Thursday, February 23, 2012

शादी के जरिए नैया पार लगाने की जुगत में सपा प्रत्याशी

शादी के जरिए नैया पार लगाने की जुगत में सपा प्रत्याशी

Thursday, 23 February 2012 13:20

गरोथा :उत्तर प्रदेश:, 23 फरवरी (एजेंसी) शादी और राजनीति में यूं तो दूर दूर तक कोई नाता नहीं, लेकिन दद्दा के नाम से पुकारे जाने वाले समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक दीपनारायण सिंह इन दोनों के मिलन से चुनाव वैतरणी पार करने की जुगत में हैं। 
मौजूदा चुनाव में कांग्रेस के राजा रणजीत सिंह यादव और भाजपा के टीकाराम पटेल के साथ चुनावी दंगल में उतरे दीपनारायण सिंह उर्फ दीपक यादव ने सामूहिक विवाह के जरिए अपने राजनीतिक आधार को मजबूती दी है।    
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में फैले समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र में सामूहिक विवाह का चलन है। भारी गरीबी को इस तरह के विवाह के प्रचलन की एक वजह कहा जा सकता है। पिछड़ी जातियों में खास तौर से इस तरह की शादियों का चलन है।
यादव हालांकि सामूहिक शादियां करवाने के पीछे किसी तरह का राजनीतिक मकसद होने से इंकार करते हैं। 
सपा की युवा इकाई लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष यादव ने कांग्रेस के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत की थी और वह 1980 के दशक में बुंदेलखंड कालेज के छात्र संगठन के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष थे।
अपने विधानसभा क्षेत्र में विभिन्न जातियों की 700 से ज्यादा लड़कियों की शादी करवा चुके यादव को उनके जानने वाले दद्दा बुलाते हैं। 
इस संबंध में झांसी के धर्मेन्द्र कुमार ने कहा, '' इसके पीछे वजह यही है कि एक लड़की की शादी करवाकर वह उसके कम से कम 50 रिश्तेदारों के संपर्क में आ जाते हैं। वह जितनी शादियां करवा चुके हैं उसका सीधा मतलब है कि वह 35000 से ज्यादा लोगों को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। यह सब लोग उन्हें वोट भले ही न दें, लेकिन इन परिवारों से उनका निजी संपर्क तो है।''

यादव का कहना है कि वह चुनाव हारें या जीतें, लेकिन कम से कम 500 और सुयोग्य लड़के लड़कियों को विवाह सूत्र में बांधने का उनका लक्ष्य है।
रस्का गांव के दीमर मोहल्ले के हीरालाल के अनुसार, ''दद्दा जिन लड़कियों की शादी करवाते हैं, उनके ससुराल वाले उनसे आम तौर पर बुरा व्यवहार नहीं करते क्योंकि वह दद्दा की बहनें हैं और अगर उन्हें कोई परेशानी हुई तो उनके ससुराल वालों की खैर नहीं।''
दद्दा चूंकि इन तमाम लड़कियों के भाई हैं इसलिए यह सभी लड़कियां रक्षाबंधन पर उन्हें राखी भी बांधती हैं। उनकी राखी बहनों में मुस्लिम लड़कियां भी शामिल हैं। 
मोंठ इलाके में मदरगंज की रूख्साना ने बताया, '' वह हम सबको रक्षाबंधन पर बुलाते हैं। राखी बंधवाकर वह हमें सूट या साड़ी देते हैं। इसके अलावा भी दद्दा हमारा हाल चाल जानने के लिए हमें अकसर बुलाते हैं।''
झांसी शहर से गुजरें तो दीवारों पर जगह जगह सामूहिक विवाह संबंधी घोषणाएं लिखी दिखाई देती हैं। कालेज शिक्षक ब्रजेन्द्र सिंह चौहान ने बताया, '' इस तरह की शादियां आम तौर पर फरवरी और मार्च तथा अक्षय तृतीया के शुभ मौके पर होती हैं। कुछ अगड़ी जातियां जैसे अग्रवाल और कुशवाहा ने भी खर्चा बचाने के लिए सामूहिक विवाह में भाग लेना शुरू किया है।''
1,43,000 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र की महिला मतदाताओं में यादव खासे लोकप्रिय हैं।


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