Wednesday, January 25, 2012

छंटनी क्या है?रंग ला रहा है ग्लोबल हिंदुत्व और मुक्त बाजार का करिश्मा।भारतीय मूल के आठ नागरिकों और दो विदेशियों को भी प्रतिष्ठित पद्म सम्मान!अमेरिकी इकॉनमी को आउटसोर्सिंग से दूर ले जाएंगे ओबामा!


छंटनी क्या है?रंग ला रहा है ग्लोबल हिंदुत्व और मुक्त बाजार का करिश्मा।भारतीय मूल के आठ नागरिकों और दो विदेशियों को भी प्रतिष्ठित पद्म सम्मान!अमेरिकी इकॉनमी को आउटसोर्सिंग से दूर ले जाएंगे ओबामा!


उम्मीदों से उलट इस वर्ष किसी खिलाड़ी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नहीं नवाजा गया। इसके अतिरिक्त किसी खिलाड़ी को पद्मविभूषण और पद्मभूषण भी नहीं मिला। छह खिलाड़ियों को पद्मश्री से नवाजे जाने का फैसला किया गया है।

विशिष्ट नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर और तीन अन्य को विवादास्पद एंट्रिक्स देवास समझौता मामले में सरकार ने काली सूची में डालते हुए भविष्य में किसी प्रकार की सरकारी नौकरी के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

आखिर केयर्न-वेदांता सौदे पर मंत्रिमंडल की मुहर

सीआरआर घटा, पर अभी नहीं घटेगी ईएमआई


​पलाश विश्वास​
http://palashbiswaslive.blogspot.com/

अमेरिकी इकॉनमी को आउटसोर्सिंग से दूर ले जाएंगे ओबामा!

अनाज की ज्यादा कीमत उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा है। इन राज्यों में राजनीतिक दल ट्रेडरों-किसानों को सब्जियों और अनाज के दाम काबू में रखने के संकेत दे रहे हैं। अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन अजमेर सिंह लखोवाल ने बताया, 'हम ट्रेडरों को कम मुनाफा लेने के लिए कह रहे हैं, ताकि आम लोगों को फायदा हो। सब जानते हैं कि ट्रेडरों ने कैसे पैसा बनाया है।' उत्तर प्रदेश में एक ट्रेडर ने कहा कि लोकल नेता उन्हें चुनाव तक कम मार्जिन लेने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कहा, 'इस बार हम कैसे भी संभाल लेंगे।' सहारनपुर में फार्मर्स फोरम के चेयरमैन योगेश कुमार दहिया ने कहा, 'ट्रेडर किसानों से 35 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर आलू खरीद रहे हैं और 5 रुपए किलो के भाव पर बेच रहे हैं। अगर वे चाहें, तो आसानी से डिस्काउंट दे सकते हैं।' वहीं, उन्नाव जिले के सब्जी कारोबारी राम गुप्ता को लगता है कि उनके लिए पालक, गाजर और हरी मटर की कीमतों को काबू में रखना चैलेंज है। उन्होंने कहा, 'इन सब्जियों की पैदावार इस महीने के अंत से काफी घट जाएगी, लेकिन चुनाव तक हमें दाम नहीं बढ़ाने हैं।'

दावोस में बुधवार से शुरू हो रही विश्व आर्थिक मंच की पांच दिन की सालाना बैठक में 100 से अधिक देशों के कोई 2,600 नीति नियंताओं और सैकड़ों कम्पनियों के हिस्सा लेने की सम्भावना है।समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, इस आयोजन का विषय है - द ग्रेट ट्रांस्फॉर्मेशन:शेपिंग न्यू मॉडल्स (बड़ा बदलाव:नए रूपों को आकार देना)।

भागीदारों में लगभग 40 देशों के शासनाध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख युकिया अमानो शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टीन लागार्दे, विश्व बैंक के प्रमुख रॉबर्ट जोएलिक और अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गीथनर आयोजन में हिस्सा लेने वाली प्रमुख वित्तीय हस्तियां हैं।

उम्मीद है कि वे चर्चा को पूंजीवाद के भविष्य पर केंद्रित करेंगे और अगले वर्ष के लिए वैश्विक आर्थिक एजेंडा तय करेंगे। जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल उद्घाटन भाषण देंगी।

​रंग ला रहा है ग्लोबल हिंदुत्व और मुक्त बाजार का करिश्मा। देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म अलंकरणों की बुधवार को घोषणा कर दी गई। विभिन्न श्रेणियों में 109 लोगों को पद्म सम्मान से नवाजने की घोषणा की गई। इनमें 8 अनिवासी भारतीय और 2 विदेशी भी शामिल हैं। वहीं , उम्मीदों से उलट इस साल भी किसी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नहीं नवाजा गया है। गौरतलब है कि इसके पहले यह चर्चा थी कि मेजर ध्यानचंद और सचिन तेंडुलकर दोनों को भारत रत्न दिया जा सकता है।

उम्मीदों से उलट इस वर्ष किसी खिलाड़ी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नहीं नवाजा गया। इसके अतिरिक्त किसी खिलाड़ी को पद्मविभूषण और पद्मभूषण भी नहीं मिला। छह खिलाड़ियों को पद्मश्री से नवाजे जाने का फैसला किया गया है।राष्ट्रमंडल खेलों में कई स्वर्ण पदक जीतने वाले तीरंदाजों को प्रशिक्षण दे चुके धनुर्धर लिम्बा राम और हॉकी के ओलंपियन जफर इकबाल समेत आठ खेल शख्सियतों को देश के चौथे सबसे बडे़ नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की अर्थव्यवस्था का एक ऐसा खाका पेश किया है जिसके तहत अमेरिका को आउटसोर्सिंग, खराब कर्ज और कृत्रिम मुनाफे से दूर ले जाया जाएगा।

ओबामा ने कांग्रेस में अपने संबोधन में कहा, ' नहीं हम आउटसोर्सिंग, कर्ज और नकली मुनाफे से कमजोर हो चुकी अर्थव्यवस्था की ओर नहीं जाएंगे। '

अमेरिकी राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि अर्थव्यवस्था का यह खाका अमेरिकी विनिर्माण, ऊर्जा, अमेरिकी श्रमिकों के कौशल और अमेरिकी मूल्यों के नवीकरण के लिए तैयार किया गया है। अपने संबोधन में ओबामा ने देशवासियों को याद दिलाया कि क्यों अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है।

अमेरिका राष्ट्रपति ने कहा, ' हम ऐसा भविष्य चाहते हैं जहां ऊर्जा और सुरक्षा पर हमारा अपना नियंत्रण हो और हमारी समृद्धि दुनिया के अस्थिर हिस्से से न जुड़ी हो। ऐसी अर्थव्यवस्था जो लंबे समय तक टिकने वाली हो। '

विशिष्ट नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर और तीन अन्य को विवादास्पद एंट्रिक्स देवास समझौता मामले में सरकार ने काली सूची में डालते हुए भविष्य में किसी प्रकार की सरकारी नौकरी के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

इसरो के सूत्रों के मुताबिक यह आदेश गत 13 जनवरी को ही जारी कर दिया गया था। एंट्रिक्स देवास समझौते में श्री नायर के अलावा इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सचिव ए. भास्करनारायण. इसरो सैटेलाइट सेंटर के पूर्व निदेशक के. एन. शंकरन और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन के पूर्व कार्यकारी निदेशक के. आर. श्रीधरमूति को काली सूची में डाला गया है।

वर्ष 1998 में पद्म भूषण और 2009 में पद्म विभूषण से नवाजे जाने वाले श्री नायर के कार्यकाल में ही चंद्रयान-1 सहित कई अभियान सफलतापूर्वक संपन्न किये गये थे, लेकिन साथ ही उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए एक निजी कंपनी देवास को 70 मेगाहर्टज का एस बैंड स्पेक्ट्रम भी जारी किया था।

एंट्रिक्स-देवास के बीच एस-बैंड स्पेक्ट्रम सौदा रद्द



भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुसार श्री नायर के इस कदम से सरकार को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। अंतरिक्ष विभाग ने यह आदेश जारी करते हुए श्री नायर तथा इस मामले से संबंद्ध तीन अन्य लोगों को भविष्य में कोई भी सरकारी पद ग्रहण करने से प्रतिबंधित कर दिया।


में इसरो की वित्तीय शाखा एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन और चेन्नई की एक निजी कंपनी देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच 2005 में समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत एंट्रिक्स को देवास को एस बैंड स्पेक्ट्रम देने थे जिसके बदले देवास ।2 वर्षों में किस्तों में कुल 30 करोड रूपये देता।


मामले का खुलासा होने पर गत वर्ष फरवरी में सरकार ने यह समझौता रद्द कर दिया और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गत वर्ष 3। मई को मामले की जांच के लिए पूर्व केंद्रीय सर्तकता आयुक्त प्रत्युष सिंहा की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की उच्च स्तरीय समिति गठित की ।


समिति की रिपोर्ट आने पर एक अन्य पैनल ने इसका अध्ययन किया था।


प्रतिंबंधित किये जाने पर श्री नायर ने इसरो के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।


श्री नायर ने कहा कि राधाकृष्णन अयोग्य हैं और उन्होंने ये सब बदला लेने के मकसद से किया है। वह अपनी ही कसौटी पर खरे नहीं उतर पाये हैं इसलिए वह देश का ध्यान अपनी ओर से भटकाना चाहते हैं।


उन्होंने कहा कि जब यह समझौता हुआ था तो श्री राधाकृष्णन भी एंट्रिक्स बोर्ड के सदस्य थे, लेकिन उन्होंने उस समय कुछ भी नहीं कहा तो अब वह कैसे कह सकते हैं कि यह समझौता गलत था।उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को भरमाया है।


एस-बैंड आवंटन मामले में जांच आयोग गठित



श्री नायर ने सरकारी नौकरी करने में खुद पर लगाये गये प्रतिबंध को अन्यायपूर्ण और मानवाधिकार का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि मैं वर्तमान सरकार के अंतर्गत किसी भी संगठन , पद या समिति के लिए काम नहीं करना चाहता, लेकिन यह अन्यायपूर्ण है।


