Wednesday, 08 February 2012 10:28 |
रंजीत मुझे नहीं मालूम कि कोशी की जैव-विविधता को लेकर किसी सरकार, संस्था या एजेंसी ने कोई अनुसंधान किया है या नहीं। लेकिन इस बात में मुझे कोई संदेह नहीं कि हाल के वर्षों में इस इलाके की समृद्ध जैव-विविधता अप्रत्याशित रफ्तार से घटी है। ठीक उसी तरह, जैसे हाल के वर्षों में इस इलाके की बांस-मिट्टी-जूट आधारित शिल्प-कला गुम होती जा रही है। जिन लोक थातियों ने यहां हजारों-लाखों सालों में आकार लिया, उनमें से अधिकतर महज कुछ दशकों में ही लुप्त हो गए। आलम यह है कि अगर आप आल्हा-ऊदल या राजा सलहेस की पूरी कहानी जानना चाहें, तो आपको न तो इसके वाचक मिलेंगे और न ही कोई किताब मिलेगी जो सटीक जानकारी दे सके। एक जनवरी को बचपन के एक मित्र से जब करजैनी की चर्चा की तो उसने जवाब दिया- 'अरे भाई, हम अगर यही बात किसी से पूछेंगे तो वह हमें बताह (पागल) घोषित कर देगा।' |
Wednesday, February 8, 2012
कोशी की करजैनी
कोशी की करजैनी
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