Monday, January 9, 2012

Fwd: [Social Equality] कुछ दलित चिन्तकों(?) को दिक्कत है की जब भी...



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Date: 2012/1/9
Subject: [Social Equality] कुछ दलित चिन्तकों(?) को दिक्कत है की जब भी...
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कुछ दलित चिन्तकों(?) को दिक्कत है की जब भी...
Lalit Pant 7:40am Jan 9
कुछ दलित चिन्तकों(?) को दिक्कत है की जब भी घोटालों की चर्चा होती है तो लालू यादव , मुलायम सिंह और मायावती का नाम अनावश्यक रूप से लिया जाता है , ऐसा प्रतीत होता है जैसे दलित चिन्तकों(?) को इन लोगों के घोटाले करने से कोई दिक्कत ही नहीं है | 1948 का वी के कृषण मेनन 'जीप' घोटाला , 1958 में फिरोज गांधी द्वारा उजागर एलआईसी घोटाला जिसमे तत्कालीन वित् मंत्री टी टी कृष्णमाचारी को इस्तीफा देना पड़ा , 1949 में अर्जुन सिंह के पिता राव बहादुर सिंह का 25000 रूपए का रिश्वत कांड जिसमे उन्हें 3 साल की सजा हुई , 1987 में राजीव गांधी का बोफोर्स घोटाला , 1991 में हर्षद मेहता का शेयर घोटाला या 1996 में सुखराम का दूर संचार घोटाला जिसमे उन्हें सजा हुई और वो अब जेल में हैं , इन घोटालों को संसद में भी उठाया गया और मीडिया में भी इनकी खूब चर्चा हुई पर कभी किसी बुद्धिजीवी ने यह नहीं कहा की "स्वर्णों" को प्रताड़ित किया जा रहा है , कहना भी नहीं चाहिए बल्कि घोटालेबाजों पर सख्त करवाई का दबाव बनाना चाहिए | किन्तु कुछ दलित चिन्तक(?) घोटालों को भी जाति के चश्मे से देखना और दिखाना चाहते हैं | भविष्य में क्या हम घोटालों को "दलित घोटाला" , "पिछड़ा घोटाला" "स्वर्ण घोटाला" या "अल्पसंख्यक घोटाला "कहेंगे ??

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Palash Biswas
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