उन्होंने कहा कि मैंने अभी तक वह आदेश नहीं देखा है। किसी निरंकुश और सैन्य शासन में भी काली सूची में डाले गये लोगों को एक मौका दिया जाता है, लेकिन मुझे तो यह मौका भी नहीं दिया गया है। मैं सकते में हूं।
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भारतीय मूल के आठ नागरिकों और दो विदेशियों को भी प्रतिष्ठित पद्म सम्मान से नवाजने की बुधवार को घोषणा की गई। पद्म भूषण सम्मान से नवाजे जाने वालों में मूर्तिकार अनीस कपूर (ब्रिटेन) और न्यायाधीश पी. सी. राव (जर्मनी) शामिल हैं। सूची में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में चार अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं। इनमें विद्या दहेजिया, अरविंद पनागारिया और जोस परेरा (अमेरिका) और होमी के. भाभा (ब्रिटेन) के नाम भी शामिल हैं।  इसके अतिरिक्त, सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज योंग-बुन येओ को भी पद्म भूषण सम्मान देने की घोषणा की गई। सिंगापुर के ही गोपीनाथ पिल्लई को भी व्यापार एवं उद्योग के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से नवाजा जाएगा।

इस सूची में जापान के व्यापार एवं उद्योग विभाग में कार्यरत शोजी शिबा और अमेरिका में विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जगदीश शुक्ला भी शामिल हैं। दिवंगत संगीतकार भूपेन हजारिका, कार्टूनिस्ट मारियो डी मिरांडा और पूर्व राज्यपाल टी वी राजेश्वर सहित पांच लोगों को पद्मविभूषण पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। अभिनेत्री शबाना आजमी, फिल्म निर्देशक मीरा नायर और मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट देवी प्रसाद शेट्टी को पद्मभूषण पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। भजन गायक अनूप जलोटा, उद्योगपति स्वाति पिरामल और वन्य जीव संरक्षक उल्लास कारंथ को पद्मश्री पुरस्कार।

थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा राजपथ पर गुरुवार को होने वाले 63वें गणतंत्र दिवस समारोह की मुख्य अतिथि होंगी। यिंगलक दो दिनों की आधिकारिक यात्रा पर आज 24 जनवरी को नई दिल्ली पहुंचीं। शिनावात्रा थाईलैंड की अब तक की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने 44 वर्ष की उम्र में पिछले वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार ग्रहण किया।
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पिछले वर्ष दिवंगत हुए संगीतकार, गायक भूपेन हजारिका और कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। कुल पांच हस्तियों को पद्म विभूषण दिया गया है, जिनमें कांतिलाल संचेती, के.जी. सुब्रह्मनियन के नाम शामिल हैं।

धर्मेंद्र, शबाना आजमी, मीरा नायर, जतीन दास को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। इस वर्ग में कुल 27 हस्तियों को सम्मानित किया गया है।

पद्म श्री वर्ग में कुल 77 हस्तियों को सम्मानित किया गया है।
राष्ट्रपति ने 14 पुरस्कार मरणोपरांत/विदेशी/एनआरआई/पीआईओ जैसी श्रेणियों के लिए भी दिए हैं। कुल पुरस्कारों में 5 पद्म विभूषण, 27 पद्म भूषण और 77 पद्म श्री पुरस्कार हैं। इस बार 19 महिलाओं को भी ये पुरस्कार दिए जा रहे हैं।

दिवंगत कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा और संगीतकार भूपेन हजारिका सहित पांच हस्तियों को बुधवार को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजे जाने की घोषणा की गई। मरणोपरांत इस अंलकरण के लिए चुने गए अन्य लोगों में मूर्तिकार के.जी. सुब्रह्मण्यम, हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक कांतिलाल हस्तिमल संचेती और लोक सेवक टी.वी. राजेश्वर शामिल हैं।

विख्यात कलाकार जतिन दास, खालिद चौधरी और अनीस कपूर को कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए बुधवार को पद्म भूषण सम्मान से नवाजने की घोषणा की गई। बुद्धदेव दास गुप्ता, टी. वी. गोपालकृष्णन और एम. एस. गोपालकृष्णन को भी पद्म भूषण सम्मान से अलंकृत किए जाने की घोषणा की गई।

गायक फरीदुद्दीन डागर और थियेटर कलाकार जॉय माइकल सहित 22 लोगों को कला के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए बुधवार को पद्मश्री सम्मान से नवाजने की घोषणा की गई। इस श्रेणी में सम्मान पाने वालों में वनराज भाटिया, एन. आई. देवी, आर. एस. एच. चित्तानी, मोतीलाल कुम्हार, शाहिद परवेज खान, मोहन लाल कुम्हार, एस. के. मंगानियर, मिनाती मिश्रा, नातेसन मुथुस्वामी, आर. नगराथम्मा, के. एस. नम्बूतिरी, वाई. वायकर, सतीश अलेकर, गोपाल प्रसाद दूबे, रमाकांत गुंडेचा, उमाकांत गुंडेचा, अनूप जालोटा, सोनम नायर, प्रियदर्शन, सुनील जनाह, लैला तैयबजी और विजय शर्मा शामिल हैं।

पद्म पुरस्कार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान होते हैं। जिन्हें तीन वर्गों (पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री) में दिया जाता है।

ये पुरस्कार सभी क्षेत्रों से संबंधित होते हैं। कला, सामाजिक गतिविधि, पब्लिक अफेयर्स, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, व्यापार, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल, नागरिक सेवा आदि क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाता है। इन पुरस्कारों का ऐलान हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर किया जाता है।
इनके अलावा राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 73 सेना पदक, तीन नौसेना पदक, दो वायुसेना पदक, 28 परम विशिष्ट सेवा पदक, 51 अति विशिष्ट सेवा पदक तथा चार युद्ध सेवा पदक देने को मंजूरी प्रदान की।

