Thursday, December 15, 2011

Fwd: [Social Equality] जिस ढंग से बामसेफ/बीएसपी मे नेतृत्व परिवर्तन नही...Just for the Record.

Just for the record!

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From: Rajanand Meshram <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/12/15
Subject: [Social Equality] जिस ढंग से बामसेफ/बीएसपी मे नेतृत्व परिवर्तन नही...
To: Social Equality <wearedalits@groups.facebook.com>


Rajanand Meshram posted in Social Equality.
जिस ढंग से बामसेफ/बीएसपी मे नेतृत्व परिवर्तन...
Rajanand Meshram 7:26am Dec 15
जिस ढंग से बामसेफ/बीएसपी मे नेतृत्व परिवर्तन नही हुआ ठीक वैसा ही भारतीय बौद्ध महासभा, समता सैनिक दल और रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया मे भी नहीं हुआ. पुराने नेता के बलबूते कबतक संघटन को गति दे सकते? वे बूढ़े होने पर भी संघटन के महत्वपूर्ण पद को नही छोडना चाहते. क्यों ? नेतृत्व बदल के लिए नए नेतृत्व का निर्माण करने का कार्य भी पुराने नेतृत्व ने करना चाहिए. जो नही किया. क्यों? नेतृत्व बदल न करने से नेता अनियंत्रित होते है, वे हुक्मरान होते है, कार्यकर्ताओ को वे गुलाम समझकर हमेशा उनका इस्तेमाल करते रहते है, उन्हें को बंधुआ मजदुर समझने लगते है. उनकी इज्जत नही होती. कार्य की गति घटते जाती और कार्य भी बंद होता है. सिर्फ संघटन की पाटी/नाम बचता है, काम नील बट्टे सन्नाटा हो जाता. लोग हीरो वरशिप करने लगते है. विचार खत्म होते, बिना विचार से संघटन समाज को या देश को सुचारू रूप से नही चला शकता. जहापर नेतृत्व बदल नही होता वहापर तानाशाही की सुरुवात होती है. तानाशाही चाहे बुद्ध के नामपर हो या बाबासाहब के नामपर हो, जनतांत्रिक देश मे बर्दास्त करना यानि जनतंत्र का गला घोंटना है. जहा जनतंत्र नही वह जनकल्याण की भावना लुप्त होती है, स्वकल्याण की भावना आगे बढती है. हर बात पर, हर कार्य के पीछे वे अपना स्वार्थ देखते है. बाबासाहब निश्वार्थी थे मगर उनके आंदोलन को चलाने वाले स्वार्थी नजर आते है. स्वार्थ केवल संपत्ति का ही नही होता तो पद और नाम का भी होता है और काही पर अपने परिवार का या जातियों का भी होता है. स्वार्थ इन्सान की दिशाभूल करता है. नेता भी स्वार्थ के कारण दिशाभूल होते है. वे गलत देशा देकर समाज का शोषण करते रहते है.

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Palash Biswas
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