Friday, April 27, 2012

पैतृक विवाद: डीएनए जांच के लिए बाध्य किए जा सकते हैं तिवारी

पैतृक विवाद: डीएनए जांच के लिए बाध्य किए जा सकते हैं तिवारी
Friday, 27 April 2012 13:09

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (एजेंसी) कोर्ट ने कहा कि आदेशों को नहीं मानने पर पुलिस बल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आदेश तिवारी का पुत्र होने का दावा करने वाले रोहित शेखर की याचिका पर सुनाया गया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी को पितृत्व संबंधी मामले में खून के नमूनों की डीएनए जांच के लिए बाध्य किया जा सकता है । 
गौरतलब है कि रोहित शेखर नाम के एक 32 वर्षीय युवक ने पितृत्व संबंधी मुकदमा दायर कर यह दावा किया है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके तिवारी ही उसके सगे पिता हैं । 
सितंबर 2011 में उच्च न्यायालय की एकल पीठ की ओर से दिए गए फैसले को दरकिनार करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ ने कहा कि यदि तिवारी डीएनए जांच के आदेशों को नहीं मानते हैं तो उन पर पुलिस

बल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है । 
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने आदेश दिया था कि आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल 86 साल के तिवारी को डीएनए जांच के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ।
रोहित शेखर की याचिका को अनुमति देते हुए पीठ ने इस बात पर एकल पीठ के न्यायाधीश से असहमति जतायी कि यदि तिवारी ने अपने खून के नमूने देने से इंकार किया तो अदालत प्रतिकूल अनुमान लगा सकती है ।      अदालत ने कहा, ''निपटारा न होने की वजह से पैदा हुए प्रतिकूल अनुमान डीएनए जांच के लिए अदालत के निर्देश को अमल में लाने की जगह नहीं ले सकते ।''
पीठ ने कहा, ''डीएनए जांच के जरिए अपने पितृत्व को साबित करने के लिए उक्त निर्देश के तहत अपीलकर्ता :रोहित शेखर: के महत्वपूर्ण अधिकार नहीं छीने जा सकते । उसे यह नहीं कहा जा सकता कि तुलनात्मक रूप से कमजोर प्रतिकूल अनुमान से वह संतुष्ट हो जाए ।''

 

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