विदेश मंत्रालय से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक शिनावात्रा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आमंत्रण पर भारत आ रही हैं। पिछले साल कार्यभार ग्रहण करने के बाद उनकी यह भारत की पहली यात्रा है। उनके साथ मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, वरिष्ठ अधिकारी और एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी आया है।

शिनावात्रा अपनी इस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पाटिल, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मिलेंगी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगी।

इसके अलावा शिनावात्रा विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा से भी मिलेंगी और सीआईआई, फिक्की और एसोचैम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक व्यापारिक बैठक में भी हिस्सा लेंगी।

मनमोहन सिंह ने अक्टूबर 2009 में थाईलैंड की यात्रा की थी, उस दौरान वे सातवें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और चौथे पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वहां पहुंचे थे।

आखिर केयर्न-वेदांता सौदे पर मंत्रिमंडल की मुहर

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आखिर केयर्न-वेदांता सौदे को आज अंतिम मंजूरी दे दी। सौदे के तहत लंदन में सूचीबद्ध वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी ने भारत में काम कर रही केयर्न इंडिया लिमिटेड की बहुलांश हिस्सेदारी 8.48 अरब डालर मूल्य में खरीदी है। केयर्न इंडिया ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी की इकाई है।

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज केयर्न-वेदांता सौदे को अंतिम मंजूरी दे दी। गृह मंत्रालय के वेदांता समूह के बारे में उठाए गए एतराज के बाद यह मंजूरी जरुरी हो गई थी। मंत्रालय ने वेदांता समूह पर देश- विदेश में विभिन्न नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।

गृह मंत्रालय ने इस सौदे को 25 नवंबर को सुरक्षा मामले में मंजूरी देते समय खनन क्षेत्र से जुड़े वेदांता समूह के आठ ऐसे मामले गिनाए थे जिनमें उसकी विभिन्न सहयोगी कंपनियों के भुगतान में चूक, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और मानवाधिकारों का उल्लंघन के मामले थे। सूत्रों के अनुसार पेट्रोलियम मंत्रालय ने गृह मंत्रालय द्वारा उठाए गए मामलों को लेकर आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के समक्ष मामले को रखा। तेल मंत्रालय का कहना था कि गृह मंत्रालय ने जो मुद्दे उठाए हैं उनसे सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।

ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी द्वारा अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया लिमिटेड में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के सौदे को मंत्रिमंडलीय समिति ने पहली बार अप्रैल 2011 में विचार किया और जून 2011 को इसे मंजूरी दे दी। केयर्न और वेदांता ने सरकार द्वारा रखी गई सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। आज मंत्रिमंडल ने इस सौदे को अंतिम मंजूरी दे दी।

वर्ष 2012-13 का आम बजट 15 मार्च के आसपास पेश हो सकता है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को इसके संकेत दिये।
  
उत्तरप्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में जारी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आम बजट देर से पेश किया जा रहा है। आमतौर पर हर साल फरवरी अंत में आम बजट संसद में पेश होता है।
  
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद का बजट सत्र बुलाने के लिये मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति की बैठक फरवरी के पहले सप्ताह में होगी। मुखर्जी ने कहा कि संसद के बजट सत्र की शुरुआत में हर साल होने वाला राष्ट्रपति का संबोधन 9 मार्च के बाद ही हो सकता है। विधानसभा चुनावों के कारण 9 मार्च तक चुनाव आचार संहिता लागू है।
  
यह पूछे जाने पर क्या केन्द्रीय बजट मार्च के बीच में किसी समय पेश किया जा सकता है, जवाब में उन्होंने कहा हां। वित्त मंत्री ने कहा कि आम बजट मामले में दो तिथियों का संवैधानिक महत्व है। पहली यह कि 31 मार्च से पहले बजट पर लेखानुदान पारित हो जाना चाहिये ताकि एक अप्रैल से शुए होने वाले नये वित्त वर्ष में सरकारी खजाने से धन निकासी की जा सके। दूसरा 75 दिन की समयसीमा के भीतर कर प्रस्ताव संबंधी वित्त विधेयक को पारित होना चाहिये।
   
वोडाफोन कर मामले में उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय के बारे में पूछे गये एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, केवल इतना कहा कि सरकार इसका अध्ययन करेगी। विदेशों में कालाधन रखने वाले लोगों को दंडित करने की कारवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा इस संबंध में कानूनी प्रक्रिया चल रही है।

दावोस। स्विटजरलैंड के इस खूबसूरत शहर में विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विचार-विमर्श के लिए पूरे बंदोबस्त हो गए हैं। पांच दिन तक दुनिया के तमाम अमीर व ताकतवर देशों के दिग्गजों के साथ भारतीय उद्योग जगत की हस्तियां और नीति निर्माता यहां जुटे रहेंगे।

