Wednesday, 22 February 2012 09:34 |
नयी दिल्ली, 21 फरवरी (एजेंसी) चुनाव आयोग के अधिकारों में कटौती किए जाने की खबरों पर आज नया विवाद शुरू हो गया हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट को '' पूर्णत: शरारती'' बताया लेकिन उसने यह भी कहा कि अगर राजनीतिक दल चाहेंगे तो चुनाव सुधारों के तहत इस पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक के मसौदा एजेंडा में चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देशों को संवैधानिक दर्जा देने का मुद्दा शामिल नहीं है। लेकिन चर्चा के दौरान अगर कोई राजनीतिक दल इसे उठाता है तो इस पर चर्चा हो सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने लखनउच्च् में कहा कि उन्हें बैठक के एजेंडा के बारे में जानकारी नहीं है। सिब्बल ने कहा ''मैं सम्बन्धित मंत्रिसमूह में शामिल हूं लेकिन मुझे बैठक के एजेंडा के बारे में जानकारी नहीं है। अक्सर ऐसा होता है कि अधिकारी कुछ प्रस्ताव तैयार करते हैं, कभी हम उन पर विचार करते हैं तो कभी हम उसे खारिज भी कर देते हैं। '' कांग्रेस की आलोचना करते हुए भाजपा ने आज आरोप लगाया कि उसके कई नेता आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। माकपा नेता बृंदा करात ने भी कांगे्रस की आलोचना की और आरोप लगाया कि वह अपने नेताओं द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन किए जाने से ध्यान हटाने का प्रयास कर रही है। भ्रष्टाचार पर मंत्रियों के समूह द्वारा आदर्श आचार संहिता को वैधानिक दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव पर विचार किए जाने की रिपोर्ट पर मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह आयोग के अधिकारों में कटौती का प्रयास है। उन्होंने कहा कि एक बार अदालत को यह तय करने का अधिकार मिल जाएगा कि किसी नेता ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है, तो मामला कई साल तक चलता रहेगा और दोषी सत्ता का सुख उठाता रहेगा। |
Tuesday, February 21, 2012
आचार संहिता मु्द्दे पर नया विवाद
आचार संहिता मु्द्दे पर नया विवाद
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