Friday, January 27, 2012

सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णा के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी। और इस प्रक्रिया को अपरिपक्व करार दिया। शीर्ष न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगायी जिसमें लोकायुक्त पुलिस से कृष्णा के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए अवैध खनन की जांच करने को कहा गय

Friday, 27 January 2012 19:36

नयी दिल्ली, 27 जनवरी (एजेंसी) सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णा के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी।

और इस प्रक्रिया को अपरिपक्व करार दिया। शीर्ष न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगायी जिसमें लोकायुक्त पुलिस से कृष्णा के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए अवैध खनन की जांच करने को कहा गया था। 
उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने कहा, '' हम प्रक्रिया पर रोक लगा रहे हैं। इसके अनुरूप एफआईआर की प्रक्रिया पर कर्नाटक लोकायुक्त के आदेश पर रोक लगी रहेगी।'' 
पीठ ने लोकायुक्त अदालत के जांच के आदेश को भी 'अपरिपक्व' करार दिया। पीठ ने कहा कि हम सभी चाहते हैं कि सचाई सामने आए। 
पीठ ने यह बात उस समय कही जब वकील प्रशांत भूषण ने शिकायतकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता टी जे अब्राहम की ओर से उपस्थित होकर कृष्णा की याचिका का विरोध किया।
इस संबंध में कर्नाटक सरकार और शिकायकर्ता को नोटिस दिया गया और इनसे तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। शीर्ष न्यायालय ने कृष्णा की एक याचिका पर आदेश दिया जिसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय के 20 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी। कृष्णा ने अपनी याचिका में संबंधित निजी शिकायत और 1999 से 2004 के दौरान उनके मुख्यमंत्रित्व काल में कथित अवैध खनन की लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। 

कृष्णा ने कहा कि कैबिनेट का निर्णय सामूहिक था जिसे 34 मंत्रियों ने लिया था और इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। 
इस मामले में उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि खनिज बहुल इलाके में आरक्षित वन क्षेत्र में कमी करने के अपराध में जांच कार्य जारी रहना चाहिए। 
कृष्णा 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे। उन्हें हालांकि उच्च न्यायालय से कुछ राहत भी मिली थी ।  अदालत ने उनकी ओर से सरकारी स्वामित्व वाले मैसूर मिनरल लिमिटेड के कुप्रबंधन के आरोपों को खारिज कर दिया। 
विशेष लोकायुक्त अदालत की ओर से प्रक्रिया पिछले वर्ष आठ दिसंबर को कृष्णा की एक निजी शिकायत पर शुरू की गई थी। कृष्णा ने लोकायुक्त अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में 15 दिसंबर को चुनौती दी थी।

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