Friday, December 30, 2011

Fwd: [Social Equality] छत्रपति शिवाजी महाराज को पत्र लिखकर स्वामी रामदास...



---------- Forwarded message ----------
From: प्रचंड नाग <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/12/29
Subject: [Social Equality] छत्रपति शिवाजी महाराज को पत्र लिखकर स्वामी रामदास...
To: Social Equality <wearedalits@groups.facebook.com>


प्रचंड नाग posted in Social Equality.
छत्रपति शिवाजी महाराज को पत्र लिखकर स्वामी...
प्रचंड नाग 7:38pm Dec 29
छत्रपति शिवाजी महाराज को पत्र लिखकर स्वामी रामदास कहते हैं - हम आपके राज्य की सीमा में हैं लेकिन आप हमें तो पुछते तक नहीं । मतलब रामदास को शिवाजी पुछते तक नहीं थे तब गुरु होने का सवाल ही कहाँ उठता है ! अपनी दूसरी चिट्ठी में स्वामी रामदास लिखते हैं "मुझ ब्राह्मण को कुछ जमीन व धन दान में दो " तब शिवाजी महाराज कहते हैं "मेरा राज रय्यत के लिए है किसी फुकटिया ब्राह्मण के लिए नहीं । आगे शिवाजी महाराज संदेश देते हैं "ब्राह्मण म्हणून कोण मूलहीजा करतो ! " मतलब ब्राह्मणों की किसे परवाह है ! स्वामी रामदास आदिलशाह का गुप्तचर था जिसे उससे वेतन मिला करता था इसकी पुरानी तस्वीर और कागजात उपलब्ध है जिसे ब्राह्मण इतिहासकारों ने दबा दिया था । शिवाजी महाराज ने आदिलशाह के वकील कृष्णा भास्कर कुलकर्णी का वध तब किया जब वह आदिलशाह के वकील के रूप में शिवाजी महाराज से मिलने आया और शिवाजी महाराज के शरीर पर जिंदगी का प्रथम घाव दिया । शिवाजी महाराज के राज्य को बनाने में 18 पगड़ शूद्र जाति के लोगों ने अपनी कुर्बानियाँ दी । 35 % मुसलमान शिवाजी की सेना में थे जिनहोने कभी गद्दारी नहीं की । उनके तोपखाने का प्रमुख मुसलमान था । और राजधानी रायगढ़ का 27 साल तक किलेदार रायनाक महार । वहीं ब्राह्मणों ने गद्दारी की । उन्हें शूद्र कहा । नकली कुंडली बनाई । पैर के अंगूठे से अपमानजनक तरीके से राजतिलक किया । सारी संपत्ति ब्राह्मणो को दान करवायी । निठल्ले ब्राह्मणो का अष्ट प्रधान मंत्रिमंडल बनवाया जिसने बाद में उन्हें जहर देकर मात्र 50 साल की उम्र में मार डाला । अपमानजनक राजतिलक के बाद उनकी माँ अपमान के कारण एक सप्ताह में मृत्यु को प्राप्त हुई । धन के अभाव में 33 किले उनके हाथ से निकल गए । ब्राह्मण पेशवाओं ने उनकी हत्या कर दी व उनके पुत्र संभाजी को औरंगजेब के हाथों पकड़वा दिया । ब्राह्मणो ने संभाजी महाराज की हत्या मनुस्मृति के अनुसार की । शूद्र होकर भी तीन किताब संस्कृत में लिखने के अपराध में उनकी आँख निकाल ली । जीभ काट दी और सिर औरंगजेब को दे दिया । फिर ब्राह्मणो ने गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जिसने एक छोटा उलटा घड़ा एक लकड़ी के ऊपर टांग दिया जाता है बिलकुल उसी तरह जैसे मो क गांधी की हत्या के बाद पुणे में ब्राह्मणो के मुहल्ले सदाशिव पेट में मिठाई बांटी गई थी । धर्म-निरपेक्ष औरंगजेब को ब्राह्मणो के कहने पर संभाजी को पकड़ने और मारने का आदेश निकालना पड़ा उस संभाजी को जिसे औरंगजेब की बहन ने बड़े लाड़-प्यार से अपने पास रखा था बिना उसकी खतना किए जब शिवाजी महाराज उसे एक बॉन्ड की तरह औरंगजेब के पास छोडकर आए थे ।


View Post on Facebook · Edit Email Settings · Reply to this email to add a comment.



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments: