Friday, March 16, 2012

इतना कचरा बजट पेश करने के बाबत वित्त मंत्री बाहैसियत देश को कहां और कब जवाब देंगे प्रणव मुखर्जी?

इतना कचरा बजट पेश करने के बाबत वित्त मंत्री बाहैसियत देश को कहां और कब जवाब देंगे प्रणव मुखर्जी?

पलाश विश्वास

राजनीतिक मजबूरियों ने वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी को इतना दिवालिया बना दिया कि उन्हें न खुदा मिला और  नहीं बिसाले सनम।बजट की पूर्व संधा को वे वित्तीय मौद्रिक कवायद करने के बजाय बंगाल की रूठी हुई अग्निकन्या को मनाने के लिए एढ़ी चोटी का जोर लगाते रहे। अभी सोमवार को निलंबित रेल मंत्री की जगह रेल बजट का जवाब भी वे देंगे। पर इतना कचरा बजट पेश करने के बाबत वे वित्त मंत्री बाहैसियत देश को कहां और कब जवाब देंगे? उम्मीद की जा रही थी कि इस बार इनकम टैक्स में 3 लाख तक की आय कर मुक्त होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ सिर्फ 2 लाख तक ही कर मुक्त आय का दायरा सिमट कर रह गया। इसके अलावा प्रणब मुखर्जी ने सर्विस और एक्साइज ड्यूटी में 2 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी जिसके बाद आम आदमी के लिए लगभग सभी चीजें महंगी हो जाएंगी। जिससे मोबाइल फोन का बिल, रेस्टोरेंट में खाना, होटल में ठहरना, हवाई यात्रा, एसी फ्रिज, टीवी, कारें और लगभग वो सभी चीजें महंगी हो जाएंगी जिससे आम आदमी का सीधा नाता है।बजट से आम जनता की कमर टूटेगी। सरकार ने पेट्रो उत्पादों में बढ़ोत्तरी करने का संकेत दिया है। जिससे मंहगाई में इजाफा होगा, उद्योगों को भारी नुकसान ङोलना पड़ सकता है।बजट से देश के हर तपके को निराशा ही हाथ लगी है। आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थो से लेकर अन्य सामानों के दाम बढ़ेंगे।



कारपोरेट इंडिया, अर्थ विशेषज्ञ और मीटिया तुरंत आर्थिक सुधार लागू करने के लिए लगातार दबाव बनाये हुए है। अब चूंकि इस बजट से न निवेश का परिवेश सुधरा, न विनिवेश को दिशा मिली और न कर संरचना में कोई बदलाव हुआ। वित्तीय नीतियां शुरू से नदारद हैं। जीएसची और डीटीसी खटाई में हैं।सब्सिडी खत्म करने के लिए गैरकानूनी आधार कार्ड योजना को मुख्य कारक बनाया जा रहा है। राजकोषीय घाटा कम करने की कोई​ ​ कोशिश नहीं हुई। आंकड़ों की बाजीगरी से जो सब्जबाग रचने का प्रयास प्रणव बाबू ने की, वह उत्पाद, सीमा और आबकरी शुल्कों में वृद्ध के जरिए हवा हवाई हो गया। कारपोरेट इंडिया और मीडिया इस बजट को अस्सी के दशक में वापसी बता रहे हैं जबकि आम आदमी टैक्स के बोझ तले कुचल दिया गया। समावेशी विकास की अवधारणा चौपट हो गयी। अब जाहिर है कि कारपोरेट इंडिया चुप तो नहीं बैठेगा । अपनी एजंडा पूरा किये बिना ​​बाजार को चैन कहां से आएगा​?
​​
​यह भी तय है कि मनचाहा कानून पास कराए बिना न बाजार का विकास संभव है और न विस्तार। सरकार की जो दुर्गति चल रही है। एक ​​अकेली ममता बनर्जी ने जिस तरह नाकों चने चबवा दिए, इस सरकार की राजनीतिक ताकत और इच्छाशक्ति , किसी पर कोई भरोसा नहीं है बाजार को। य़ानी इस सरकार को विदा करने की हर तरकीब अब अपनायी जानी है। भाजार को इस बजच का ही इंतजार था। कारपोरेट टैक्स में बदलाव नहीं किया गया। शेयर बाजार को चंगा करने की कोशिश हुई। विनिर्माम, ऊर्जा और खनन क्षेत्र को मामूली राहत देकर जाहिर है कि वित्तमंत्री अपनी बंधुआ जान यकीनन हीं बचा सकते। अब सरकार बचाने के लिए इस रकार को हर किस्म का जनविराधी तौर तरीके अपनाने ही होंगे। विनिवेश,​​ एफडीआई, खनन, भूमि अधिग्रहण, मल्टी ब्रांड रीटेल, परमामु ऊर्जा के क्षेत्र में खून की होली खेली जायेगी।

भविष्य निधि का सूद काट कर प्रणव ने इसके संकेत दे दिए हैं। बलि का बकरा जरूर रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को बनना पड़ा। रेल बजट के जरिए सुधार तेज करने का उनका दुस्साहस प्रणव बाबू और मनमोहन सिंह के सक्रिय समर्थन के बिना असंभव था। रेल बजट के नजरिए से बाजार को आम बजट में हर हाल में सुधार का एजंडा लागू होने की उम्मीद थी। उम्मीद थी कि मुलायम सिंह यादव जरूर इस गिरती पड़ती सरकार को जमानत पर बचा लेंगे। पर स्पेक्ट्रम घोटाले मे फंसी द्रमुक को अपनी दुर्गति का बदला लेने के लिए ऐन वक्त गरमागरम मुद्दा श्रीलंकाई मानवाधीकार अपरोधों का मिल गया और वह भी ऐसा मुद्दा जिसकी वजह से जय ललिता भी फिलहाल खुलकर इस सरकार के समर्थन में खडी होकर तमिल अस्मिता को चोट ​​पहुंचा नहीं सकती। इस पर तुर्रा यह कि मराठा मानुष शरद पवार पर कांग्रेस को ज्यादा भरोसा नहीं है। पिर ममता ने किराये में वृद्धि के खिलाफ अपने ही रेल मंत्री और साझा सरकार की जो दुर्गति कर दी, ममता के लगातार संपर्क में रहने वाले प्रणव बाबू की हिम्मत जवाब दे गयी। लेकिन इसतरह तो सरकार नहीं बच पाएगी। मुकेश अंबानी की नागपुर में हुई डिनर लाबिइंग के तहत भाजपा अध्यक्ष नीतिन गडकरी की मुलाकात ने काफी पहले संकेत दे दिये थे कि कारपोरेट इंडिया की निगाहें राजनीतिक विकल्प खोज रही हैं। अब प्रणव बाबू इस सरकार के संकट मोचक और प्रमुख नीति​ ​निर्धारक सुधार प्रक्रिया की गाड़ी आगे बढ़ाये बिना कैसे बने रहते हैं, यही देखना बाकी है।

प्रणव की ग्रहदशा सचिन के महाशतक के आलोक में बखूबी समझा जा सकता है। जैसे सचिन ने महासतक बनाने के फेर में टीम की जीत​
​ को बूल गये, वैसे ही राजनीतिक मजबूरियों के चलते एक साथ बाजार और आम आदमी को खुश करने, एक मुश्त राजनीतिक और ​
​आर्थिक मंजिलें हासिल करने की बाजीगरी दिखाने में मारे गये गुलफाम! सचिन के महाशतक के बावजूद भारत आज बांग्लादेश से हार गया , बल्कि कहनेवाले तो यह भी कह रहे हैं कि सचिन के महाशतक के कारण ही भारत हारा। करीब एक साल से शतकों का शतक बनाने से चूक रहे सचिन आज काफी सतर्क होकर खेले जिससे मैच का रनरेट धीमा हो गया। सचिन ने 114 रन बनाने के लिए 147 गेंदें खेलीं यानी उनका स्ट्राइक रेट 77.55 रहा जोकि वनडे के हिसाब से काफी कम है। इसी मैच में धोनी ने 190 के स्ट्राइक रेट से और रैना ने 134 के स्ट्राइक रेट से बाद के ओवरों में तेज़ रन बनाए। रनरेट धीमा रखना इसलिए भी अजीब था कि भारत का केवल एक विकेट गिरा था और वह खतरा उठा सकता था।लोकलुभावन बजट बनाने के चक्कर में प्रमव आर्थिक सुधार की की गति को तिलांजलि देकर भी आम आदमी को कुछ भी राहत नही दे ​​पाये। पर उनकी बाजीगरी के तमाशे से दिनभर शेयर बाजार उलट पलट होता रहा और आखिर में धड़ाम से गिर गया।उद्योग जगत ने कहा कि अप्रत्यक्ष करों के जरिए 45940 करोड़ रुपये जुटाने की कवायद से महंगाई और बढ़ेगी। इसके चलते रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरें घटाना मुश्किल हो जाएगा। अगले वित्त वर्ष के लिए बजट प्रस्तावों पर भारतीय कंपनियों ने सकारात्मक से ज्यादा नकारात्मक टिप्पणी की। इस हफ्ते का आखिरी कारोबारी दिन कारोबारी साल 2013 का आम बजट पेश होने का दिन भी था। शेयर बाजार को दादा का बजट पसंद नहीं आया, बाजार कुछ नाराज नज़र आया। बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स नेगेटिव जोन में बंद हुआ। लोकसभा में दादा ने कारोबारी साल 2013 का बजट पेश किया और ऑयल ऐंड गैस, पावर, कैपिटल गुड्स और मेटल शेयरों में गिरावट आने लगी।

सेंसेक्स 209.65पॉइंट्स फिसलकर 17,466.20 पॉइंट्स पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी सूचकांक 62.60 अंक नीचे 5317.90 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान इंडेक्स ने 17871 पॉइंट्स का हाई छुआ और लो देखा 17426 पॉइंट्स का। दिनभर की ट्रेडिंग के दौरान इंडेक्स ने 5445 पॉइंट्स का हाई देखा और इंट्रा-डे लो रहा 5305 पॉइंट्स।

बीएसई मिडकैप इंडेक्स 0.83 पर्सेंट नीचे आया और स्मॉलकैप इंडेक्स 1.25 पर्सेंट फिसला।

सेक्टोरल इंडेक्सेस में बीएसई का ऑयल एंड गैस इंडेक्स 3.69 पर्सेंट लुढ़का, पावर इंडेक्स ने 3.30 पर्सेंट का गोता लगाया, कैपटिल गुड्स इंडेक्स 3.08 पर्सेंट गिरा और मेटल इंडेक्स 2.32 पर्सेटं नीचे आया। दूसरी ओर, FMCG इंडेक्स 2.55 पर्सेंट चढ़ा, ऑटो इंडेक्स 0.37 पर्सेंट चढ़ा।

आम बजट में रक्षा बजट को करीब 17 फीसद बढ़ाकर 1,93,407 करोड़ रुपए कर दिया गया जो पिछले साल 1,64,415 करोड़ रुपए था। उल्लेखनीय है कि इस साल कई रक्षा सौदे होने हैं जिनमें भारतीय वायुसेना के लिए 126 लड़ाकू विमानों की खरीद भी शामिल है।
बजट में निर्धारित कुल राशि में 79,500 करोड़ रुपए आधुनिक शस्त्र प्रणाली और सैन्य साजो-सामान खरीदने पर खर्च किया जाएगा।

मुखर्जी ने कहा कि यह आबंटन वर्तमान जरूरतों पर आधारित है और देश की सुरक्षा के लिए आगे किसी भी जरूरत को पूरा किया जाएगा। इस साल जिन रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर होना है, उनमें सेना के तीनो अंगों के लिए 126 मीडियम मल्टी रोल लड़ाकू विमान, 145 अत्यधिक हल्के होवित्जर विमान, 197 लाईट यूटिलिटी हेलीकाप्टर और अन्य शस्त्र और प्रणालियां शामिल हैं। वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि रक्षा बलों के लिए 1,93,407 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है जिसमें से 79,500 करोड़ रुपए शस्त्रों की खरीद के लिए अलग किए गए हैं। भारत ने अगले पांच से 10 साल में रक्षा खरीद पर 100 अरब डालर खर्च करने की योजना बनाई है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को लोकसभा में 2012-13 के लिए आम बजट पेश करते हुए लोगों को व्यक्तिगत कर राहत देने, काले धन पर रोक लगाने, अधोसंरचना, पूंजी बाजार में सुधार को बढ़ावा देने के वादों के साथ सब्सिडी में भारी कटौती की  बात कही।मुखर्जी ने कहा कि कारपोरेट क्षेत्र के लिए यद्यपि कर दरें अपरिवर्तित हैं, लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र के विस्तार के लिए धन की आसान उपलब्धता का भरोसा दिलाया। भले ही उन्होंने खास वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क दरें और सीमा शुल्क बढ़ा दी। मुखर्जी ने सेवा कर को मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।

विनिवेश प्रक्रिय का विस्तार और उसे तेज बनाने पर सबसे ज्यादा जोर था। ओएनजीसी की हिस्सेदारी की नीलामी और सेबी के नियम बदलकर सरकार ने ऐसा कर गुजरने के संकेत दे दिये थे, बाजार को उम्मीद थी कि विनिवेश लक्ष्य बढ़कर कम से कम पचास लाख करोड़ का हो जायेगा , पर हुआ इसका उलट। सरकार ने अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक उपक्रमों की शेयर बिक्री के जरिये 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में विनिवेश लक्ष्य 40,000 करोड़ रुपये था, लेकिन सरकार सिर्फ 14,000 करोड़ रुपये ही जुटा पाई।

मुखर्जी ने कहा कि मैं 2012-13 में विनिवेश से 30,000 करोड़ रुपये जुटाने का प्रस्ताव करता हूं। मुखर्जी ने कहा कि सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में स्वामित्व और प्रबंधन में कम से कम 51 प्रतिशत रखने को प्रतिबद्ध है।उन्होंने कहा कि सीपीएसई को शेयर पुनर्खरीद और शेयर सूचीबद्धता के जरिये निजी क्षेत्र के समान अवसर दिया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में यूरो क्षेत्र ऋण संकट की वजह से वित्तीय बाजार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जिससे सरकार विनिवेश लक्ष्य में काफी पिछड़ गई है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने टैक्स स्लैब तो बढ़ा दिए लेकिन इसका फायदा भी कम सैलरी वाले लोग यानि आम आदमी को होता दिखाई नहीं दे रहा बल्कि जो व्यक्ति ज्यादा कमाता है उसे ही ज्यादा फायदा होगा। 5 लाख तक की इनकम वालों को सालाना सिर्फ 2,000 का फायदा होगा और इससे ज्यादा तो सर्विस टैक्स और एक्साइज टैक्स बढ़ाकर सरकार आपकी जेब से निकाल लेगी।

प्रणव के इस बयान से सरकार की मंशा जाहिर होती हे। रेल बजट में तो निजीकरम का खुल्ला दरवाजा दियखाया ही गया है। मजे की बात है कि ममता को इसपर ऐतराज नही है। वे खुद बंगाल में पीपीपी माडल के जरिए पूंजी निवेश बड़ाने का हर संबव कोशिश कर रही है। उन्होंने रेल बजट​
​ से  हफ्तेभर पहले माल भाड़ बढ़ाने का विरोध भी नहीं किया। पर दिनेश त्रिवेदी ने ऱेलवे को आईशईशई में भेजने का आरोप लगाकर उनको सीधी चुनौती दे दी। लंबित रेल परियोजनाओं, जिनकी घोषमा ममता ने की थी, उन्हों पूरा करने के लिए एक लाख करोड़ चाहिए और रेलवे को दस साल में चौदह लाख करोड़। सुरक्षा और संसाधन बढ़ाने के लिए निजी पूंजी की शरण लेने में उन्हें कोई बुराई नजर नहीं आयी। यात्री किराया और मालभाड़ा को बाजार के साथ नत्थी करने के मकसद से दिये गये नियामक संस्थ के प्रस्ताव पर भी उन्होंने आपत्ति नहीं जतायी। कारपोरेट इंडिया को खूब समझ में आ रहा है कि ममता की सौदेबाजी में फंस गयी है सरकार। रेल बजट हो या आम बजट ममता की बिसात के आगे सब कुछ संदर्भहीन। इससे सरकार की साख जो गिरी है, उसके बाद बादार की आस्था लौटा पाना प्रणव के लिए चरम अग्नि परीश्क्षा थी, जिसमें कहना न होगा कि वे बुरी​ ​ तरह फेल हैं। य़ह भी समझना होगा कि खुले बाजार में बाजार की आस्था चुनावी जनादेश से ज्यादा जरूरी है।अब बदले की कार्रवाई में​ ​ बाजार क्या कुछ कर गुजरेगा, इसकी पड़ताल बंगाल में ही हुई वामपंथियों की करारी शिकस्त के संदर्भ में बखूब की जा सकती है। बहरहाल खामियाजा तो आखिरकार आम आदमी को ही भुगतना पड़ेगा।

जैसे कि खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और रेल किराये में बढ़ोत्तरी पर संप्रग सहयोगी तृणमूल कांग्रेस के कड़े विरोध की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सरकार घटक दलों से विचार विमर्श करेगी और जब भी कोई कठोर निर्णय किया जायेगा, उन्हें साथ लिया जायेगा। आम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने स्वीकार किया कि गठबंधन मजबूरियों के कारण दिक्कतें पैदा होती हैं। लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार आठ से नौ प्रतिशत की दर के साथ तेज, स्थायी एवं सभी को लाभ दिलाने वाले विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

दूरदर्शन के एक साक्षात्कार में यह पूछे जाने की क्या ममता बनर्जी जैसी सहयोगी सरकार की सुधार प्रक्रिया में साथ हैं, के जवाब में सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि ये गठबंधन को संभालने की मजबूरियां हैं।उन्होंने कहा कि कठिनाइयां रहेंगी। कठिनाइयां रही हैं। लेकिन अंतत: सरकार को शासन करना है। उसके पास अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए एक टिकाऊ रणनीति होनी चाहिए। मेरा ईमानदारी से मानना है कि जब ऐसे उपयुक्त फैसले करने का समय आयेगा, जो कठोर हों, हम अपने सहयोगी दलों से विचार विमर्श करेंगे और उन्हें साथ लेकर चलेंगे।

सरकार ने इस बजट में आम आदमी को जो थोड़ी बहुत राहत दी है वो थोड़ा बहुत टैक्स स्लैब को बढ़ाकर ही दी है। आइए आपको बताते हैं कि नए टैक्स स्लैब से आपको कितना फायदा होगा—

इनकम- 5,00000 प्रति वर्ष
पहले टैक्स- 32000
अब टैक्स -30,000
फायदा   - 2000
नेट इनकम- 600000
पहले टैक्स- 52,000
अब टैक्स -50,000
फायदा   - 2,000
नेट इनकम- 900000
पहले टैक्स- 1,22,000
अब टैक्स -1,10,000
फायदा-   - 12,000
नेट इनकम- 10,000,00
पहले टैक्स- 1,52,0000
अब टैक्स  - 1,30,000
फायदा   -  22,0000

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश वर्ष 2012-13 के आम बजट में प्रस्तावित व्यक्तिगत आयकर दरों के विभिन्न स्लैब इस प्रकार रखे गये हैं।

60 वर्ष से कम आयुवर्ग के लिये:
वार्षिक 2,00,000 रुपये तक की आय पर - शून्य
वार्षिक 2,00,001 रुपये से 5,00,000 रुपये तक - 10 प्रतिशत
वार्षिक 5,00,001 रुपये से 10,00,000 रुपये तक - 20 प्रतिशत
वार्षिक 10,00,000 रुपये से अधिक आय पर - 30 प्रतिशत
60 वर्ष अथवा इससे अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयुवर्ग के लिये:  
वार्षिक 2,50,000 रुपये तक की आय पर - शून्य
वार्षिक 2,50,001 रुपये से 5,00,000 रुपये पर - 10 प्रतिशत
वार्षिक 5,00,001 रुपये से 10,00,000 रुपये तक - 20 प्रतिशत
वार्षिक 10,00,000 रुपये से अधिक आय पर - 30 प्रतिशत
80 वर्ष अथवा इससे अधिक आयु के बुजुर्गों के लिये:
वार्षिक 5,00,000 रुपये तक आय - शून्य
वार्षिक 5,00,001 रुपये से 10,00,000 रुपये पर - 20 प्रतिशत
वार्षिक 10,00,000 रुपये से अधिक आय पर - 30 प्रतिशत

