शतायु हुए कर्मठ जी
लेखक : उमा भट्ट :: अंक: 12 || 01 फरवरी से 14 फरवरी 2012:: वर्ष :: 35 :February 21, 2012 पर प्रकाशित
20 जनवरी 2012 को कोटद्वार में शतायुजीवी पत्रकार, उद्यमी एवं सामाजिक कार्यकर्ता कुँवर सिंह नेगी कर्मठ का 101वां जन्मदिन समारोह पूर्वक मनाया गया। साहित्यांचल संस्था, कोटद्वार तथा कर्मठजी के परिवार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार मोहनलाल बाबुलकर मुख्य अतिथि तथा शेखर पाठक विशिष्ट अतिथि थे। पौड़ी गढ़वाल जिले के ग्राम पांग (घुड़दौड़स्यूँ) में 20 जनवरी 1912 को जसोद सिंह तथा लक्ष्मी के घर जन्मे कुँवर सिंह ही हमारे समय में कर्मठ नाम से चर्चित हुए। मुद्रण कला के एक उद्यमी संचालक, मुद्रक, पत्रकार और लेखक के रूप में मशहूर कर्मठ सामाजिक आन्दोलनों में भी सक्रिय रहे। विभिन्न प्रतिभाओं को जोड़ने का काम भी उन्होंने किया। 'गढ़ गौरव' के सम्पादक के रूप में उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर लेखमालाएँ प्रकाशित कीं और चन्द्रसिंह गढ़वाली के जन्मदिन के आयोजक के रूप में भी उन्हें ख्याति मिली। गढ़वाली शब्दकोश के भी वे प्रकाशक थे।
कार्यक्रम मे भाबर से मानसिंह रावत तथा शशिप्रभा रावत, पौड़ी से नरेन्द्र नेगी, बी. मोहन नेगी, यशवन्त कटोच, गणेश खुगशाल गणी, लैन्सडौन से योगेश पांथरी, देहरादून से वीणापाणि जोशी आदि अनेक गणमान्य जन समारोह में उपस्थित थे। जैसा कि कुछ वक्ताओं ने कहा कि पहली बार उन्होंने सौ साल पूरे कर चुके किसी व्यक्ति को सुना और देखा। कुछ वक्ताओं को भक्तदर्शन, भैरवदत्त धूलिया, चन्द्रसिंह गढ़वाली, मुकुन्दीलाल, हरिराम मिश्र चंचल, जगमोहन सिंह नेगी, ललिताप्रसाद नैथानी आदि की भी स्मृति हो आयी। कर्मठ जी ने सबको धन्यवाद देते हुए कहा कि कामचोरी, विभिन्न व्यसन और भ्रष्टाचार हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। जो समाज उद्यमी नहीं होता है, वह आगे नहीं बढ़ता। उन्होंने अपनी लम्बी उम्र को नियमित दिनचर्या का फल बताया।
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