Sunday, 11 March 2012 17:07 |
तवलीन सिंह फिर भी अखिलेश को जब फुरसत मिले, अच्छा होगा अगर वे ध्यान से कांग्रेस पार्टी के हाल का विश्लेषण करें। ऐसा करने से शायद उनको वे गलतियां दिख जाएंगी, जिनकी वजह से देश कासबसा पुराना राजनीतिक दल इतना बीमार, इतना लाचार हो चुका है कि मुमकिन है कि 2014 के लोकसभा चुनावों तक दिल्ली से पालम तक ही उसका असर सीमित रह जाए। मेरा मानना है कि कांग्रेस ने सबसे बड़ी गलती की गांधी परिवार के करिश्मे पर विश्वास करके। ऐसा करने से कांग्रेस कहीं न कहीं भूल गई कि वह कभी एक असली राजनीतिक दल हुआ करती थी, जिसका संगठन हुआ करता था, जो चुनावों में उन लोगों को टिकट दिया करती थी, जिन्होंने जनता की सेवा की। न कि सिर्फ उनको जो किसी बड़े राजनेता के रिश्तेदार हों। चुनाव परिणाम आने के बाद जब राहुल पत्रकारों से मिले तो उन्होंने कहा कि बुनियादी तौर पर कांग्रेस में कमजोरियां आ गई हैं, इतनी ज्यादा कि रायबरेली-अमेठी में भी हार गए। सोनिया जी भी पत्रकारों से मिलीं और संगठन के कमजोर होने की बातें की। लेकिन कब आएगा वह दिन जब कांग्रेस में ऐसे लोग आना शुरू हो जाएंगे जो खुलकर कहेंगे कि कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी पैदा हुई है परिवारवाद के कारण? वह दिन जब आएगा कभी भविष्य में, तब बुनियाद रखी जाएगी कांग्रेस के पुनर्जन्म की। फिलहाल वह दिन क्षितिज पर भी नहीं दिखता। आखिर में मेरी तरफ से उन राजनीतिक दलों के लिए छोटा-सा सुझाव, जो कांग्रेस की कमजोरियों का लाभ उठा कर भारत की राजनीतिक रणभूमि में आगे बढ़ना चाहते हैं। अच्छा होगा अगर वे वंशवाद की परंपराओं को पनपने से पहले ही कुचल डालें। भारत के मतदाता सयाने हो गए हैं। |
Sunday, March 11, 2012
मतदाता सयाने हो गए हैं
मतदाता सयाने हो गए हैं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment