Friday, April 6, 2012

टापों की खुशबू में जान न्यौच्छावर, कि दसों दिशाओं में दौड़ रहे हैं अश्वमेध के अदृश्य घोड़े!

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टापों की खुशबू में जान न्यौच्छावर, कि दसों दिशाओं में दौड़ रहे हैं अश्वमेध के अदृश्य घोड़े!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास/ दसों दिशाओं में दौड़ रहे हैं अश्वमेध के अदृश्य घोड़े। चूंकि दीख नहीं रहे तो उन्हें रोकेगा कौन? इधर बलि का सिलसिला चालू हो गया है। चियरिनों के जलवे और चौकों छक्कों की बरसात मध्ये आईपीएल कार्निवाल में निष्णात देश को खून की नदियां भी नहीं दीख रही है। फर्जी सुरक्षा ​​संकट का हव्वा खड़ा करके घोटालों की हवा निकाल दी गयी। सीधे पीएमओ की पहल और राष्ट्रपति के दखल के जरिए नवरत्न कंपनी कोल इंडिया की बलि हो गयी, किसी ने चूं तक नहीं की। अब फिर कोयला ब्लाकों की नीलामी की तैयारी है। विनिवेश के लिए गिलोटिन तैयार है। सुधारों ​​की क्रांति में किस किसको कटना है, यह पहले से बताना भी मुश्किल! राजनीतिक बाध्यताओं की खूब चर्चा हो गयी, पर कारपोरेट नीति​ ​ निर्धारण में किसी व्यवधान की खबर है क्या? भ्रष्टाचार के खिलाफ कहते हैं कि जिहाद शुरू हो गया है। अन्ना और बाबा साथ साथ मैदान में है।आम बजट से पहले पेश आर्थिक समीक्षा में भ्रष्टाचार पर निर्दयता से कड़ा वार करने की वकालत की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि घोटालों के चलते फैसले लेने की प्रक्रिया धीमी हुई है और आर्थिक सुधार भी थम गए हैं।आखिर कालाधन आता कहां से है और जाता कहां है? आर्थिक सुधारों को लेकर उद्योग जगत और मीडिया में जो बवाल मचा हुआ था, प्रणव के करिश्माई बजट के बाद उसका गुबार भी नहीं है। बजट में आर्थिक सुधार की ओर कदम न उठाए जाने और उम्मीदों पर बजट खरा न उतरने से बाजार निराश नजर आए।मल्टीब्रैंड रिटेल में एफडीआई, एविएशन सेक्टर में एफडीआई और वित्तीय घाटा कम करने पर ठोस कदम का ऐलान नहीं किया गया है। जीएसटी के मुद्दे पर सरकार की पहल अधूरी ही है। विशेषज्ञों ने कहा कि 2012-13 के बजट में आर्थिक सुधार की प्रमुख पहलों के लिए समयसीमा तय नहीं की गई और न ही बढ़ती सब्सिडी की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं।कंपनियों को करों के बहाने वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य बढ़ाने की खुली छूट मिली हुई है। चुनावी रणनीति के कारण कुछ फैसले लंबित होने का मतलब यह नहीं होता कि तमाम घोड़े विकलांग हो गये हैं। बाजार को दौड़ते हुए घोड़े अब नजर आ रहे हैं। आम आदमी को घोड़े नहीं दीखते। टापों की खुशबू में जान न्यौच्छावर जो है!

