Wednesday, 07 March 2012 09:36 |
जनसत्ता ब्यूरो नई दिल्ली, 7 मार्च। पूर्वांचल में भले बसपा ने बुरी तरह मुंह की खाई है पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजे उसके लिए उतने खराब नहीं रहे हैं। बिजनौर जिले की आठ में से चार सीटें बसपा को मिल गई हैं। पिछले चुनाव में जिले में कुल सात सीटें थीं और सारी बसपा ने जीती थीं। बिजनौर भी मायावती का अपना जिला रहा है, जहां से उन्होंने 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था। बिजनौर से ओपी गुप्ता के मुताबिक यहां मुसलमान-दलित समीकरण कामयाब हो गया और बसपा के ओम कुमार सिंह (नहटौर), इकबाल ठेकेदार (चांदपुर), तसलीम अहमद (नजीबाबाद) और मुहम्मद गाजी (बढ़ापुर) पार्टी के खिलाफ चली आंधी के बावजूद जीत गए। बसपा के गढ़ अंबेडकर नगर जिले की पांचों सीटें सपा ने जीती हैं। बरेली से शंकरदास के मुताबिक यहां नौ में से एक तिहाई सीटों पर भाजपा का कमल खिल गया। इतनी ही सीटें सपा ने और दो बसपा ने जीती हैं। लोकसभा सीट पर काबिज कांग्रेस का यहां खाता भी नहीं खुल पाया। उससे अच्छा प्रदर्शन तो मिल्ली काउंसिल ने कर दिखाया। भाजपा को आंवला, बरेली शहर और बरेली कैंट में सफलता मिली है। जबकि सपा ने बहेड़ी, फरीदपुर और नवाबगंज सीटें जीती हैं। बसपा को बिथरी चैनपुर और मीरगंज सीटें ही मिली हैं। जिस शहजिल इस्लाम का मायावती ने टिकट काटा था वह भौजीपुरा में मिल्ली काउंसिल से जीत गया। रायबरेली में बिटिया प्रियंका का नारा इस बार विफल हो गया। सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र की पांचों सीटें पार्टी हार गई। शहर सीट पर, जहां पीस पार्टी के अखिलेश सिंह लगातार पांचवीं बार जीत गए वहीं बाकी चारों सीटें सपा ने कांग्रेस से झटक लीं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ही मुजफ्फर नगर जिले में भी बसपा ने आठ में से तीन सीटें जीती हैं। यहां शहर सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक अशोक कंसल को सपा के चितरंजन स्वरूप ने हरा दिया। पर पुरकाजी, चरथावल और मीरापुर में बसपा जीत गई। हरियाणा से उत्तर प्रदेश आकर किस्मत आजमाने वाले चर्चित दलबदलू कर्तार सिंह भडाना की किस्मत इस बार खतौली में साथ दे गई। रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ कर उन्होंने बसपा के ताराचंद शास्त्री को हरा दिया। भाजपा के दिग्गज हुकुम सिंह ने कैराना सीट फिर जीती है। वे विधानसभा में अभी पार्टी के उप नेता हैं। कांग्रेस को यहां शामली में सफलता मिल गई। उसके बघरा के मौजूदा विधायक पंकज मलिक फिर जीत गए। परिसीमन में बघरा खत्म हो गई थी। मुजफ्फर नगर से संजीव वर्मा के मुताबिक जिले में सपा को दूसरी सीट बुढाना की मिली है। गाजीपुर की सात में से छह सीटें सपा ने जीती हैं। जबकि सातवीं मोहम्मदाबाद सीट पर कौमी एकता दल के शिवगतुल्ला अंसारी जीते हैं, जो पूर्वांचल के चर्चित बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई हैं। दोनों भाइयों ने अपनी अलग कौमी एकता पार्टी बना कर चुनाव लड़ा था क्योंकि सपा और बसपा दोनों ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था। जयप्रकाश भारती के मुताबिक पिछले चुनाव में यहां बसपा को पांच और सपा को दो सीटें मिली थीं। मथुरा से अशोक बंसल के मुताबिक यहां अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी का जादू खूब चला। कांग्रेस ने जहां मथुरा शहर की अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा वहीं मांट में मथुरा के सांसद जयंत चौधरी ने दिग्गज श्याम सुंदर शर्मा को फिर हरा दिया। लोकसभा में भी शर्मा को उन्होंने ही हराया था। बसपा ने यहां गोवर्धन सीट बचा ली। जबकि छाता और बलदेव में रालोद के उम्मीदवार जीत गए। भाजपा यहां खाता भी नहीं खोल पाई। सोनभद्र में भी सपा की साइकिल ही दौड़ी। हालांकि ओबरा सीट बसपा ने जीत ली। वाराणसी के नतीजे भी चौंकाने वाले रहे। जिले की आठ में से तीन सीटें भाजपा ने जीत लीं। उसके श्यामदेव रायचौधरी, ज्योत्सना श्रीवास्तव और रवींद्र जायसवाल जीते हैं। अरविंद कुमार के मुताबिक अपना दल की महासचिव अनुप्रिया पटेल भी चुनाव जीत गई हैं। कांग्रेस और सपा को यहां एक-एक सीट मिली है। जबकि बसपा ने दो सीटें जीती हैं। गोण्डा से जानकी शरण द्विवेदी के मुताबिक गोण्डा और बलरामपुर जिलों की 11 में से दस सीटें सपा को मिली हैं। गोण्डा से कांग्रेस सांसद और केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के संसदीय क्षेत्र में पार्टी उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाए। अलबत्ता कटरा बाजार सीट जीत कर भाजपा के बावन सिंह ने पार्टी की लाज बचा ली। कांग्रेस और बसपा का यहां खाता भी नहीं खुल पाया। |
Tuesday, March 6, 2012
पश्चिमी उप्र ने बचाई बसपा की लाज
पश्चिमी उप्र ने बचाई बसपा की लाज
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