Monday, 05 March 2012 17:20 |
नयी दिल्ली, पांच मार्च (एजेंसी) अमूमन यह माना जाता है कि देश के निजी स्कूल बच्चों के विकास और करियर को लेकर सरकारी स्कूलों से बेहतर होते हैं, लेकिन एक अध्ययन के अनुसार यह गलतफहमी है। इसमें कहा गया है कि निजी स्कूलों में बच्चों के साथ सरकारी स्कूलों के मुकाबले ज्यादा क्रूर व्यवहार होता है। आयोग की ओर से कहा गया है, ''बच्चों के साथ अभ्रद व्यवहार को लेकर सरकारी और निजी स्कूलों में कोई अंतर नजर नहीं आता। दोनों तरह के स्कूलों में बड़े पैमाने पर बचपन की अनदेखी जा रही है।'' आयोग का कहना है कि स्कूलों में बच्चों पर उनकी जाति एवं समुदाय पर आधारित अभ्रद टिप्पणियां की जाती हैं। बच्चो को कई तरह के शारीरिक दंड के साथ भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे वे शारीरिक एवं मानसिक तौर पर परेशान रहते हैं। इस अध्ययन का मकसद यह पता करना था कि स्कूल में हर दिन बच्चों को किसी तरह के शारीरिक एवं मानसिक दंड का सामना करना पड़ता है और इस समस्या को किस तरह से खत्म किया जा सकता है। इसमें कहा गया है, ''99.86 बच्चों ने कहा कि उन्हें किसी न किसी तरह के दंड का सामना करना पड़ा है। 81.2 फीसदी बच्चों ने कहा कि उन्हें कहा गया कि वे पढ़ने लिखने की क्षमता ही नहीं रखते।'' |
Monday, March 5, 2012
निजी स्कूलों में बच्चों के साथ होती है अधिक क्रूरता: अध्ययन
निजी स्कूलों में बच्चों के साथ होती है अधिक क्रूरता: अध्ययन
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