Tuesday, March 13, 2012

हरीश रावत की बगावत से अविचल कांग्रेस आला कमान ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के मामले पर दोबारा विचार करने से इंकार कर दिया।

 हरीश रावत की बगावत से अविचल कांग्रेस आला कमान ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के मामले पर दोबारा विचार करने से इंकार कर दिया। 


uesday, 13 March 2012 16:36

नयी दिल्ली : देहरादून, 13 मार्च (एजेंसी) केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत की बगावत से अविचल कांग्रेस आला कमान ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के मामले पर दोबारा विचार करने से इंकार कर दिया। साथ ही यह कहा कि पार्टी सांसद विजय बहुगुणा ही निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्य के नये मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कृषि और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम की अनदेखी किए जाने से नाराज होकर अपना इस्तीफा भेज दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कल रात पार्टी सांसद विजय बहुगुणा को उत्तरखंड का नया मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया। बहुगुणा ने संवाददाताओं को बताया कि वह आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। अगले तीन से चार दिन के भीतर छह और मंत्रियों को पार्टी आला कमान के साथ परामर्श के बाद मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।   
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने पीटीआई को बताया, ''वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और बीरेन्द्र सिंह केन्द्रीय प्रेक्षकों के तौर पर देहरादून के लिए रवाना हो चुके हैं और मुख्यमंत्री के तौर पर बहुगुणा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शपथ लेंगे।''
द्विवेदी के इस बयान के बीच उनके आवास के बाहर रावत समर्थको का विजय बहुगुणा को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन जारी है।
ऐसा कहा जा रहा है कि रावत ने लगातार दूसरी बार राज्य में मुख्यमंत्री पद की उनकी दावेदारी को अनदेखा किए जाने के विरोध में सरकार में बने रहने पर असमर्थता जताते हुए कृषि और संसदीय मामलों के राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

बहुगुणा के नाम की घोषणा के फौरन बाद 18 विधायक रावत के आवास पर जमा हुए और आज सुबह उनके विरोध के स्वर तीव्र हो गए । अल्मोड़ा से कांग्रेस सांसद प्रदीप टम्टा भी रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने की इस मुहिम में शामिल हो गए।
रावत भाजपा के मुरली मनोहर जोशी को हराकर 1980 में लोकसभा पहुंचे थे और उसके बाद तीन बार फिर लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। उन्हें दस वर्ष पहले भी नारायण दत्त तिवारी को तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी से महरूम कर दिया गया था।
टम्टा ने कहा कि इस मामले में केन्द्रीय मंत्री के साथ जो 'अन्याय' किया जा रहा है वह राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भारी निराशा का सबब है।
हालांकि उन्होंने इस मामले पर पार्टी में किसी तरह की फूट से इंकार करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उनकी नेता है, ''पार्टी को कोई नहीं तोड़ सकता।''
टम्टा ने कहा, ''हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि इस मामले में जो कुछ हुआ है वह रावत के साथ अन्याय है। वह एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो उत्तराखंड में सब को मान्य हैं और पार्टी का चेहरा हैं।''
हरीश रावत की बगावत के बारे में पूछे जाने पर बहुगुणा ने कहा कि वह एक कांग्रेसी हैं और यह समस्या पार्टी का अंदरूनी मामला है। उन्होंने विश्वास जताया कि आलाकमान सलाह मशवरे से इस मामले को हल कर लेगा।
उन्होंने कहा कि मंत्रिमडल में शामिल किए जाने वाले मंत्रियों पर आला कमान से विचार किया जाएगा। इस मामले पर सहयोगी दलों से भी विचार किया जाएगा।

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