Tuesday, February 21, 2012

प्रचार खत्म होते ही तेज हुआ सत्ता का संघर्ष

प्रचार खत्म होते ही तेज हुआ सत्ता का संघर्ष

Wednesday, 22 February 2012 10:04

अंबरीश कुमार लखनऊ, 22 फरवरी। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए प्रचार बंद होने के साथ अब राजनीतिक दलों के बीच सत्ता का संघर्ष तेज हो गया है। एक तरफ जहां कांग्रेस सरकार बनाने के दावे से पीछे हटती नजर आई, वहीं सपा ने सत्ता में आने का दावा किया। जबकि मायावती ने दलित समाज से एक और मौका मांगा। इस बीच मुख्यमंत्री मायावती ने दलित की बेटी को फिर मुख्यमंत्री बनाने की अपील मंगलवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चुनावी सभाओं में की। वे पहली बार इतने तीखे तेवर के साथ दलित ध्रुवीकरण की कोशिश में दिखीं।
एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी ने फिर सरकार बनाने का दावा किया, वहीं कांग्रेस अब इस दावे से पीछे हटती नजर आ रही है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने एक सवाल के जवाब में कहा -हमें पता है कि हमारी सीटें 22 से 220 नहीं होने जा रही और न हम सरकार बनाने जा रहे पर कांग्रेस को इस चुनाव में बड़ा फायदा होने जा रहा है। सीट भी बढ़ेंगी और वोट भी। बीस फीसद बढ़े हुए वोट में बड़ी हिस्सेदारी कांग्रेस की है। उसके बाद यह दूसरे दलों में बंटा है। सिब्बल की टिपण्णी का संकेत साफ है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को दावा किया कि पार्टी का सत्ता में आना तय हो गया है, जबकि कांग्रेस अब बुरी तरह पिछड़ गई है।  
सपा और बसपा के आक्रामक तेवर उत्तर प्रदेश में सत्ता के बढ़ते संघर्ष का आगाज दे रहे हैं। मायावती ने मंगलवार को जिस तरह दलित की बेटी को फिर एक मौका देने के लिए दलित समाज से अपील की है, वह काफी महत्त्वपूर्ण है। आगरा और अलीगढ़ में जाटव बिरादरी का बड़ा समर्थन मायावती को मिल चुका है और वे फिर अपने बिरादरी के लोगों को पूरी तरह एकजुट होकर बसपा के लिए वोट करने को प्रेरित कर रही है। 
कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया का दावा है कि इस वोट बैंक में इस बार कांग्रेस सेंध लगा चुकी है। कांग्रेस ने न सिर्फ जाटव बल्कि गैर जाटव दोनों को प्रभावित किया है। यदि कांग्रेस का यह दांव चल गया, तो इस बार कांग्रेस से ज्यादा सपा व अन्य दलों मसलन लोकदल आदि को उसका फायदा मिल सकता है जो ज्यादातर जगहों पर सीधे मुकाबले में हैं।
इस बीच समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि राज्य की जनता के बीच अपनी कथनी व करनी के प्रति विश्वसनीयता के कारण सपा को जो बढ़त मिल रही है, उससे उसका सत्ता में आना निश्चित हो चुका हैं। इससे हताश विपक्षी भ्रामक प्रचार और झूठे दावों पर उतर आए हैं। इसमें बसपा के साथ कांग्रेस और भाजपा भी शामिल हो गई है। 


बसपा राज में अत्याचार और भ्रष्टाचार चरम पर रहा, जिसको केंद्र की यूपीए सरकार का पूरा संरक्षण रहा है। चौधरी ने कहा कि भाजपा ने इसके खिलाफ कोई संघर्ष नहीं किया, क्योंकि  इन दोनों की साठगांठ भविष्य की संभावनाओं पर टिकी है।
उन्होंने यह भी कहा कि मायावती का उत्तर प्रदेश में सात फीसद विकास दर का दावा महज छलावा और जनता को धोखा देना है। सच तो यह है कि बसपा सरकार में एक फीसद भी विकास दर नहीं बढ़ी है। बसपा ने तो राज्य का खजाना लूट कर इसे दिवालिया बना दिया है। जबकि मुलायम सिंह यादव अपने समय में 24 हजार करोड़ रुपए खजाने में छोड़ गए थे।  
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को अलीगढ़ और आगरा की चुनावी सभा में कहा कि विरोधी पार्टियां, खासकर कांग्रेस एक दलित की बेटी की सरपरस्ती में राज्य में हो रहे विकास को पचा नहीं पा रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल उत्तर प्रदेश में अपनी खिसकती राजनीतिक जमीन को बचाए रखने के लिए भ्रष्टाचार और अपराधियों को संरक्षण देने जैसे आरोप लगा कर राज्य की सरकार को बदनाम करने में लगे हैं।
मायावती ने सर्वसमाज के साथ ही दलित समाज से अपील की कि वे यदि उत्तर प्रदेश में दलित की बेटी को मुख्यमंत्री पद पर फिर से देखना चाहते हैं, तो मतदाता सभी बाधाओं को पार करते हुए और एकजुटता के साथ बसपा के सभी उम्मीदवारों को भारी बहुमत से जिताने का संकल्प करें। उन्होंने कहा कि अपना वोट तो दें हीं, साथ ही अपने संगी-साथियोंको भी वोट डालने के लिए प्रेरित करें।
उन्होंने कहा कि इसके लिए दलित समाज के लोगों को रात-दिन मेहनत कर गली कूचे से निकाल कर एक-एक वोट डलवाना होगा। उन्होंने कहा हर एक सीट जिताना सर्व समाज की जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि यदि बसपा  के उम्मीदवार भारी संख्या में जीत कर विधानसभा में आते हैं, तो कोई और मुख्यमंत्री नहीं बनेगा, बल्कि दलित की बेटी ही मुख्यमंत्री बनेगी।


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