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का व्यक्तिगत तौर पर यह सातवां आम बजट है और वे सबसे अधिक बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्रियों में दूसरे नंबर पर हैं।बजट में मुखर्जी ने व्यक्तिगत आयकर रियायत सीमा 1 लाख 80 हजार रुपये से बढाकर दो लाख रुपये करने की घोषणा की है। आयकर दर पर जो प्रस्ताव रखा गया है वह निम्न प्रकार लागू होगा:

दो लाख रुपये तक : शून्य
दो से पांच लाख रुपये तक : 10 प्रतिशत
पांच लाख से ज्यादा और दस लाख रुपये तक : 20 प्रतिशत
दस लाख रुपये से अधिक : 30 प्रतिशत

सरकार गैर कानूनी कारपोरेट आधार कार्ड योजना को वैधता देने के लिए इसे पहले ही मनरेगा से जोड़ चुकी है और अब प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि एक अप्रैल 2012 से शुरू होने वाले 40 करोड आधार नामांकन पूरे करने के लिए पर्याप्त धन आवंटन किया जाएगा और आधार का इस्तेमाल करते हुए एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। मनरेगा से लेकर वृद्धावस्था पेंशन और छात्रवत्तियों का भुगतान आधार के जरिए सीधे लाभार्थी के खातों में होगा।उन्होंने कहा कि आधार प्रणाली में नामांकनों की संख्या 20 करोड को पार कर गयी है और अब तक 14 करोड से अधिक आधार नंबर सृजित किये जा चुके हैं। मैं पर्याप्त निधियां आवंटित करने का प्रस्ताव करता हूं ताकि एक अप्रैल 2012 से शुरू होने वाले अन्य 40 करोड नामांकन पूरे किये जा सकें।उन्होंने कहा कि आधार के जरिए मनरेगा, वृद्धावस्था, विधवा और निशक्तता पेंशन तथा छात्रवत्तियों के भुगतान से संबंधित क्षेत्रों में सीधे ही लाभार्थी के खातों में जमा कराने में सहायता देने हेतु तैयार है।
   
वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के उद्देश्य प्रभावी रूप से हासिल करने के लिए आधार के जरिए एक सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण हेतु राष्ट्रीय सूचना उपयोगिता केन्द्र बनाया जा रहा है। यह दिसंबर 2012 तक लागू हो जाएगा।उन्होंने कहा कि नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता में सब्सिडी के प्रत्यक्ष अंतरण के लिए आईटी नीति के संबंध में कार्यबल की सिफारिशों को मान लिया गया है। इन सिफारिशों के आधार पर मोबाइल आधारित उर्वरक प्रबंध प्रणाली तैयार की गयी है ताकि निर्माता से लेकर खुदरा क्षेत्र तक उर्वरकों की आवाजाही तथा सब्सिडी पर बराबर नजर रखी जा सके।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत आर्थिक विकास में दूसरे देशों से काफी आगे है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कुछ कठोर फैसले लेने की आवश्यकता है। मुखर्जी ने कहा कि तेल की कीमतों और जापान में भूकंप का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। दुनिया की आर्थिक स्थिति का असर भारत पर भी हुआ है।

वित्त मंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक के उद्देशय हासिल करने के लिए दिसंबर तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली आधार कार्ड के जरिए कर दी जाएगी। मुखर्जी ने कहा कि संसद के बजट सत्र में ही काले धन पर सरकार श्वेत पत्र लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि समेकित बाल विकास योजना के लिए 2012-13 में आवंटन बढाकर 15850 करोड रुपये किया गया है।

प्रणब ने कहा कि यदि भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है तो दुनिया की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन निराशाजनक है लेकिन आगे सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।
मुखर्जी ने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले कुछ महीनों में मंहगाई की दर में गिरावट आएगी और फिर उसमें स्थिरता आएगी।
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने इसके पांच उद्देशय भी बताए। ये उद्देशय हैं:

1. घरेलू अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार
2. निवेश में सुधार
3. विभिन्न क्षेत्रों में विकास की बाधाओं को दूर करना
4. 200 जिलों में कुपोषण की समस्या को दूर करना
5. सुशासन और काले धन के खिलाफ कदम

बजट के मुख्य बिंदू निम्नलिखित हैं:

