Saturday, 11 February 2012 10:38 |
मनोज मिश्र नई दिल्ली, 11 फरवरी। फर्जी अनधिकृत कालोनी का मुद्दा उठने के बाद बाकी अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया जटिल होने लगी है। फर्जी कालोनी के मुद्दे पर दिल्ली सरकार को 21 फरवरी को लोकायुक्त के यहां जवाब देना है। पूर्व विधायक रामवीर सिंह विधूड़ी आदि की याचिका पर लोकायुक्त जस्टिस मनमोहन सरीन ने दिल्ली सरकार को जबाव तलब किया है। अगली सुनवाई एक मार्च को होनी है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अपने जवाब में इन कालोनियों के वजूद को ही नकारा है जबकि दिल्ली सरकार के राजस्व सचिव और मंडल आयुक्त विजय देव ने अपनी रिपोर्ट में इन्हें भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा बताया है। बावजूद इसके भूमाफिया, नेता और अधिकारियों के गठबंधन ने दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों का जंगल बसा दिया है। जितनी बार उन्हें नियमित करने की कोशिश हुई है उतने ही बार उनकी संख्या बढ़ती गई। यह घोटाला इतना बड़ा है कि सरकार के भी हाथ पांव फूलने लगे। विरोध कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने शहरी विकास विभाग राजकुमार चौहान से लेकर डा. अशोक कुमार वालिया को दिया। राजस्व सचिव विजय देव ने अपनी रिपोर्ट में इस घोटाले के लिए उन सभी शब्दों का इस्तेमाल किया है जो सभ्य भाषा में किसी भ्रष्टाचार के लिए की जा सकती है। शहरी विकास विभाग ने दूसरे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी की रिपोर्ट को रद्द करने के बजाए प्रोविजनल सर्टीफिकेट का नया मायने उन्हें समझाया है। सरकार इसलिए खुलकर नहीं बोल रही है क्योंकि विजय देव ने मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के कहने पर जांच की और उसी समय जो डीडीए ने लोकायुक्त को जवाब भेजा उसकी भाषा भी ऐसी थी। इससे लगता है कि लोकायुक्त को भी जवाब में भी सरकार लीपापोती ही करने वाली है। शहरी विकास मंत्री डा. अशोक वालिया भले ही नियमानुसार अनधिकृत कालोनी नियमित करने की बात कह रहे हैं लेकिन इस विवाद के बाद इस कदर नियम कानून लागू किए जाएंगे कि यह प्रक्रिया फिर लटक जाएगी। वैसे कालोनी बसाने वाले भी वास्तव में यही चाहते हैं कि नई लिस्ट 1639 से बढ़कर दो हजार की हो जाए तब तक इतनी और कालोनी वे जुड़वा लें। जो पिछले 40 साल से होता रहा है। |
Saturday, February 11, 2012
जटिल हो गई अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया
जटिल हो गई अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment