Sunday, 18 March 2012 11:18 |
विवेक सक्सेना यहां यह याद दिलाना जरूरी हो जाता है कि अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक क ी एनसीटीसी के पास यह अधिकार नहीं है कि वे आतंकवाद के किसी अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकें, उसकी तलाशी ले सकें या उसका सामान जब्त कर सकें। गृह मंत्रालय के अधिकारी याद दिलाते हैं कि राजग के शासनकाल में भी संसद पर आतंकवादी हमला होने के बाद संयुक्त विश्लेषण, पहचान, सूचनाओं की समीक्षा व उन्हें राज्यों के साथ बांटने के लिए मल्टी एजंसी सेंटर का गठन किया गया था। यह एजंसी आज तक अपने उद्देश्य को हासिल नहीं कर सकी। खुद मंत्रालय के ही आला अफसरों का मानना है कि राज्य किसी भी कीमत पर अपने पुलिसिया अधिकार केंद्र की किसी संस्था को देने के लिए तैयार नहीं होंगे। इस संबंध में गृह सचिव आर के सिंह ने 12 मार्च को राज्यों के गृह सचिवों व पुलिस महानिदेशकोंकी बैठक बुलवाई थी, जो कि किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। अब अगले महीने गृह मंत्रालय राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलवाने पर विचार कर रहा है। इस एनसीटीसी को एक मार्च से अस्तित्व में आना था। लेकिन यह मामला फिलहाल लटकता ही नजर आता है क्योंकि यह अब कानून व्यवस्था से कहीं ज्यादा राजनीतिक मामला बन चुका है। |
Sunday, March 18, 2012
मुमकिन नहीं दिखता राष्ट्रीय आतंक रोधी केंद्र का बनना
मुमकिन नहीं दिखता राष्ट्रीय आतंक रोधी केंद्र का बनना
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