने कहा कि वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं और इतिहास के प्रमुख पात्रों को पाठ्यक्रम से क्यों हटाया जा रहा है। यह अनावश्यक और दुर्भाग्यपूर्ण है। |
Saturday, April 7, 2012
मार्क्स विदा होंगे बंगाल की स्कूली किताबों से
http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/16-highlight/16005-2012-04-07-05-28-24
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