25 से 29 जनवरी तक चलने वाली विश्व आर्थिक मंच [डब्ल्यूईएफ] की सालाना बैठक में भारतीय उद्योग जगत के बड़े नाम मसलन मुकेश अंबानी, अजीम प्रेमजी, आदि गोदरेज, राहुल बजाज और सुनील मित्तल शिरकत करेंगे। इसके अलावा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को मंच पर भारत की विकास कथा को पेश करने का मौका मिलेगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे युवा नेता भी यहां मौजूद होंगे।

दुनिया के लिए खतरा बने यूरो मुद्रा वाले क्षेत्र के आर्थिक संकट के बीच हो रही इस बैठक में भारत खुद को कैसे पेश करता है, यह देखना रोचक होगा। जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर दो साल के निचले स्तर पर आ गई है। चालू वित्त वर्ष में विकास दर के घटकर 7 प्रतिशत के आसपास आ जाने की संभावना है। फिर भी तमाम देशों की तुलना में वह बेहतर स्थिति में है। लिहाजा देखना होगा कि बैठक में भारतीय कारोबार जगत के दिग्गज नीतिगत मोर्चे पर खामियों की बात उठाते हैं या फिर देश के विकास की कहानी ही बयां करते हैं।

बैठक में 100 सदस्यों से ज्यादा का भारी भरकम भारतीय प्रतिनिधिमंडल होगा। इस तरह अमेरिका, ब्रिटेन और जापान के बाद भारतीय दल सबसे बड़ा है। चीन का प्रतिनिधिमंडल भी भारत से छोटा ही होगा। यूरोप, जापान और अमेरिका के समक्ष चुनौतियों के बीच भारत कितना सुरक्षित है, यह विषय भी चर्चा में शामिल होगा।

कमोबेश पूरी दुनिया में स्थितियां एक जैसी हैं। लोगों में खासा असंतोष है। भारत में भ्रष्टाचार पर लोगों ने सरकार को घेर रखा है, तो अमेरिका में ऑक्यूपाइ वॉल स्ट्रीट और ब्रिटेन में ऑक्यूपाइ लंदन जैसे प्रदर्शन तेज हैं। आयोजन स्थल पर भी माहौल कुछ ऐसा ही है। लोग कड़ाके की सर्दी में टेंट बनाकर 'ऑक्यूपाइ दावोस' की तैयारी में जुटे हुए हैं।

सीआरआर घटा, पर अभी नहीं घटेगी ईएमआई

उम्मीद के मुताबिक रिजर्व बैंक ने रीपो और रिवर्स रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में आधे फीसदी की कटौती की गई है। सीआरआर को छह से घटा कर 5.5 % करने से बैंकों के पास लोन देने के लिए 32,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। सीआरआर में कमी 28 जनवरी से प्रभावी हो जाएगी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने क्रेडिट पॉलिसी की तीसरी तिमाही समीक्षा करते हुए रीपो रेट 8.5 % और रिवर्स रीपो रेट 7.5 % पर स्थिर रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा, ' इन्फ्लेशन की मौजूदा दर को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में अभी कमी करना जल्दबाजी होगी।' रीपो और रिवर्स रीपो दरों में कटौती नहीं किए जाने से सस्ते होम और ऑटो लोन के लिए इंतजार कुछ और बढ़ गया है। आरबीआई ने साफ किया है कि भविष्य में भी दरों में कटौती महंगाई दर पर निर्भर करेगी।

सीआरआर डिपॉजिट का वह हिस्सा होता है, जो बैंकों को आरबीआई के पास रखना पड़ता है। इस पर उन्हें इंटरेस्ट नहीं मिलता है। अभी सीआरआर 6 % है और आरबीआई से बैंक 1.2 लाख करोड़ रुपए उधार ले रहे हैं। सेंट्रल बैंक चाहता है कि बैंक 60,000 करोड़ से ज्यादा की उधारी न लें। इसलिए सीआरआर में कमी की गई है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी.सुब्बाराव ने अल्पकालिक उधार दर यानी रीपो रेट 8.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने की घोषणा की। इसके आधार पर रिवर्स रीपो दर भी 7.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी। उद्योग व्यापार क्षेत्र ने अर्थव्यस्था में नरमी का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक से नीतिगत ब्याज दरों में कमी की पुरजोर अपील की थी। बैंक ने कहा, ' मुद्रास्फीति की मौजूदा ऊंचाई को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में अभी कमी करना जल्दबाजी होगी। ' बैंक ने कहा है कि सीआरआर बाजार में नकदी बढाने का एक स्थाई तरीका है। 'सीआरआर में कमी को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि भविष्य में ब्याज दरों में कमी लाने का रिजर्व बैंक का रुख और मजबूत हुआ है। '

आगे ब्याज में कमी का दौर शुरू हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों के लिए फौरी उधार की सुविधा (एलएएफ) के अतिरिक्त अल्प स्थाई सुविधा पर ब्याज को 9.5 प्रतिशत और अपनी दीर्घकालिक ब्याज दर- बैंक दर को छह प्रतिशत पर बनाए रखा है।

रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि की आवश्यकता और कीमत स्थिरता के बीच संतुलन साधने के नाजुक काम को अंजाम देते हुए नीतिगत ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखा पर बैंकों के पास ऋण देने के लिए अधिक धन सुलभ कराने के उपाय के तौर पर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) आधा प्रतिशत कम कर दिया।

