Thursday, 23 February 2012 09:38 |
आत्मदीप भोपाल, 23 फरवरी। मध्यप्रदेश की मंत्रिपरिषद ने भोपाल गैस त्रासदी जांच आयोग का कार्यकाल फिर एक साल के लिए बढ़ा दिया है। 27 बरस पहले हुए गैस कांड की जांच के लिए 25 अगस्त 2010 को गठित इस आयोग को छह महीने में राज्य सरकार को अपनी रपट पेश करनी थी। पर आयोग के गठन के डेढ़ साल बाद भी कोई बताने की स्थिति में नहीं है कि आयोग की रपट कब आएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि विपक्ष के घोर विरोध के बावजूद राजीव गांधी सरकार के निर्देश पर मोतीलाल वोरा सरकार ने जांच आयोग को खत्म करने का अनुचित कदम उठाया। ऐसा कर एक ओर गैस त्रासदी से जुड़े बहुत सारे ऐसे तथ्यों को व्यवस्थित रूप से सामने आने से रोक दिया गया जो आगे की कार्यवाही का पुख्ता आधार बन सकते थे। दूसरी तरफ भोपाल की गैस पीड़ित जनता को अपनी बात कहने से वंचित रख दिया गया। चौहान ने खुलासा किया कि जांच आयोग खत्म करने के बारे में तब के मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा ने विधानसभा में जो बयान दिया, उसे पहले केंद्रीय केबिनेट सचिव से अनुमोदित कराया गया। इस मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समति, केंद्रीय कानून मंत्री और केंद्रीय केबिनेट सचिव ने मप्र सरकार को निर्देशित किया। गैस कांड के दबे सच को उजागर करने और तमाम कसूरवारों के खिलाफ कार्यवाही का आधार तैयार करने के लिए चौहान ने नया आयोग तो बना दिया। पर इस आयोग के काम की धीमी रफ्तार डेढ़ बरस बाद भी गैस पीड़ितों में भरोसा नहीं जगा सकी है। |
Thursday, February 23, 2012
भोपाल गैस त्रासदी जांच आयोग का कार्यकाल फिर एक साल बढ़ा
भोपाल गैस त्रासदी जांच आयोग का कार्यकाल फिर एक साल बढ़ा
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