Thursday, December 15, 2011

Fwd: [Social Equality] प्रेमचंद जी के यथार्थवादी लेखन से इस समाज की दिशा...



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From: Nageshwar Singh Baghela <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/12/15
Subject: [Social Equality] प्रेमचंद जी के यथार्थवादी लेखन से इस समाज की दिशा...
To: Social Equality <wearedalits@groups.facebook.com>


Nageshwar Singh Baghela posted in Social Equality.
प्रेमचंद जी के यथार्थवादी लेखन से इस समाज की...
Nageshwar Singh Baghela 7:05pm Dec 15
प्रेमचंद जी के यथार्थवादी लेखन से इस समाज की दिशा बदने में बहुत सहायता ,मिली ,यथार्थवाद बीसवीं शती के तीसरे दशक के आसपास से हिन्दी साहित्य में पाई जाने वाली एक विशेष विचारधारा थी। इसके मूल में कुछ सामाजिक परिवर्तनों का हाथ था। जो परिवर्तन हुआ उसके मूलकारण थे राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम, कम्यूनिस्ट आन्दोलन, वैज्ञानिक क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर हुए विस्फोट, विश्व साहित्य में हुए परिवर्तनों का परिचय और आर्य समाज आदि सामाजिक आन्दोलन । यथार्थवादी लेखकों ने समाज के निम्नवर्ग के लोगों के दुखद जीवन का चित्रण किया । उनके उपन्यासों के नायक थे गरीव किसान, भिखमँगे, भंगी, रिक्शा चालक मज़दूर, भारवाही श्रमिक और दलित । इसके पहले कहानी साहित्य में ऐसे उपेक्षित वर्ग को कोई स्थान नहीं था ।और इन्ही यथार्थवादी लेखको में प्रेमचंद जी का योगदान सबसे अधिक रहा है ,,आज भी हम प्रेमचंद जी का उपन्यास या कहानिया पढ़ते है तो हमें आजादी के समय की सामाजिक स्थित का सही चित्रण दिखाई देता है .....प्रेमचंद जी का हिंदी के उथान में अमूल्य सहयोग रहा है ,,,

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Palash Biswas
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