1. बचत खातों से मिलने वाले ब्याज पर 10,000 रुपये की छूट।
2. कारपोरेट कर में कमी नहीं लेकिन धन आसानी से उपलब्ध कराने के प्रावधान।
3. बिजली, उड्डयन क्षेत्र, सड़क, पुल, सस्ते घरों एवं उर्वरक क्षेत्रों के विदेशी वाणिज्यिक ऋणों पर कर 20 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया गया।
4. रक्षा बजट 1.93 लाख करोड़ रुपये।
5. राष्ट्रीय कौशल विकास कोष के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान।
6. अर्धसैनिक बलों के लिए चार हजार आवास बनाए जाएंगे और इसके लिए 1,185 करोड़ रुपये का प्रावधान।
7. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर दो वर्षो में पूरा होगा।
8. विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, इसी सत्र में श्वेत पत्र लाने के अलावा मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा।
9. जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान।
10. जल संसाधन एवं सिंचाई कम्पनी का संचालन शुरू होगा।
11. राज्य सरकारों के सहयोग से खाद्य प्रसंस्करण का राष्ट्रीय मिशन शुरू होगा।
12. एकीकृत बाल विकाय योजनाओं को मजबूत करने के साथ पुनर्गठन के लिए 15,850 करोड़ रुपये आवंटित।
13. ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति एवं स्वच्छता के लिए 14,000 करोड़ रुपये।
14. सार्वजनिक क्षेत्र को बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और नाबार्ड में वर्ष 2012-13 में 15,888 करोड़ रुपये डाले जाएंगे।
15. 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान आधारभूत संरचना के विकास के लिए 50 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता, आधा निवेश निजी क्षेत्र से।
16. 2011-12 की तुलना में 44 फीसदी अधिक राजमार्ग परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य।
17. उड्डयन क्षेत्र के लिए एक अरब डॉलर तक विदेशी वाणिज्यिक ऋण की अनुमति
18. सस्ते मकान बनाने वाली कम्पनियों को विदेशी वाणिज्यक ऋण लेने की अनुमति।
19. 2012-13 में खाद्य सुरक्षा के लिए राजकोषीय सहायता
20. विनिवेश से 30,000 करोड़ रुपये प्राप्त करने का लक्ष्य
21. 10 लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा वालों को अंशधारिता में 50,000 रुपये के निवेश पर पर आयकर में 50 फीसदी की छूट।
22. लघु वित्त संस्थाओं, राष्ट्रीय भूमि बैंक एवं सार्वजनिक ऋण प्रबंधन से सम्बंधित विधेयकों को 2012-13 के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा।
23. आने वाले वर्षो में कुपोषण, काले धन और सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से निपटना पांच प्राथमिकताओं में शामिल।
24. देश में महंगाई बनावटी है और यह कृषि क्षेत्र के अवरोधों के कारण है।
25. वर्ष 2011-12 में चालू खाता घाटा 3.6 फीसदी रहेगा, जिससे विनिमय दर पर दबाव बढ़ेगा।
26. वर्ष 2012-13 में विकास दर 7.6 फीसदी रहने की उम्मीद, महंगाई में कमी आएगी।
27. सरकारी योजनाओं पर खर्च की बेहतर निगरानी।
28. वित्त वर्ष 2011-12 में अर्थव्यवस्था में सुधार बाधित रही।
29. वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान।
30. पिछले दो साल से दहाई अंक की मुद्रास्फिति दर पर नियंत्रण पाना चुनौती थी।
31. अच्छी खबर यह है कि कृषि व सेवा क्षेत्र का अच्छा प्रदर्शन रहा। प्रमुख क्षेत्रों में सुधार के साथ समग्र अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद।
32. अब कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है, सुधारों की गति तेज करने की जरुरत है।
33. 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी।
34. पांच लाख से 10 लाख रुपये तक आय पर 20 फीसदी आयकर।
35. दो से पांच लाख रुपये तक आय पर 10 फीसदी आयकर।
36. व्यक्तिगत आयकर रियायत सीमा 1 लाख 80 हजार रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये
37. सिनेमा उद्योग को सेवा कर से छूट।
38. सेवा कर 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी। 18,660 करोड़ रुपये कर संग्रह का अनुमान।
39. सीमा शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी।
40. लौह अयस्कों के खनन के लिए सहायक उपकरणों के आयात पर सीमा शुल्क 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश करते हुए कहा कि देश के सकल निर्यात में एशिया-आसियान देशों का हिस्सा 2000-01 के 33.3 प्रतिशत से बढकर 53.7 प्रतिशत हुआ है। मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर राज्यों के साथ सहमति बनाने का प्रयास जारी है। भारत ने सफलतापूर्वक आयात निर्यात के विविधीकरण में सफलता हासिल की और अमेरिका सहित दुनिया के विभिन्न देशों के साथ कारोबार में बढोतरी हुई है।

मुखर्जी ने का कि चालू खाते का घाटा सकल विकास दर (जीडीपी) का 3.6 प्रतिशत रहेगा। 2012-13 में जीडीपी दर 7.6 प्रतिशत रहेगी। अगले तीन साल में केन्द्रीय सब्सिडी घटाकर जीडीपी के 1.7 प्रतिशत तक लाने की कोशिश होगी।

प्रणब ने कहा कि अर्थव्यवस्था में बदलाव हो रहा है और लगता है कि विनिर्माण क्षेत्र पुनर्जीवित हो रहा है। बजट भाषण पढ़ते वक्त मुखर्जी के एक ओर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बैठी थीं। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी भी पहली कतार में गृह मंत्री पी चिदंबरम के साथ बैठे नजर आये।