सीआरआर को छह से घटा कर 5.5 प्रतिशत करने से वाणिज्यिक बैंकों के पास ऋण देने के लिए 32,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। सीआरआर में कमी 28 जनवरी से प्रभावी हो जाएगी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी.सुब्बाराव ने अल्पकालिक उधार दर यानी रीपो रेट 8.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने की घोषणा की। इसके आधार पर रिवर्स रीपो दर भी 7.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी। उद्योग व्यापार क्षेत्र ने अर्थव्यस्था में नरमी का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक से नीतिगत ब्याज दरों में कमी की पुरजोर अपील की थी। बैंक ने कहा, ' मुद्रास्फीति की मौजूदा ऊंचाई को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में अभी कमी करना जल्दबाजी होगी। ' बैंक ने कहा है कि सीआरआर बाजार में नकदी बढाने का एक स्थाई तरीका है। 'सीआरआर में कमी को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि भविष्य में ब्याज दरों में कमी लाने का रिजर्व बैंक का रुख और मजबूत हुआ है। ' उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक सीआरआर के रूप में बैंकों के पास जमा राशि का एक हिस्सा अनिवार्य रूप से अपने नियंत्रण में रखता है और इस पर बैंकों को ब्याज नहीं मिलता।

रीपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनके पास नकदी की दैनिक कमी के पूरा करने के लिए उधार देता है। जबकि रिवर्स रीपो के जरिए रिजर्व बैंक बैंकों के पास उपलब्ध नकदी को लेने के लिए अल्पकालिक उधारी लेता है। कुछ घंटों से लेकर एक दिन तक का यह लेनदेन रीपो और रिवर्स रीपो दर पर होता है। सीआरआर में कटौती के बाद नकदी बढ़ने पर अब बैंक ग्राहकों को ऋण के लिए आकर्षित करने के लिए ब्याज दरें नरम कर सकते हैं।

छंटनी क्या है?

11 Nov 2011, 0813 hrs IST,इकनॉमिक टाइम्स  

जब कंपनियां कर्मचारियों को अस्थाई या स्थाई तौर पर इस वजह से निकाल देती हैं क्योंकि उनके पास उन्हें भुगतान करने के लिए या तो पैसा नहीं होता है या उन कर्मचारियों के लिए कोई काम नहीं होता है तो इसे डाउनसाइजिंग (कर्मचारी कम करना), वर्कफोर्स का पूरा इस्तेमाल और री-डिप्लॉयमेंट (दोबारा से तैनाती) के तौर पर जाना जाता है। बैंक और वित्तीय संस्थानों समेत पूरी दुनिया की कई कंपनियों को सितंबर 2008 में लीमैन ब्रदर्स के धराशायी होने के बाद आई मंदी की वजह से छंटनी का सहारा लेना पड़ा था।

नौकरियां जाने से पहले क्या कोई चेतावनी का संकेत होता है?

छंटनी कारोबारी सेंटीमेंट का एक अंग है। ऐसे में मंदी के दौरान नौकरियां जाती हैं और अमूमन इसे ऊंची मंहगाई की वजह से जोर मिलता है। मंदी के दौरान नौकरियों का बाजार सूख जाता है क्योंकि कंपनियां अपने तमाम खर्चों को कम करने के लिए कोशिशें करने लगती हैं। अमूमन कड़े कदमों का अगला चरण सही आकार करने की कोशिशों का होता है। ऐसे में इस चरण में नौकरियों की बलि चढ़ती है।

क्या छंटनी रोकने का कोई तरीका है?

कई बार कंपनियां मंदी की स्वाभाविक प्रतिक्रिया के तौर पर छंटनी का सहारा लेती हैं। लेकिन इस तरह के कड़े कदमों को उठाने के बजाय कंपनियां कई दूसरे कदम उठा सकती हैं। वर्कफोर्स की सही प्लानिंग, लागत नियंत्रण पर लगातार फोकस, मल्टिस्किलिंग और एक सकारात्मक वर्क कल्चर पैदा करना इन उपायों में शामिल है, जिनका इस्तेमाल कंपनियां लोगों को नौकरी से निकालने के बजाय इस्तेमाल कर सकती हैं।

इससे किस तरह से निपटना चाहिए?

एक अच्छा बायोडाटा बनाइए, इसे अपने प्रफेशनल नेटवर्क पर सर्कुलेट करिए और हेडहंटर्स से संपर्क करिए जो कि आपके टारगेट सेक्टर या आपके स्पेशलाइजेशन वाले फील्ड में काम करते हैं। अपने परिवार से पिंक-स्लिप (नौकरी जाने) की बात को छिपाइए मत। उनके साथ यह चीज साझा कीजिए ताकि वे आपको भावनात्मक समर्थन दे सकें।

कोई नए करियर के लिए कैसे खुद को तैयार कर सकता है?