देश के शेयर बाजारों में सप्ताह के चौथे कारोबारी दिन गुरुवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट का रुख देखा गया। शेयर बाजार अगले दो दिन 'महावीर जयंती' और 'गुड फ्राइडे' के उपलक्ष्य में बंद रहेगा और इसके बाद सोमवार को ही खुलेगा।आभूषण व्यापारियों की हड़ताल से सराफा कारोबार पूरी तरह से ठप है।दुनिया भर के बाजारों में देखे जा रहे कमजोर कारोबार का असर घरेलू बाजारों पर भी पड़ता दिख रहा है।पिछले 20 दिन से चल रही सराफा कारोबारियों की हड़ताल का भविष्य शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के साथ प्रस्तावित बैठक पर टिका है।

प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और वाणिज्यमंत्री की बयानों को देखें, परखे कि उनमें राजनीतिक या संवैधानिक बाध्यताओं की खुशबू मिलती है या​ ​ नहीं। सरकारी कंपनियों को नीलाम पर चढ़ाने का काम जरुर रुका है ओएनजीसी की हिस्सेदारी की नीलामी में हुई किरकिरी के कारण। चुनावी रणनीति के कारण डीजल को डीकंट्रोल नहीं किया गया और तेल कीमतों में वृद्ध लंबित है। कंपनी बिल और दूसरे वित्तीय कानून पाइप लाइन में हैं। ​​कानून पास हो या न हो, फर्क क्या पड़ता है, राजकाज में कोई खामी का अंदेशा नहीं है। मसलन आधार कार्ड का ही मसला लें, अभी तक कानून पास नहीं हुआ पर इसे नागरिकता के लिए अनिवार्य बना दिया गया। इस कारपोरेट योजना को मनरेगा और नकद सब्सिडी से जोड़कर वैधता​ ​ दी गयी है। सरकार का अंदाज ही ऐसा है कि मर मिट जाये एक एक अदा पर। अजित संह मंत्री हैं पर विमानन क्षेत्र में विदेशी निवेश के नीतिगत फैसले पर वाणिज्य मंत्री बयान दे रहे हैं। कंपनी और कारपोरेट टैक्स में वृद्धि न होने से और नये आयकर कानून से कारोबार को नुकसान न होने के भरोसा मिलने के बाद बाजार में सराफा हड़ताल को लेकर भी कोई हलचल नहीं है। य़ह छोटे कारोबारियों का मसला जरूर है पर कारोबार दुनिया को अपने ही लोगों की परवाह नहीं है तो कारपोरेट तलवार से कैसे बचे रहेंगे आम लोग और खासकर जब वह तलवर सरकारी हाथों में चमक रही हो।

सरकार ने कहा है कि वह विदेशी एयरलाइंस को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी लेने के अनुमति देने पर जल्द निर्णय करेगी। सरकार ने उन कोयला खदानों की सूची तैयार कर ली है जिनकी नीलामी की जानी है। नीलामी की प्रक्रिया जून तक शुरू होगी।नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कैग की एक प्रारम्भिक रिपोर्ट में कोयला खदानों के आवंटन में सरकारी खजाने को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाये जाने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। नकदी संकट से जूझ रहे विमानन उद्योग की एक प्रमुख मांग स्वीकार करते हुए सरकार ने 17 जनवरी को विदेशी एयरलाइंस को घरेलू कंपनियों में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद की अनुमति की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी।जाहिर है कि विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद की अनुमति का फैसला नीति में एक बड़ा बदलाव है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह के बीच हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था। उसके बाद सिंह ने मामले में कैबिनेट नोट जारी किया था। इससे पहले तक विदेशी एयरलाइंस को भारतीय विमानन कंपनियों में निवेश की अनुमति नहीं थी। हालांकि, ऐसे विदेशी संस्थागत निवेशक एफआईआई या अन्य निवेशक जो विमानन कारोबार से जुड़े नहीं हैं, 49 प्रतिशत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर सकते हैं।वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2012-13 के बजट में संकटग्रस्त विमानन क्षेत्र को राहत देते हुए विमानन कंपनियों को विदेशी वाणिज्यिक उधारी :ईसीबी: के रूप में एक अरब डालर तक जुटाने की अनुमति दी है।

आर्थिक सुधार रुकने का ठीकरा सहयोगी दलों के सिर फोड़ा है। उनके मुताबिक कम से कम न्यूनतम सुधारों पर तो सहमति बननी ही चाहिए। बहरहाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपना आर्थिक एजेंडा नहीं छोड़ा है। आईएमएफ ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए किए गए उपायों की सराहना की है। वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि सरकार को आने वाले महीनों में कुछ कठिन फैसले करने होंगे।वित्त वर्ष 2013 में विनिवेश के जरिए 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने का पूरा भरोसा है। वहीं वित्त वर्ष 2013 में सरकारी कंपनियों के आईपीओ में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बढ़ोतरी होगी। विनिवेश सचिव हलीम खान का कहना है कि ओएनजीसी ऑक्शन की प्रक्रिया में गलती की वजह दोनों एक्सचेंजों पर बोली लगवाना था। दोनों एक्सचेंजों द्वारा एक ही समय पर बोली के आंकड़े दिखाने में तालमेल नहीं होने से भी दिक्कत हुई। एक ही समय पर बोली के आंकड़े नहीं मिलने के कारण आखिरी समय पर पैसा डालने वाले निवेशकों में असमंजस पैदा हो गया। सरकार की वित्त वर्ष 2013 में आरआईएनएल और एचएएल की आईपीओ लाने की तैयारी है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कह दिया, ''विदेशी एयरलाइंस को घरेलू विमानन कंपनियों में हिस्सेदारी लेने के अनुमति देने पर मेरी वित्त मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री से बातचीत हुई है। जल्द कोई उचित फैसला लिया जाएगा।'' केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने मंगलवार को कहा कि विश्व की शीर्ष पांच उड्डयन बाजारों में भारत को शामिल करने के लिए उनका मंत्रालय कदम उठा रहा है।आनंद शर्मा ने बताया कि नई मैन्यूफैक्चरिंग पॉलिसी के बल पर सर्विस सेक्टर में बेहतर ग्रोथ की उम्मीद है। हालांकि उन्होंने माना है कि नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग पॉलिसी लाने में देरी हो रही है, इसे पहले ही लाना चाहिए था।आनंद शर्मा के मुताबिक मल्टीब्रैंड सेक्टर में एफडीआई लाने के मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। वहीं राज्य सरकारों को भी इसके लिए तैयार किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में भारत की विकास दर 7.5-8 फीसदी रहेगी। कच्चे तेल के ऊंचे दामों ने भारत के सब्सिडी बोझ को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 फीसदी कर दिया है। इस बार वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने बजट में सब्सिडी को 2 फीसदी के आसपास लाने का लक्ष्य है ताकि आर्थिक सुधार का पहिया तेजी से दौड़ सके। इसके अलावा सरकार ने अगले वित्त वर्ष में सरकारी कंपनियों में 300 अरब रुपये कीमत की हिस्सेदारी बेचने का भी फैसला किया है।सरकार ने आम बजट में जितनी फूड सब्सिडी दी है वो बहुत कम है फूड सिक्योरिटी बिल के लिए जितनी सब्सिडी देने का प्रावधान है यह उससे काफी कम है।