उन्होंने कहा कि सुधारों की गति तेज करनी होगी। काले धन और भ्रष्टाचार की समस्याओं से निपटने के लिए आपूर्ति प्रणाली सुधारने के उद्देशय से तेज गति से फैसले लेने होंगे। 2012-13 में जीडीपी दर 7.6 प्रतिशत रहने कर अनुमान है। इसमें 0.25 प्रतिशत की घटत बढ़त हो सकती है।
प्रणब ने कहा कि अगले छह महीने के दौरान 50 जिलों में रसोई गैस, कैरोसिन की सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में डालने की शुरुआत होगी। विनिवेश के 40 हजार करोड रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 2011-12 में केवल 14 हजार करोड रुपये ही जुटाये जा सके हैं।

मुखर्जी ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक जल्द से जल्द लागू किया जाएगा।

प्रणब ने कहा कि कंपनियों के लिए 10 करोड रुपये या इससे अधिक के आईपीओ इलेक्ट्रानिक जरिये से लाने होंगे। उन्होंने कहा कि अंशधारक इलेक्ट्रानिक जरिये से ही वोटिंग कर सकेंगे। बजट सत्र में राष्ट्रीय आवास बैंक विधेयक, सिडबी संशोधन विधेयक, नाबार्ड संशोधन विधेयक पेश किये जाएंगे।
   
मुखर्जी ने कहा कि छोटे निवेशकों को शेयर निवेश पर आयकर में रियायत देने की नई योजना का प्रस्ताव भी किया गया है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए वित्तीय होल्डिंग कंपनी बनाने का प्रस्ताव भी किया गया है।

वित्त मंत्री ने सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश से 2012-13 के दौरान 30 हजार करोड रुपये जुटाएगी। 70 हजार गांवों में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही ढाई करोड खाते चालू होंगे। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के नाम पर बचत योजना में 50 हजार रुपये तक के निवेश पर आयकर में रियायत दी जाएगी।

प्रणब ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के तहत 8800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास किया जाएगा। एयरलाइनें अपने रोजमर्रा के खर्च के लिए विदेश से कर्ज ले सकेंगी। 12वीं योजना के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढकर होगा 50 लाख करोड रूपये होगा। इसमें से आधी रकम निजी क्षेत्र से आएगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि अगले वित्त वर्ष के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र का वित्तपोषण बढाकर 60 हजार करोड रुपये करने के लिए सरकार कर मुक्त बांड दोगुने करेगी। इसके अलावा दो नये मेगा हथकरघा क्लस्टर आंध्र प्रदेश और झारखंड में स्थापित किये जाएंगे।

प्रणब ने कहा कि पूर्वी भारत में हरित क्रान्ति के कारण खरीफ सत्र में 70 लाख टन से अधिक धान की उपज हुई है। कृषि और सहकारिता क्षेत्र के बजट में 18 प्रतिशत बढोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि विदेशी एयरलाइनों को भारत में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कार्य करने की अनुमति देने के बारे में सक्रियता से विचार हो रहा है।
   
मुखर्जी ने कहा कि अगले पांच साल में भारत यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा। खेतीबाडी के लिए कर्ज 5.75 लाख करोड रुपये का लक्ष्य रख गया है, जो पिछली बार से एक लाख करोड रुपये अधिक है।

उन्होंने कहा कि किसानों को सात प्रतिशत ब्याज पर रियायती फसली ऋण योजना 2012-13 में भी जारी रहेगी। इसके अलावा राज्यों के साथ मिलकर खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किया जाएगा। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को देने के लिए नाबार्ड को सरकार 10 हजार करोड रुपये मुहैया कराएगी।
वित मंत्री ने कहा कि दिसंबर 2012 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क कंप्यूटरीकृत हो जाएगा। मिड डे मील योजना के लिए 11937 करोड रुपये की घोषणा भी प्रणब मुखर्जी ने की है। सबला योजना के लिए 7050 करोड रुपये की घोषणा भी की गई है।

प्रणब ने कहा कि ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता योजना के लिए आवंटन बढाकर 14000 करोड रुपये किया गया है। 2011-12 में यह 11000 करोड रुपये था। साथ ही स्वयं सहायता महिला समूह के तीन लाख रुपये तक के बैंक कर्ज सात प्रतिशत ब्याज दर पर दिए जाएंगे। समय पर कर्ज लौटाने वालों को चार प्रतिशत पर कर्ज मिलेगा।
   
मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय पिछडा क्षेत्र अनुदान योजना का परिव्यय 22 प्रतिशत बढाकर 12040 करोड रुपये किया गया है। ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास के लिए 20 हजार करोड रुपये खर्च किये जाएंगे। इसमें से पांच हजार करोड रुपये भंडारण सुविधाओं के लिए होंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटन 18115 करोड रुपये से बढाकर 20822 करोड रुपये किया गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि 2012-13 में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम को 1000 करोड रुपये दिये जाएंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 3915 करोड रुपये दिये जाएंगे। 2012-13 में रक्षा सेवाओं के लिए 193407 करोड रुपये का प्रावधान रखा गया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि 2011-12 में शुद्ध कर प्राप्तियां 771071 करोड रुपये की हुई हैं। गैर योजनागत व्यय 2012-13 में 969900 करोड रुपये रहने का अनुमान है। प्रत्यक्ष कर वसूली चालू वित्त वर्ष में 32000 करोड रुपये कम रही है। अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत तक लाने के लिए प्रतिबद्धता की घोषणा भी मुखर्जी ने की। कंपनी कर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।   

