Wednesday, 22 February 2012 10:04 |
अंबरीश कुमार लखनऊ, 22 फरवरी। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के लिए प्रचार बंद होने के साथ अब राजनीतिक दलों के बीच सत्ता का संघर्ष तेज हो गया है। एक तरफ जहां कांग्रेस सरकार बनाने के दावे से पीछे हटती नजर आई, वहीं सपा ने सत्ता में आने का दावा किया। जबकि मायावती ने दलित समाज से एक और मौका मांगा। इस बीच मुख्यमंत्री मायावती ने दलित की बेटी को फिर मुख्यमंत्री बनाने की अपील मंगलवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चुनावी सभाओं में की। वे पहली बार इतने तीखे तेवर के साथ दलित ध्रुवीकरण की कोशिश में दिखीं। बसपा राज में अत्याचार और भ्रष्टाचार चरम पर रहा, जिसको केंद्र की यूपीए सरकार का पूरा संरक्षण रहा है। चौधरी ने कहा कि भाजपा ने इसके खिलाफ कोई संघर्ष नहीं किया, क्योंकि इन दोनों की साठगांठ भविष्य की संभावनाओं पर टिकी है। उन्होंने यह भी कहा कि मायावती का उत्तर प्रदेश में सात फीसद विकास दर का दावा महज छलावा और जनता को धोखा देना है। सच तो यह है कि बसपा सरकार में एक फीसद भी विकास दर नहीं बढ़ी है। बसपा ने तो राज्य का खजाना लूट कर इसे दिवालिया बना दिया है। जबकि मुलायम सिंह यादव अपने समय में 24 हजार करोड़ रुपए खजाने में छोड़ गए थे। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री मायावती ने मंगलवार को अलीगढ़ और आगरा की चुनावी सभा में कहा कि विरोधी पार्टियां, खासकर कांग्रेस एक दलित की बेटी की सरपरस्ती में राज्य में हो रहे विकास को पचा नहीं पा रही हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सहित सभी विरोधी दल उत्तर प्रदेश में अपनी खिसकती राजनीतिक जमीन को बचाए रखने के लिए भ्रष्टाचार और अपराधियों को संरक्षण देने जैसे आरोप लगा कर राज्य की सरकार को बदनाम करने में लगे हैं। मायावती ने सर्वसमाज के साथ ही दलित समाज से अपील की कि वे यदि उत्तर प्रदेश में दलित की बेटी को मुख्यमंत्री पद पर फिर से देखना चाहते हैं, तो मतदाता सभी बाधाओं को पार करते हुए और एकजुटता के साथ बसपा के सभी उम्मीदवारों को भारी बहुमत से जिताने का संकल्प करें। उन्होंने कहा कि अपना वोट तो दें हीं, साथ ही अपने संगी-साथियोंको भी वोट डालने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए दलित समाज के लोगों को रात-दिन मेहनत कर गली कूचे से निकाल कर एक-एक वोट डलवाना होगा। उन्होंने कहा हर एक सीट जिताना सर्व समाज की जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि यदि बसपा के उम्मीदवार भारी संख्या में जीत कर विधानसभा में आते हैं, तो कोई और मुख्यमंत्री नहीं बनेगा, बल्कि दलित की बेटी ही मुख्यमंत्री बनेगी।
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Tuesday, February 21, 2012
प्रचार खत्म होते ही तेज हुआ सत्ता का संघर्ष
प्रचार खत्म होते ही तेज हुआ सत्ता का संघर्ष
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