कर्मचारियों को अपने स्किल्स में पारंगत होना चाहिए। हालिया महीनों में भारत में टेलिकॉम और वित्तीय सेवा सेक्टरों में छंटनी और वर्कफोर्स डिप्लॉयमेंट देखी गई है। अगर कोई खास सेक्टर ठीक प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो इसी तरह के दूसरे विकल्पों पर गौर कीजिए। वित्तीय सेवा सेक्टर में मौजूद लोग ऐसा कोई भी काम कर सकते हैं जो उन्हें बी2सी से कनेक्ट कर सके, इसमें सोशल नेटवर्क, ई-कॉमर्स, टेक्नोलॉजी कंपनियां आती हैं।

ऐसी कंपनियों से संपर्क कीजिए जहां आपके काम से मिलते जुलते प्रोफाइल हों। संभावित नियोक्ताओं से अनौपचारिक बातचीत शुरू कर दीजिए। लगातार स्किलिंग और सीखना जरूरी है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/10687407.cms

सूझबूझ से ही मिलेगी बाजार में कामयाबी
18 Sep 2011, 0754 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स

निखिल वालवलकर
कुछ लोगों का कहना है कि वे बाजार की गतिविधियों को समझ नहीं पाते हैं,

इसलिए शेयर बाजार से दूर ही रहते हैं। एक दिन अचानक शेयर बाजार में भारी गिरावट और बिकवाली बढ़ जाती है। तब वही व्यक्ति बाजार को लेकर आक्रामक हो जाते हैं और एक सप्ताह बाद बड़े पैमाने पर शेयरों की खरीदारी करते हैं। क्या किसी निवेशक का यह तरीका पागलपन है?आपको कई ऐसे लोग मिल जाएंगे जो इस तर्ज पर बातचीत करते मिल जाएंगे। अगली बार जब आपको इसी तरह का नजरिया रखने वाला कोई मिल जाए, तब आप उसे बताएं कि उसका तरीका पागलपन है। यहां पर कुछ तर्क दिए जा रहे हैं, जिससे आप कुछ व्यवहारिक मुद्दों को समझ सकते हैं।

हर्ड मेंटेलिटी
सारासिन अल्पेन इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर जिग्नेश शाह ने बताया, 'हर्ड मेंटेलिटी का मतलब किसी व्यक्ति में बड़े समूह के एक्शन (उचित या अनुचित) को देखकर उसकी कॉपी करने की आदत होती है। व्यक्तिगत स्तर पर जरूरी नहीं है कि अधिकतर व्यक्ति इस तरह की हरकत करें।'

व्यक्तिगत स्तर पर लोग यह सोचते हैं कि समूह का फैसला ज्यादा समझदारी वाला है और वे बाजार के अधिकतर लोगों के साथ जाना पसंद करते हैं। जब शेयर बाजार ने पहली बार 20,000 अंक के स्तर को पार किया था, तब कई ऐसे लोग थे, जो शेयर बाजार में पहली बार निवेश करना चाहते थे।

पराग पारेख फाइनेंशियल एडवायजरी सविर्सेज के वाइस प्रेसिडेंट जयंत पई का कहना है, 'पीछे छूट जाने के डर से निवेशक उन एसेट में निवेश करने को तैयार हो जाते हैं, जो पहले से ही वास्तविक स्तर से ऊपर (ओवरवैल्यू) जा चुका होता है। इससे वे और अधिक जोखिम में फंस जाते हैं।'

इस तरह के कदम उठाने के पीछे का तर्क बहुत ही आसान है। अगर कोई भीड़ से अलग रहता है तब वह गलत हो जाएगा। ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति आसानी से इसका शिकार होते हैं। लेकिन जब वह व्यक्ति भीड़ में शामिल हो जाता है और बाकी समूह के साथ साथ डूबने लगता है तब वह सहानुभूति की उम्मीद करता है। बाजार के हालिया रुझान को ध्यान में रखकर लक्ष्य देने वाले कई मनी मैनेजर इस तर्क के साथ खरीदारी कर रहे हैं।

हर्ड मेंटेलिटी का दूसरा पक्ष भी है। इसमें निवेशक उन चीजों को छोड़ देता है, जिसके पीछे भीड़ भाग नहीं रही होती है। हाल ही में जब भारतीय रिजर्व बैंक ने 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी, तब इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों का शेयर धरातल छूने लग गया। निवेशकों में इस सेक्टर को लेकर डर समा गया कि यह सेक्टर लंबे समय तक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएगा।

बाजार में भागीदारी करने वाले अधिकतर निवेशक पिछले तीन साल से खराब प्रदर्शन करने की वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों से दूरी बना रहे हैं। एक जीवन बीमा कंपनी के फंड मैनेजर ने बताया, 'अधिकतर लोग इस बात को भूल रहे हैं कि हम ब्याज दरों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं और इंफ्रास्ट्रक्चर शेयर इस गिरावट के साथ ही आकर्षक वैल्यूएशन के स्तर पर आ गए हैं।'

एंडॉमेंट इफेक्ट
यह संभवत: हर्ड मेंटेलिटी का अगला चरण है। पई कहते हैं, 'एंडॉमेंट इफेक्ट का मतलब होता है, आपके पास मौजूद एसेट को लेकर बहुत उम्मीदें पालना। उसे आप तब भी नहीं बेचना चाहते हैं जब दूसरे की नजरों में वह ओवरवैल्यू हो चुका है।'

निवेशक अक्सर अपने एसेट से प्यार करने लगते हैं और वे उस एसेट के लिए चुकाई गई कीमत की तुलना में बहुत अधिक की उम्मीद करने लगते हैं। यह सभी एसेट वर्ग के साथ है। आप अपने घर के लिए उस लोकेशन पर मौजूद दूसरे घरों की औसतन कीमत से अधिक कीमत चाहते हैं, वह भी बिना खास कारण से। दूसरी तरफ, जब आप घर खरीदना चाहते हैं, तब आप उस लोकेशन के दूसरे घरों की औसतन कीमत से कम भुगतान करना चाहते हैं। अधिक कीमत पाने की चाहत में एक निवेशक अपने एसेट को लेकर एक अलग तरह के मानसिकता में फंस जाता है। इसे कहते हैं, लव फॉर द नोन।

लव फॉर द नोन
जब निवेशकों ने साल 2006 में इंफ्रास्ट्रक्चर शेयर खरीदे थे और उसे 2007 में पूरे साल उन्हें बरकारर रखा तो निवेशक 'बिल्ड इंडिया' थीम के प्रभाव में थे। विकसित दुनिया व चीन और भारत के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े तुलनात्मक आंकड़े 2007 के इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरों के वैल्यूएशन का आधार बन गए। हालांकि, कई निवेशकों ने कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड, बढ़ती ब्याज दरें और महंगाई के दबाव को दरकिनार कर दिया, जबकि इन सभी पहलुओं से इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां प्रभावित हो रही थीं।

ओवरवेट
यह पिछली व्यवहारिक आदतों का अगला पड़ाव है। अक्सर निवेशक उन आंकड़ों की बात करते हैं, जिससे उनके निवेश तर्कों को समर्थन मिलता है। लगभग सभी लोगों ने 2007 के इंफ्रास्ट्रक्चर थीम के आधार पर निवेश किया। यह थीम उन आंकड़ों पर आधारित थी, जिसमें हमारे पास मौजूद सुविधाओं और भविष्य में जरूरत पड़ने वाले निर्माण की बात कही गई थी। लेकिन तब निवेशकों ने कंपनियों को किसी भी परियोजना को पूरा करने में आ रही दिक्कतों को दरकिनार कर दिया। सिर्फ इस चीज से ही निवेशकों के तर्क और वास्तविकता में फर्क आ गया और इसकी भरपाई निवेशकों को अपने पैसे से करनी पड़ी।

2007 में रियल एस्टेट के शेयर बहुत आकर्षक थे। एनालिस्ट कम्युनिटी रियल्टी कंपनियों के वैल्यूएशन को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए हर संभव वैल्यूएशन तकनीक का सहारा ले रही थी। इससे निवेशकों का निवेश इन शेयरों में बढ़ गया और 2008 की मंदी में निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

एंकरिंग
यह खुदरा निवेशकों में सबसे आम दिक्कत है। साल 2008 की मंदी के शुरुआती झटकों में अधिकतर निवेशक अपने ओवरवैल्यू हो चुके शेयरों से बाहर नहीं निकले। तब निवेशक कहते थे कि वे शेयर तभी बेचेंगे जब उन्हें खरीद मूल्य से अधिक रिटर्न मिलेगा।

क्या निवेशकों ने यह समझने की कोशिश की कि शेयर की कीमतें कंपनियों के फंडामेंटल के मुताबिक नहीं थीं? लेकिन निवेशकों ने खरीद मूल्य को एंकर बना लिया और वे खराब शेयर से बाहर नहीं निकले और लंबे समय तक उन्हें अपने पोर्टफोलियो में बनाए रखा। 2008 में रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था।

संकट से निकलने का रास्ता
अपनी भावनाओं पर काबू रखना आसान नहीं होता है। अगर आपको फैसला करने में दिक्कत आ रही है, तब आप निवेश पर फैसला करने के लिए फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह लें। अक्सर फाइनेंशियल एडवाइजर बहुत कम शुल्क अपनी सेवा देते हैं। माय फाइनेंशियल प्लानर के सीईओ अमर पंडित कहते हैं, 'एक अच्छा फाइनेंशियल प्लानर अपने ग्राहकों को वास्तविक जीवन का उदाहरण देता है। उन्हें निवेश के लिए फैसले लेने की प्रक्रिया के बारे में बताता है, ताकि निवेशक अच्छी तरह से समझकर निवेश कर सकें। इससे सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है।'
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पद्म सम्मान

मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
भारत सरकार द्वारा शासकीय सेवकों द्वारा प्रदत्त सेवा सहित किसी भी क्षेत्र में असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री नामक पद्म सम्मान (पुरस्कार) प्रदान किए जाते हैं। पद्म पुरस्कापरों की सिफारिशें राज्य सरकारों/संघ राज्य प्रशासनों, केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, उत्कृष्टता संस्थानों आदि से प्राप्त की जाती हैं, जिन पर पुरस्कार समिति द्वारा विचार किया जाता है। पुरस्कार समिति की सिफारिश के आधार पर और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इन पद्म सम्मानों की घोषणा की जाती है।

पुरस्कार का नाम

पुरस्कार का अग्र भाग

पुरस्कार का पश्च भाग

पुरस्कार का विवरण

पद्म विभूषण

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प्रदाता: भारत सरकार

प्रकार: नागरिक

श्रेणी: सामान्य

स्थापना: 1954

पद्म भूषण

* *

प्रदाता: भारत सरकार

प्रकार: नागरिक

श्रेणी: सामान्य

स्थापना: 1954

पद्म श्री

* *

प्रदाता: भारत सरकार

प्रकार: नागरिक

श्रेणी: सामान्य

स्थापना: 1954


[संपादित करें]संदर्भ


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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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