प्रणब ने कहा कि केन्द्र का कुल कर्ज जीडीपी का 45 प्रतिशत है। प्रतिभूति क्रय विक्रय कर की दर घटाई गई है। विदेश में रखी संपत्ति और दो लाख रुपये से अधिक के सोने चांदी की खरीद की जानकारी आयकर विभाग को देना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रत्यक्ष कर में रियायतों से 4500 करोड रुपये के राजस्व के नुकसान की जानकारी भी वित्त मंत्री ने दी।

मुखर्जी ने कहा कि कुछ गिनी चुनी सेवाओं को छोडकर सभी प्रकार की सेवाओं को सेवा कर के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया है। सेवा कर की दर दस से बढाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव भी बजट में दिया गया है। उत्पाद एवं सेवा कर के लिए साझा कर संहिता बनाने का विचार किया जा रहा है। सेवा कर प्रस्तावों से 18660 करोड रुपये अतिरिक्त राजस्व वसूली का अनुमान बजट में लगाय है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सीमा शुल्क की अधिकतम दरों में कोई तब्दीली नहीं की गई है। साइकिल पर सीमा शुल्क दस से बढाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। उर्वरक संयंत्रों के लिए उपकरणों के आयात को तीन साल के लिए सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है। बिजली उत्पादन में काम आने वाली प्राकृतिक गैस, एलएनजी, यूरेनियम को दो साल के लिए सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट रखी गई है।

प्रणब ने कहा कि आयोडीन के आयात पर शुल्क घटाया गया है। सडक और राजमार्ग निर्माण में काम आने वाले उपकरणों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है। विमानों के कलपुर्जों, टायर और परीक्षण उपकरणों के आयात पर सीमा शुल्क की पूरी छूट दी गई है।

उन्होंने कहा कि सोने और प्लेटिनम का आयात मंहगा किया गया है। हाथ से निर्मित माचिसों पर उत्पाद शुल्क दस से घटाकर छह प्रतिशत किया गया है। कीमती विदेशी कारों का आयात मंहगा हो गया है।

साफ्टवेयर कंपनियों के संगठन नासकाम ने बजट को लेकर निराशा व्यक्त की है। संगठन का कहना है कि बजट में 100 अरब डालर के आईटी-बीपीओ क्षेत्र के लिये कोई प्रस्ताव नहीं है। उद्योग ने विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) से आय पर न्यूनतम वैकल्पिक कर से छूट देने के अनुरोध किया था जिसकी अनदेखी की गयी।

नासकाम ने बयान में कहा कि बजट में अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने को लेकर फोकस नहीं है। राजकोषीय घाटे में कमी लाने के लिये व्यय प्रबंधन की बजाए उच्च कर का रास्ता अपनाया गया। साथ ही इसमें डीटीसी और जीएसटी लागू करने के लिये कोई कार्य योजना नहीं है। इसके अलावा कर को सरल बनाने के मुद्दों का समाधान नहीं किया गया है।

नासकाम ने कहा कि निरंतर अनिश्चित कारोबार का निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और कुल मिलाकर इसका वृद्धि पर असर पड़ेगा।

इस बार के बजट में शुल्क बढ़ाने के कारण कार खरीदना महंगा हो गया है। मारुति, सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और होंडा सिएल कार्स इंडिया अपनी कारों की कीमतें 70,000 रुपए तक बढ़ाने का फैसला किया है।

मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध कार्यकारी अधिकारी (विपणन और बिक्री) मयंक पारीख ने कहा कि हम अपने सभी उत्पादों की कीमतें बढ़ाएंगे और उत्पाद शुल्क का सारा बोझ ग्राहकों पर डाला जाएगा। फिलहाल, हम तय कर रहे हैं कि कीमतों में किस हद तक वृद्धि की जाए।

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने भी कहा कि इससे सभी किस्म के उत्पादों की कीमत बढ़ेगी। महिंद्रा एंड महिंद्रा के अध्यक्ष (आटोमोटिव और कृषि उपकरण क्षेत्र) पवन गोयंका ने कहा मौजूदा आर्थिक परिदृश्य और देश के राजस्व घाटे की स्थिति के मद्देनजर उत्पाद शुल्क बढ़ने की पहले से आशंका थी। हालांकि उद्योग को इससे खुशी नहीं होगी, लेकिन हमें इसे स्वीकार करना होगा।

उन्होंने कहा कि उद्योग ने उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का सारा बोझ ग्राहकों पर डाला जाएगा। गोयंका ने कहा कि हाल के दिनों में लागत बढ़ गई है। इसके मद्देनजर हम वाहनों में दो से तीन फीसदी की बढ़ोतरी करेंगे, जिसका मतलब होगा कि कंपनी की कारें 6,000 रुपए से 30,000 रुपए तक महंगी हो जाएंगी।

उन्होंने कहा कि कंपनी अपने ट्रैक्टरों की कीमत में भी 5,000 से 6,000 रुपए तक की बढ़ोतरी होगी। इधर होंडा सिएल कार्स इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ज्ञानेश्वर सेन ने कहा कि स्थानीय तौर पर विनिर्मित सभी कारों की कीमत बढ़ेगी।
 

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