"हमने इतिहास की धूल झाड़ने की कोशिश की है…"
"हमने इतिहास की धूल झाड़ने की कोशिश की है…"
लाल रत्नाकर द्वारा बनाया गया महिषासुर का रेखाचित्र
जेएनयू में महिषासुर की शहादत पर आयोजित आम सभा
फारवर्ड प्रेस के अक्टूबर अंक में हिंदी के साहित्यकार प्रेमकुमार मणि का लेख 'किसकी पूजा कर रहे हैं बहुजन?' प्रकाशित हुआ था। श्री मणि एक प्रतिष्ठित लेखक, सामाजिक न्याय के चिंतक व राजनीतिकर्मी रहे हैं। दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) समेत कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में दक्षिणपंथी छात्र संगठन इस लेख का विरोध कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि उक्त लेख में हिुदुओं की देवी दुर्गा का अपमान किया गया है। इस तरह के आरोप किसी शोधपरक पत्रिका पर लगाया जाना अशोभनीय है। फारवर्ड प्रेस मुख्यत: भारत के शोषित बहुजनों के इतिहास, संस्क़ति और परंपरा से संबंधित प्रमाणिक और शोधपरक, नवीन तथ्यों को प्रकाशित करता है। इस पत्रिका के संपादकीय बोर्ड में भारत व विश्व के अनेक नामचीन शोधकर्ता आधिकारिक रूप से जुडे हैं। प्रभुगुप्त तारा (यूरोप), विशाल मंगलवादी (यूएसए) तथा गेल ऑम्वेट, (नई दिल्ली) इनमें प्रमुख हैं। इसके अलावा भारत के बहुजनों पर शोध करने वाले अनेक प्रतिष्ठित लेखक कांचा आयलैया, प्रेमकुमार मणि, दिलीप मंडल आदि इसके नियमित लेखकों में से हैं।
भारत में एक साथ कई संस्क़तियां और परंपराएं रही हैं। कबीर, जोतिबा फूले, पेरियार, अम्बेडकर, धर्मानन्द कोशांबी जैसे लोगों के लेखन ने विजेता शक्तियों के मिथकों, परंपराओं का पुनर्पाठ कर वंचित तबकों के नायकों की तलाश की। एकलव्य, शंबूक, बलिराजा आदि अनेक गुमनाम पराजित नायकों की प्राण प्रतिष्ठिा इसी का परिणाम है। महिषासुर भी ऐसा ही एक मिथक है, जिसपर से इतिहास की धूल झाडने की कोशिश फारवर्ड प्रेस के लेखक प्रेमकुमार मणि ने की है।
हम, जेएनयू में पिछले दिनों इस प्रसंग हुई मारपीट की घटना की निंदा करते हैं तथा इसे ज्ञान के प्रसार में सयास बाधा पहुंचाने की कोशिश के रूप में देखते हैं। साथ ही, जेएनयू के एक छात्र को उक्त लेख की प्रतियां प्रसारित करने के आरोप में जेएनयू प्रसाशन द्वारा दंडित किये जाने की घटना को अलोकतांत्रिक , तानाशाहिक और शोध के नये रूपों प्रति अवहेलना के रूप में देखते हैं। हम भारत के बुद्धिजीवी वर्ग से अपील करते हैं कि वे फारवर्ड प्रेस के प्रसार को सुचारू रूप सुनिश्चित करने के लिए दक्षिणपंथी ताकतों का विरोध करें।
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