Friday, March 16, 2012

सुधारों की दिशा में बढ़े प्रणब

सुधारों की दिशा में बढ़े प्रणब 


Saturday, 17 March 2012 11:00

जनसत्ता ब्यूरो 
नई दिल्ली, 17 मार्च। ममता बनर्जी के विरोध की चिंता छोड़ यूपीए सरकार ने आर्थिक सुधारीकरण की दिशा में आगे बढ़ने के फिर संकेत दे दिए हैं। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपना बजट पेश करते हुए शुक्रवार को संसद में साफ कहा कि पिछला साल संकट से उबरने का था पर अब अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारनी है तो कड़े फैसले लेना जरूरी है। इसकी शुरुआत उन्होंने उत्पाद शुल्क की दर में एकमुश्त दो फीसद की बढ़ोतरी से कर दी। साथ ही सर्विस टैक्स की दर को भी बढ़ा कर उत्पाद शुल्क के समान बारह फीसद कर डाला। इतना ही नहीं सर्विस टैक्स का दायरा भी बढ़ा दिया। अकेले सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी से उन्होंने 18660 करोड़ रुपए की ज्यादा आमदनी का अनुमान जताया। अनुदान के बढ़ते बोझ को काबू करने के लिए लाभार्थियों को इसके नकद भुगतान की सांकेतिक व्यवस्था को विस्तार देने का एलान किया तो कालेधन पर इसी सत्र में श्वेत पत्र लाने का इरादा भी जता दिया। इससे साफ हो गया कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार को सचमुच गंभीर होना पड़ेगा। रक्षा बजट में वित्तमंत्री ने 1934.07 अरब का प्रावधान किया है जो पिछले साल के बजट अनुमान के मुकाबले 17 फीसद ज्यादा है। अपने बजट में मुखर्जी ने इस बार करों की दर भी बढ़ाई और दायरा भी। उदारता का चोला उतार कर वे निष्ठुर बन गए और व्यक्तिगत आयकरदाताओं को करमुक्त आय में केवल बीस हजार रुपए की राहत दी। जबकि कंपनी क्षेत्र के लिए लागू तीस फीसद की मौजूदा दर को बरकरार रखा है। 
वित्तमंत्री ने अगले साल अनुदान के बोझ को काबू करने का इरादा जताते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो जाने से इसमें मदद मिलेगी। सरकार कोशिश करेगी कि अनुदान की रकम सकल घरेलू उत्पाद के दो फीसद से ज्यादा न हो। बेहतर कर प्रबंधन से भी अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जाएगा। इसके तहत आयकर संहिता और जीएसटी को नए वित्तीय साल में लागू करने की सरकार भरसक कोशिश करेगी। हालांकि पिछले बजट में विनिवेश से चालीस हजार करोड़ की रकम जुटाने का सरकार ने जो दावा किया था वह अधूरा रह गया और इस मद में महज चौदह हजार करोड़ की आय ही हो पाई। तो भी अगले साल फिर मुखर्जी ने विनिवेश से तीस हजार करोड़ रुपए जुटाने का संकल्प दोहरा दिया है। बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 51 फीसद करने के फैसले से भी उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई है। पूंजी बाजार में निवेश बढ़ाने के लिए रियायतें दी हैं तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और दूसरे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को और मजबूत करने का फैसला किया है। इसके लिए 15888 करोड़ की बजट में व्यवस्था भी कर दी है। 
वित्तमंत्री ने जहां घरेलू साइकिल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आयातित साइकिलों पर सीमा शुल्क बढ़ाया है वहीं सोने और प्लेटिनम व इनके आभूषणों में बढ़ रहे निवेश को भी हतोत्साहित करने की कोशिश की है। कीमती विदेशी कारें ही नहीं बल्कि देश में बनने वाली कारों और खेती के काम आने वाले ट्रैक्टरों पर भी उत्पाद शुल्क बढ़ा कर उन्हें महंगा किया है। बीड़ी, गुटखा और दूसरे तंबाकू उत्पाद इस बार के बजट में भी महंगाई की मार से बच नहीं पाए। पर माचिस, चांदी के ब्रांडेड जेवर, ढांचागत परियोजनाओं से जुड़े उपकरणों, सोया उत्पादों, कुछ जीवनरक्षक दवाओं और उड्डयन क्षेत्र के कलपुर्जे, टायर व परीक्षण उपकरणों का आयात सस्ता कर दिया है। जो चीजें सस्ती होंगी उनमें बुलेट प्रूफ हेल्मेट, मोबाइल फोन के मेमोरी कार्ड के पुर्जे, एलसीडी व एलईडी टीवी पैनल और रद्दी कागज के अलावा बिजली की खपत में सहायक सीएफएल जैसे उपकरण भी हैं। दिल के रोगियों के लिए जरूरी स्टंट और वाल्व बनाने के कच्चे माल के आयात पर भी शुल्क में कमी की गई है। 
सामाजिक क्षेत्र के प्रति भी वित्तमंत्री ने अपना सरोकार बदस्तूर जताया है। बुनकरों के लिए 3884 करोड़ के पैकेज को बजट में शामिल किया गया है तो ग्रामीण आवासीय कोष में आबंटन को बढ़ाकर चार हजार करोड़ कर दिया है। कृषि क्षेत्र की चिंता करने का भी वित्तमंत्री ने दावा किया है। कृषि क्षेत्र के लिए योजनागत मद में बजट आबंटन 18 फीसद बढ़ाकर 20 हजार 208 करोड़ कर दिया गया है। इसके लिए कृषि क्षेत्र में 5750 अरब के कर्ज की व्यवस्था के अलावा सात फीसद के सस्ते ब्याज पर कर्ज की सुविधा को बढ़ा दिया है। वक्त पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को ब्याज में तीन फीसद की छूट पहले की तरह जारी रहेगी। कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए दो अरब रुपए के पुरस्कार घोषित किए हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए आवंटन बढ़ाकर 9217 करोड़ कर दिया है। 
अनुसूचित जातियों के कल्याण की योजनाओं के लिए बजट आबंटन में 18 फीसद और आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं के बजट में 17.6 फीसद की बढ़ोतरी की गई है। एकीकृत बाल विकास परियोजना के बजट में एकमुश्त 58 फीसद का इजाफा किया गया है। साथ ही मिड-डे मील के लिए 11,937 करोड़ का आबंटन किया गया है। सबला योजना वयस्क गरीब लड़कियों के लिए पहले से लागू है। पर नए बजट में इसका आबंटन बढ़ाकर 750 करोड़ किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल और स्वच्छता कार्यक्रम का आबंटन भी 27 फीसद   बढ़ाया गया है। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के आबंटन को बीस फीसद बढ़ाकर 24 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। सर्व शिक्षा अभियान के लिए बजट में 21.7 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए बजट आबंटन बढ़ाकर 20,822 करोड़ कर दिया गया है। मनरेगा योजना के सकारात्मक नतीजे मिलने का दावा करते हुए वित्तमंत्री ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के लिए 3915 करोड़ की व्यवस्था की है। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजनाओं के तहत 8800 किलोमीटर अतिरिक्त राजमार्ग के निर्माण का लक्ष्य ढांचागत क्षेत्र के विकास का सूचक है। 

