Sunday, 05 February 2012 11:29 |
बेंगलूर, पांच फरवरी (एजेंसी) एंट्रिक्स..देवास सौदे पर विचार करने के लिए इसरो द्वारा गठित समिति ने संस्थान के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर और तीन अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों को जिम्मेदार ठहराया है। इससे पहले माधवन समेत इन अधिकारियों के किसी भी सरकारी पद पर नियुक्ति पर रोक लगाई जा चुकी है। इसमें कहा गया है कि इनसैट निगम समिति :आईसीसी: से परामर्श किये बिना देवास के लिए जीसैट की क्षमता चिह्नित कर दी गयी, जो कि सरकारी नीति का स्पष्ट उल्लंघन है। समिति की रिपोर्ट कहती है, ''इस बात के सबूत हैं कि प्रायोगिक परीक्षणों पर विचार करते समय तकनीकी परामर्श समूह :टीएजी: को एंट्रिक्स..देवास करार के बारे में नहीं बताया गया।'' इसमें कहा गया है कि इस सेवा को देने के लिए अन्य संभावित साझेदारों का पता लगाने का प्रयास तक नहीं किया गया जबकि कुछ अन्य देशों में भी इस तरह की सेवा उपलब्ध है। रिपोर्ट के अनुसार, सैटकॉम नीति और आईसीसी दिशानिर्देशों में पहले आओ..पहले पाओ की तर्ज पर उपग्रह की क्षमता के लिए पट्टे की अनुमति देने के मद्देनजर देवास का चयन करने में आशय का स्पष्टीकरण नहीं करने में पारदर्शिता की कमी दिखाई देती है। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा जानबूझकर किया गया लगता है कि जीसैट..6ए उपग्रह के लिए अंतरिक्ष आयोग से मंजूरी पत्र मांगते समय भी सौदे का खुलासा नहीं किया गया। समिति ने चार अन्य वैज्ञानिकों के विरुद्ध भी कार्रवाई का प्रस्ताव रखा है, जिनमें एस.एस. मीनाक्षीसुंदरम, वीणा राव, जी. बालचंद्रन और आर.जी. नाडादुर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हें सौदे के ब्यौरे पर पर्याप्त ध्यान नहीं देने के साथ इस बात का भी जिम्मेदार ठहराया गया है कि सक्षम प्राधिकारों के फैसले के लिए रखे गये अनेक नोटों में सभी जरूरी विवरण और इनके अनेक जरूरी परामर्श प्रक्रियाओं से गुजरने की बात सुनिश्चित नहीं की गयी। प्रत्यूष सिन्हा समिति के गठन से पहले सरकार ने जनवरी, 2005 में हुए एंट्रिक्स..देवास करार के तकनीकी, व्यावसायिक, प्रक्रियात्मक और वित्तीय पहलुओं की समीक्षा के लिए 10 फरवरी, 2011 को उच्चाधिकार प्राप्त समीक्षा समिति बनाई थी, जिसमें सदस्यों के रूप में बी.के. चतुर्वेदी और रोद्दम नरसिम्हा शामिल थे। |
Sunday, February 5, 2012
एंट्रिक्स-देवास सौदे में नायर व तीन अन्य दोषी ठहराये गए
एंट्रिक्स-देवास सौदे में नायर व तीन अन्य दोषी ठहराये गए
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