आयकर कानून बदलते हुए डीटीसी लागू कर दी गयी है। पर टैक्स राहत पर टकटकी निगाहों को इसकी खबर नहीं है।सरकार ने बजट में जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल (जीएएआर) लागू करने का प्रस्ताव रखा था। जीएएआर के जरिए सरकार टैक्स चोरी पर शिकंजा कसना चाहती है।पार्टिसिपेटरी नोट्स पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बयान से आज शेयर बाजार को भी खासी राहत मिली। सरकार ने साफ किया है कि जीएएआर का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। जीएएआर से जुड़े कुछ मुद्दों पर एफआईआई सरकार से सफाई चाहते थे। राजस्व सचिव के साथ एफआईआई की बैठक हुई थी। जानकारी के मुताबिक सरकार का जीएएआर प्रस्ताव वापस लेने का इरादा नहीं है। सरकार 1 अप्रैल 2012 से जीएएआर लागू करना चाहती है। जिन एफआईआई के भारत में दफ्तर या कर्मचारी नहीं हैं, उन्हें जीएएआर के दायरे में रखा जाएगा। साथ ही, जीएएआर लगने के बाद एफआईआई किसी भी टैक्स ट्रिटी का फायदा नहीं उठा पाएंगे।मुखर्जी ने निवेशकों को आश्वस्त किया है कि प्रस्तावित संशोधन केवल पिछले छह वर्ष के दौरान हुए सौदों पर ही लागू होगा। इसके पहले के सौदे इसके दायरे में नहीं आएंगे। ब्रिटेन के वित्त मंत्री जार्ज ओस्बोर्न की अगुवाई में भारत में निवेश करने वाली विश्व की ढाई लाख से अधिक कंपनियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि भारतीय आयकर कानून में पूर्ववर्ती प्रभाव से संशोधन किये जाने से विदेशी निवेश का माहौल खराब होगा। अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार कंपनी वोडाफोन सहित दुनिया भर की ढाई लाख से अधिक कंपनियों ने इसका विरोध करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र भेजकर चेताया है कि ऐसी स्थिति में विदेशी कंपनियों को निवेश पर पुनर्विचार करना होगा।

कोल इंडिया (सीआईएल) से कुछ समय पहले यह राय साफ -साफ सुनाई पड़ी थी कि दुनिया की इस प्रमुख कोयला खनन कंपनी का कारोबार उत्पादन का है न कि आयात का। लेकिन कंपनी के नए मुखिया इस विकल्प पर दोबारा विचार करने की संभावना तलाश रहे हैं।अगले दो हफ्ते में कंपनी की कमान संभालने जा रहे कोल इंडिया के नवनियुक्त चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस नरसिंह राव उन सभी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं, जिससे उत्पादन में कमी आने पर राष्ट्रपति के निर्देश के तहत ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित किया जा सके। राव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'मांग को पूरा करने के लिए अगर उत्पादन बढ़ाना पड़ा तो हम ऐसा करेंगे। इसके बावजूद उत्पादन मांग के लिहाज से कम रहा तो हम कोयले का आयात भी कर सकते हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए कंपनी ने 46.4 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है।' कोल इंडिया को हाल ही में बिजली कंपनियों को 80 फीसदी ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति का निर्देश जारी किया गया है।इससे पहले कोल इंडिया के निदेशक मंडल ने बिजली कंपनियों के साथ आपूर्ति करार करने को मंजूरी तो दे दी थी लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उस निर्देश को मानने से इनकार कर दिया था, जिसके तहत 80 फीसदी ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा गया था। हालांकि राष्ट्रपति के निर्देश में 10 फीसदी पेनाल्टी के नियम में छूट देकर कोल इंडिया को थोड़ी राहत भी दी गई है।

कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया, ''54 कोयला खदानों की पहचान का काम पूरा हो चुका है… बोली प्रक्रिया इस साल की पहली छमाही में शुरू होगी।''उन्होंने कहा कि सरकार ने एनटीपीसी जैसी केन्द्रीय सार्वजनिक कंपनियों को कोयला खदानों के आबंटन के लिए भी सूची तैयार की है। जायसवाल ने कहा, ''54 में से 12 खदानों को छोड़कर अन्य खदानों की नीलामी उन कंपनियों को की जाएगी जो परियोजनाओं में इनका इस्तेमाल करेंगी।'कोयला मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग की आरंभिक रपट में अनुमान लगाया गया है कि 2004 और 2009 के बीच निजी एवं सार्वजनिक कंपनियों को बगैर नीलामी के 155 कोयला खदानें आबंटित करने से सरकार को 10.67 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।जायसवाल ने कोयला आवंटन में नुकसान के बारे में कैग की इस रिपोर्ट को बेतुका और निराधार बताते हुये कहा कि जब निजी और सार्वजनिक कंपनियों को इन ब्लॉक का आवंटन किया गया था उस समय कोयला की बहुत ज्यादा मांग नहीं थी।
संपर्क- excaliburstevens@yahoo.com

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