वित्त मंत्री ने कहा कि बीता साल मुश्किलों से भरा रहा। इसलिए नए साल में कड़े फैसले लेना जरूरी हो गया है। सुधारों को गति देनी पड़ेगी और साथ ही अर्थव्यवस्था में निवेश का बेहतर प्रबंधन भी करना पड़ेगा। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वित्तमंत्री ने अपने पांच मकसद भी बता दिए। एक तो घरेलू मांग पर आधारित विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। दूसरे निजी निवेश बढ़ाने के लिए माहौल में तेजी से सुधार किया जाएगा। कृषि, ऊर्जा, परिवहन क्षेत्र, कोयला, ऊर्जा, राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे और नागरिक उड्डयन जैसे क्षेत्रों की कठिनाइयों को दूर करना होगा। कुपोषण की समस्या से जूझ रहे देश के दो सौ जिलों के लिए निर्णायक कदम उठाना और सुशासन व पारदर्शिता के लिए सरकारी फैसलों को समन्वित तरीके से लागू करना। खासकर कालेधन और भ्रष्टाचार की समस्या से निपटना। 
खाद्यान्न उत्पादन बढ़ने और रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपायों से महंगाई में कुछ कमी आई तो वित्त मंत्री ने सर्विस टैक्स और उत्पाद शुल्क दोनों की दर दस से बारह फीसद करके कारखानों में बनने वाली तमाम चीजों और सेवाओं को और महंगा बना दिया है। फैसले महंगाई बढ़ाने वाले हैं पर दावे इस पर अंकुश लगाने के। शेयर बाजार की चिंता करते हुए बजट में प्रतिभूति सौदा टैक्स में रियायत दी गई है तो निवेश को उदार बनाया गया है। 
वित्तमंत्री ने 2012-13 के लिए 14,909.25 अरब रुपए का अपना बजट शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया। इसमें 5135.90 अरब रुपए का राजकोषीय घाटा छोड़ा गया है जो सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 फीसद के बराबर आंका गया है। कुल प्रस्तावित खर्च में जहां 5210.25 अरब रुपए की राशि का प्रावधान योजनागत मद में किया गया है वहीं बाकी 9699.00 अरब रुपए की भारी भरकम राशि गैरयोजनागत मदों में खर्च होगी। सरकार को इस वित्तीय साल में विभिन्न करों से 10776.12 अरब रुपए की आमदनी होने का अनुमान है। इसके अलावा करों से इतर दूसरे स्रोतों से भी सरकार ने 1646.14 अरब रुपए की आमदनी का अनुमान लगाया है। 
आर्थिक उदारीकरण का दौर जब से शुरू हुआ है, सरकार राजकोषीय घाटे को काबू करने के दावे तभी से बढ़-चढ़ कर करती रही है। इस दावे को भरोसेमंद बनाने के लिए उसने कानूनी जामा भी पहनाया। पर राजकोषीय घाटा अब उसके काबू से बाहर है। हर साल बजट के वक्त इस घाटे को लेकर जो भी अनुमान जताए जाते हैं, वे सभी संशोधित आकलन में हवाई साबित होते हैं। पिछले साल बजट पेश करते वक्त मुखर्जी ने राजकोषीय घाटा 4.6 फीसद तक आ जाने की उम्मीद जताई थी। पर साल बीतने पर गुरुवार को आर्थिक समीक्षा आई तो पता चला कि यह राजकोषीय घाटा बढ़ कर सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 फीसद के बराबर रहेगा। इसी तरह आर्थिक विकास दर के पिछले बजट के अनुमान भी साल बीतते-बीतते ध्वस्त हो गए। तब सरकार ने आठ फीसद विकास दर की उम्मीद जताई थी पर अब वास्तविक आंकड़ा 6.9 फीसद ही रह गया। देखना है कि अगले वित्तीय साल के विकास दर को 7.6 फीसद तक पहुंचाने और राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसद पर रोक देने के दावे की हकीकत क्या होगी? पर गनीमत है कि पिछले साल की तरह वित्त मंत्री ने इस साल 4.6 फीसद के राजकोषीय घाटे की कल्पना नहीं की है। जाहिर है कि घाटे की भरपाई के लिए सरकार को 5135.90 अरब का बंदोबस्त कर्ज से करना पड़ेगा। इस तरह अगले साल के अंत तक देश का कर्ज बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद के 45.5 फीसद के स्तर तक पहुंच जाएगा। हालांकि 13वें वित्त आयोग ने यह आंकड़ा 50.5 तक हो जाने की आशंका जताई थी। जहां तक राजस्व घाटे का सवाल है, उसे वित्तमंत्री ने 1857.52 अरब के स्तर पर सीमित करने का भरोसा जताया है जो सकल घरेलू उत्पाद के 1.8 फीसद के बराबर है। 
बकौल मुखर्जी, बजट में योजनागत मद में किए गए आबंटन में पिछले साल के बजट अनुमान की तुलना में 18 फीसद की बढ़ोतरी की गई है। जबकि गैरयोजनागत खर्च को वे चाह कर भी फिर काबू में नहीं रख पाए हैं। यह खर्च चालू वित्तीय साल के बजट अनुमान की तुलना में 18.8 फीसद ज्यादा है। पर चुभन ज्यादा न हो इसके लिए मुखर्जी ने इस आंकड़े की तुलना चालू वित्तीय वर्ष के संशोधित अनुमान से कर दी और बताया कि उसकी तुलना में यह केवल 8.7 फीसद ही ज्यादा है। उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष बारहवीं पंचवर्षीय योजना का शुरुआती वर्ष है और उन्हें संतोष है कि पिछली पंचवर्षीय योजना में सरकार ने योजनागत मद में जितने खर्च का अनुमान लगाया था, उस पर वह सौ फीसद खरी उतरी है। राजकोषीय घाटा बढ़ने का सरकार के पास रटा-रटाया बहाना है कि अनुदान के बढ़ते बोझ के आगे वह बेबस हो जाती है। पेट्रोलियम उत्पादों, उर्वरक और राशन पर दिए जाने   वाले अनुदान को जनहित में वह चाह कर भी नियंत्रित नहीं कर सकी है।  
छोटे और मंझोले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए भी बजट में कई कदम उठाए गए हैं। अभी तक साठ लाख रुपए सालाना तक का कारोबार करने वालों को ही आडिट से छूट थी। अब इसे बढ़ाकर एक करोड़ कर दिया गया है। पांच हजार करोड़ रुपए की रकम से भारत अवसर वेंचर कोष बना कर छोटे और मंझोले उद्योगों को वित्तीय सहायता दी जाएगी। ढांचागत विकास से जुड़े उद्योगों के लिए भी बजट में कई रियायतें दी गई हैं।

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