Wednesday, 14 March 2012 09:48 |
अंबरीश कुमार मायावती जब हारीं, तो ठीकरा राजनीतिक दलों के साथ मीडिया पर भी फोड़ दिया। वे यह भूल गर्इं कि उनके बेलगाम अफसरों और नेताओं ने क्या-क्या किया। इनमें एक अफसर तो सूचना विभाग में अभी भी जमा हुआ है। इस बार अखिलेश को जो जनादेश मिला है, वह डीपी यादव के खिलाफ कड़ा फैसला लेने की वजह से मिला है। वरना उन्हें पार्टी में शामिल करा कर मायावती की तरह यह बयान दिया जा सकता था कि सब विरोधियों की साजिश है। लेकिन तब वह जनादेश नहीं मिलता जिस पर सवार होकर अखिलेश यादव एक नायक की तरह उभरे है। राजनीतिक आंदोलन के कारण कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले चलते हैं पर उनसे किसी को अपराधी नहीं माना जा सकता। उदाहरण है पिछले तीन दशक से विश्वविद्यालय से लेकर सड़क की राजनीति करने वाले रविदास मेहरोत्रा का, जिन्हें एक एनजीओ ने टाप टेन अपराधी घोषित कर दिया है पर जीवन में उन्होंने एक मुर्गी भी नहीं मारी होगी। इसलिए ऐसे नेताओं में और अपराधी किस्म के नेताओं में भी फर्क करना पड़ेगा। समाजवादी पार्टी ने अपने कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर यह साफ भी किया है कि अब पुरानी संस्कृति बदल रही है। |
Wednesday, March 14, 2012
अखिलेश के शपथ लेने से पहले ही सरकार चलाने लगे समाजवादी
अखिलेश के शपथ लेने से पहले ही सरकार चलाने लगे समाजवादी
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