Saturday, March 24, 2012

Fwd: [Right to Education] """''हमारे समय की विसगंतियों का दस्तावेज :...



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From: Arvind Gaur <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/3/24
Subject: [Right to Education] """''हमारे समय की विसगंतियों का दस्तावेज :...
To: Right to Education <167844673250090@groups.facebook.com>


"""''हमारे समय की विसगंतियों का दस्तावेज :...
Arvind Gaur 1:03pm Mar 24
"""''हमारे समय की विसगंतियों का दस्तावेज : मोटेराम का सत्याग्रह" - राजेश चन्द्र का आलेख- प्रस्तुति में शिव चौहान (पंडित मोटे राम), बजरंग बली (मजिस्ट्रेट), शिल्पी मारवाह (चमेली जान), मनोज यादव (खोमचे वाला), गौरव मिश्र (थ्री नॉटथ्री) और राहुल खन्ना (इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस) ने अपनी भूमिकाओं में काफी प्रभावित किया। पांच दर्जन से अधिक अभिनेता अभिनेत्रियों की मौजूदगी वाली इस प्रस्तुति को देखना अपने आप में एक विरल अनुभव है।
आम तौर पर अपने नाटकों में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर गंभीर टिप्पणी करने के लिए जाने जाने वाले अरविंद गौड़ ने इस आख्यान को जीवंत बनाए रखने वाले हास्य के विविध अर्थभेदों को इतनी कुशलता के साथ पेश किया है कि वे न सिर्फ हमारा स्वस्थ मनोरंजन करते हैं बल्कि हमारे दिमाग को, हमारी चिंतन शक्ति को भी झकझोर देते हैं। उनके अन्य नाटकों की तरह यहां भी हमें सच्चाई और सरलता की वह खनक मिलती है, जो अपनी जनता की जिंदगी और नियति के साथ एक रचनाकार के गहरे जुड़ाव से आती है। नाटक में मौजूदा दौर की एक जीवंत, सुस्पष्ट और व्यापक तस्वीर उभरती है।
'मोटेराम का सत्याग्रह' में अनुभूतियों की जितनी तीव्रता दिखाई पड़ती है, उसके मूल में संगीता गौड़ के संगीत की बड़ी भूमिका है। उन्होंने नाटकीय कार्य-व्यापार को बल देने वाले और कथास्थितियों को अर्थ-सघन बनाने वाले एक अनूठे रंग-संगीत का उन्मेष किया है।

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